साल 2020 में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लिए ये बड़े फैसले जिससे उत्तराखंड का हुआ विकास
देहरादून। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में साल 2020 में उत्तराखंड में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए। बातें कम, काम ज्यादा की तर्ज पर इस वर्ष राज्य में तेजी से विकास कार्य हुए। एक ओर वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ाई लड़ी गई, वहीं राज्य को नई दिशा देने वाले फैसले लिए गए। इस वर्ष जनभावनाओं का सम्मान देखा गया तो वर्षों से लम्बित परियेाजनाओं को पूरा होते हुए भी देखा गया। यदि इस वर्ष की महत्वपूर्ण घटनाओं पर नजर डालें तो उत्तराखंड में वर्ष 2020 में विकास ने निश्चित रूप से गति पकड़ी है। आइये जानते हैं सरकार की इस साल की उपलब्धियों के बारे में।
गैरसैंण
बनी
ग्रीष्मकालीन
राजधानी
गैरसैैण
राज्य
आंदोलन
की
मूल
भावना
थी।
गैरसैंण
प्रतीक
है,
समूचे
पर्वतीय
क्षेत्रों
के
विकास
का।
इसी
भावना
और
सोच
के
साथ
मुख्यमंत्री
श्री
त्रिवेन्द्र
सिंह
रावत
ने
गैरसैंण-भराड़ीसैंण
को
उत्तराखण्ड
की
ग्रीष्मकालीन
राजधानी
बनाया।
इस
वर्ष
4
मार्च
को
मुख्यमंत्री
ने
गैरसैंण-भराड़ीसैंण
में
आयेाजित
बजट
सत्र
के
दौरान
उत्तराखण्डवासियों
की
भावनाओं
का
सम्मान
करते
हुए
गैरसैण-भराड़ीसैंण
को
प्रदेश
की
ग्रीष्मकालीन
राजधानी
बनाए
जाने
की
घोषणा
की।
उन्होंने
कहा
कि
गैरसैंण
को
विश्व
की
सबसे
सुन्दर
राजधानी
के
रूप
में
विकसित
किया
जाएगा।
गैरसैंण
को
ग्रीष्मकालीन
राजधानी
बनाए
जाने
के
प्रति
मुख्यमंत्री
श्री
त्रिवेन्द्र
की
गम्भीरता
इसी
बात
से
पता
चलती
है
कि
4
मार्च
को
घोषणा
की
गई
और
8
जून
को
बाकायदा
अधिसूचना
जारी
कर
दी
गई।
स्वतंत्रता
दिवस
के
अवसर
पर
राज्य
की
ग्रीष्मकालीन
राजधानी
गैरसैंण
में
नया
इतिहास
रचा
गया।
उत्तराखंड
के
इतिहास
में
यह
पहली
बार
हुआ,
जब
स्वतंत्रता
दिवस
पर
किसी
मुख्यमंत्री
द्वारा
गैरसैंण-भराड़ीसैंण
में
ध्वजारोहण
किया
गया।
चार
धाम
देवस्थानम
बोर्ड
का
विधिवत
गठन
राज्य
गठन
के
बाद
किया
गया
सबसे
बड़ा
साहसिक
और
ऐतिहासिक
फैसला
है,
देवस्थानम
बोर्ड
बनाना।
15
जनवरी
2020
को
विधिवत
रूप
से
'उत्तराखण्ड
चार
धाम
देवस्थानम
बोर्ड'
का
गठन
किया
गया।
भविष्य
की
आवश्यकताओं,
श्रद्धालुओं
की
सुविधाओं
और
इंफ्रास्ट्रक्चर
के
विकास
की
दृष्टि
से
चारधाम
देवस्थानम
बोर्ड
का
गठन
किया
गया
है।
इसमें
तीर्थ
पुरोहित
और
पण्डा
समाज
के
लोगों
के
हक
हकूक
और
हितों
को
सुरक्षित
रखा
गया
है।
केदारनाथ
जी
सहित
चारधाम
की
व्यवस्थाओं
में
जो
सुधार
किया
उसका
परिणाम
है
कि
पिछले
वर्ष
2019
मेे
श्रद्धालुओं
की
संख्या
