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छत्तीसगढ़ में बन रही जीनोम सिक्वेंसिंग की नई लैब, कोरोना के स्ट्रेन का लगेगा पता

By Oneindia Staff
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रायपुर। कोरोना वायरस का स्ट्रेन जानने के लिए राजधानी समेत छत्तीसगढ़ की नेशनल वायरोलॉजी सेंटर, पुणे पर निर्भरता छह माह में यानी इसी साल खत्म हो जाएगी। वजह यह है कि शहर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में जीनोम सीक्वेंसिंग की नई प्रयोगशाला बनने जा रही है।

New genome sequencing lab to be built in Chhattisgarh

इस लैब में कोरोना वायरस का स्ट्रेन तो पता चलेगा ही, स्वाइन फ्लू, चिकनगुनिया, इबोला और यलो फीवर की भी जांच हो सकेगी। इन सभी बीमारियों में भी यह पता चल जाएगा कि वायरस किस स्ट्रेन का है, कहां से आया और कितना घातक है? पुणे लैब पर निर्भरता खत्म होने से वहां से रिपोर्ट के लिए डेढ़-डेढ़ माह (45 दिन) का इंतजार नहीं करना होगा।

यहां से दो माह पहले वायरस का स्ट्रेन जानने के लिए भेजे गए आधा दर्जन सैंपल की रिपोर्ट इतने ही दिन में आई थी, तब तक मरीज ठीक हो चुके थे। मेडिकल कॉलेज में पहले से ही बीएसएल-3 (बायो सेफ्टी लैब) लेवल का वायरोलॉजी लैब है। यहां कोरोना व स्वाइन फ्लू की जांच हो रही है। कोरोना का वायरस किस स्ट्रेन का है, यह पता लगाने के लिए इस लैब में जांच की कोई सुविधा नहीं है।

जबकि प्रदेश में कोरोना के मरीजों की संख्या 3.10 लाख से ऊपर पहुंच गई है। राजधानी में भी कोरोना संक्रमितों की संख्या 55 हजार के आसपास है। जनवरी में यूके से लौटे 6 लोगों के स्वाब का सैंपल जांच के लिए पुणे स्थित नेशनल वायरोलॉजी लैब भेजे गए थे। रिपोर्ट आने में डेढ़ माह लगे थे, क्योंकि वहां देशभर के सैंपलों की जांच होती है। राहत की बात यह रही कि 6 लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव आई। यानी छत्तीसगढ़ में इंग्लैंड वाले वायरस का नया स्ट्रेन नहीं मिला।

लैब खुलने के बाद राजधानी में 24 से 48 घंटे में जीनोम सीक्वेंस का पता चल सकेगा। इससे लोगों को भी जागरुक और सतर्क करने में मदद मिलेगी। रोकथाम के जरूरी कदम भी जल्दी उठाए जा सकेंगे। पड़ोसी राज्यों को भी सुविधा होगी। इस लैब के लिए मेडिकल कालेज का माइक्रोबायोलॉजी विभाग प्रस्ताव बनाने जा रहा है। इसमें जरूरी स्टाफ और मशीनों का जिक्र होगा। 2010 व 2014 में स्वाइन फ्लू या स्ट्रेन यहां पता नहीं चल सका था, जबकि इस बीमारी से अब तक प्रदेश में 400 से ज्यादा जानें जा चुकी हैं।

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New genome sequencing lab to be built in Chhattisgarh
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