में
36
प्रतिशत
की
वृद्धि
हुई।
ऑल
वेदर
रोड़
और
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग
रेल
परियोजना
बनने
के
बाद
2025
तक
चारधाम
यात्रा
पर
1
करोड़
के
करीब
श्रद्धालुओं
के
आने
की
सम्भावना
है।
इतनी
बड़ी
संख्या
में
श्रद्धालुओं
की
सुविधा
के
लिए
प्रबंध
और
व्यवस्थाएं
भी
उतने
ही
बड़े
स्तर
पर
करनी
होंगी
और
व्यवस्थाओं
की
जिम्मेवारी
राज्य
सरकार
की
है।
बड़े
विचार
विमर्श
के
बाद
तीर्थ
पुरोहितों
के
हितों
को
सुरक्षित
रखते
हुए
देवस्थानम
बोर्ड
का
गठन
किया
गया
है।
बजट
में
देवस्थानम
बोर्ड
के
लिए
मद
भी
खोल
दी
गई
है।
देवस्थानम
बोर्ड
का
गठन
भविष्य
की
जरूरतों
को
देखते
हुए
किया
गया
है।
चार
धाम
देवस्थानम
बोर्ड
केदारनाथ,
बदरीनाथ,
गंगोत्री
और
यमुनोत्री
के
साथ
ही
अन्य
प्रमुख
मंदिरों
को
भी
विकसित
करेगा
जिससे
श्रद्धालु
इन
मंदिरों
के
पौराणिक
और
धार्मिक
महत्व
से
अवगत
होंगे
और
वहां
भी
दर्शनों
के
लिए
आएंगे।
मुख्यमंत्री
स्वरोजगार
योजना
वर्ष
2020
में
मुख्यमंत्री
श्री
त्रिवेन्द्र
सिंह
रावत
की
एक
बड़ी
देन
है
'मुख्यमंत्री
स्वरोजगार
योजना'।
28
मई
को
प्रारम्भ
की
गई
यह
योजना
कोराना
काल
में
वापस
आए
प्रवासियों
और
राज्य
के
युवाओं
को
सम्मानजनक
तरीके
से
आजीविका
प्रदान
करने
का
बड़ा
माध्यम
बन
रही
हैै।
एम.एस.एम.ई.
के
तहत
ऋण
और
अनुदान
की
व्यवस्था
है।
इसमें
विनिर्माण
में
25
लाख
रूपये
और
सेवा
क्षेत्र
में
10
लाख
रूपये
तक
की
परियोजनाओं
पर
ऋण
की
व्यवस्था
है।
मार्जिन
मनी,
अनुदान
के
रूप
में
समायोजित
की
जाती
है।
इससे
कुशल
और
अकुशल
दस्तकार,
हस्तशिल्पि
और
बेरोजगार
युवा
खुद
के
व्यवसाय
के
लिए
प्रोत्साहित
होंगे।
राष्ट्रीयकृत
बैंकों,
अनुसूचित
वाणिज्यिक
बैंकों
और
सहकारी
बैंकों
के
माध्यम
से
ऋण
सुविधा
उपलब्ध
कराई
जा
रही
है।
राज्य
सरकार
द्वारा
रिवर्स
पलायन
के
लिए
किए
जा
रहे
प्रयासों
में
यह
योजना
महत्वपूर्ण
सिद्ध
होगी।
मुख्यमंत्री
स्वरोजगार
योजना
में
आनलाईन
आवेदन
भी
किए
जा
सकते
हैं।
मुख्यमंत्री
सौर
ऊर्जा
स्वरोजगार
योजना
अब
प्रदेश
में
सोलर
फार्मिंग
से
भी
स्वरोजगार
मिलेगा।
8
अक्टूबर
को
मुख्यमंत्री
श्री
त्रिवेन्द्र
सिंह
रावत
द्वारा
प्रारम्भ
की
गई।
मुख्यमंत्री
स्वरोजगार
योजना
के
एक
अंग
के
रूप
में
संचलित
इस
योजना
में
10
हजार
युवाओं
व
उद्यमियों
को
25-25
किलोवाट
की
सोलर
परियोजनाएं
आवंटित
की
जाएंगी।
प्रदेश
के
युवाओं
और
वापिस
लौटे
प्रवासियों
को
स्वरोजगार
उपलब्ध
कराने
के
साथ
ही
हरित
ऊर्जा
के
उत्पादन
को
बढ़ावा
देना
योजना
का
लक्ष्य
है।
राज्य
के
स्थाई
निवासी
अपनी
निजी
भूमि
या
लीज
पर
भूमि
लेकर
सोलर
पावर
प्लांट
की
स्थापना
कर
सकते
हैं।
इंटीग्रेटेड
फार्मिंग
की
इस
योजना
में
सोलर
पैनल
लगाने
के
साथ
उसी
भूमि
पर
मौन
पालन,
फल,
सब्जी
और
जड़ीबूटी
आदि
का
उत्पादन
भी
किया
जा
सकता
है।
संयंत्र
स्थापित
की
जाने
वाली
भूमि
पर
जलवायु
आधारित
औषधीय
और
स्कन्ध
पादपों
के
बीज
निशुल्क
उपलब्ध
कराए
जाएंगे।
एमएसएमई
के
आनलाईन
पोर्टल
के
माध्यम
से
इच्छुक
पात्र
व्यक्ति
आवेदन
कर
सकते
हैं।
इसमें
शैक्षिक
योग्यता
की
कोई
बाध्यता
नहीं
होगी।
योजना
का
क्रियान्वयन
उरेडा
द्वारा
किया
जा
रहा
है।
योजना
के
अंतर्गत
आवंटित
परियेाजना
से
उत्पादित
बिजली
को
यूपीसीएल
द्वारा
निर्धारित
दरों
पर
25
वर्षों
तक
खरीदी
जाएगी।
चयनित
लाभार्थी
को
अपनी
भूमि
के
भूपरिवर्तन
के
बाद
मोर्टगेज
करने
के
लिए
लगने
वाली
स्टाम्प
ड्यूटी
पर
100
प्रतिशत
छूट
दी
जाएगी।
तकनीकी
समिति
द्वारा
उपयुक्त
पाए
गए
आवेदकों
को
परियोजना
का
आवंटन
जिला
स्तर
पर
करने
के
लिए
जिलाधिकरी
की
अध्यक्षता
में
समिति
बनाई
गई
है।
पूरी
प्रक्रिया
में
समय
सीमा
का
विशेष
ध्यान
रखा
गया
है।
किसानों
की
खुशहाली
इस
वर्ष
राज्य
सरकार
ने
किसानों
के
हित
में
अनेक
महत्वपूर्ण
निर्णय
लिए।
पं.दीनदयाल
उपाध्याय
सहकारिता
किसान
कल्याण
योजना
में
बिना
ब्याज
के
किसानों
को
उपलब्ध
कराए
जा
रहे
ऋण
की
सीमा
को
बढ़ाकर
तीन
लाख
रूपए
कर
दिया
गया
है।
अब
राज्य
के
किसान
और
काश्तकार
अपनी
जरूरतों
के
लिए
तीन
लाख
रूपए
तक
का
ऋण
बिना
ब्याज
के
ले
सकते
हैं।
इसी
प्रकार
स्वयं
सहायता
समूह
पांच
रूपए
तक
का
ब्याज
मुक्त
ऋण
का
लाभ
ले
सकते
हैं।
पहले
यह
ऋण
की
सीमा
कम
थी।
योजना
प्रारम्भ
होने
से
अभी
तक
4
लाख
से
अधिक
किसानों
और
1330
समूहों
को
2062
करोड़
रूपए
का
ऋण
वितरित
किया
जा
चुका
है।
प्रदेश
में
पहली
बार
गन्ना
किसानों
का
100
प्रतिशत
भुगतान,
किया
गया
है।
वन्यजीवों
से
फसलों
की
सुरक्षा
के
लिए
व्यापक
कार्ययोजना
पर
काम
शुरू
किया
गया
है।
इसमें
4
वानर
रेस्क्यू
सेेटरों
की
स्थापना,
125
किमी
जंगली
सूअर
रोधी
दीवार,
50
किमी
सोलर
फेंसिंग,
13
किमी
हाथी
रोधी
दीवार,
250
किमी
हाथी
रोधी
खाईयों
का
निर्माण
शामिल
है।
जंगली
जानवरों
से
खेती
की
सुरक्षा
के
लिए
94
गांवों
में
101
किलोमीटर
घेरबाड़
की
गयी
है।
इस
काम
को
और
बढ़ाया
जा
रहा
है।
कैम्पा
के
तहत
लगभग
10
हजार
वनरक्षक
तैनात
किए
जाएंगे।
केवल
1
रूपए
में
ग्रामीण
घरों
में
पानी
का
कनेक्शन
वर्ष
2020
में
मुख्यमंत्री
श्री
त्रिवेन्द्र
सिंह
रावत
ने
एक
और
बड़ा
जनहितकारी
फैसला
लिया।
ग्रामीण
घरों
को
पीने
के
पानी
का
कनेक्शन
केवल
1
रूपए
में
दिया
जा
रहा
है
जो
कि
पहले
1360
रूपए
था।
प्रधानमंत्री
श्री
नरेंद्र
मोदी
जी
के
हर
घर
को
नल
से
जल
के
मिशन
को
प्रदेश
में
तेजी
से
आगे
बढ़ाने
के
लिए
यह
महत्वपूर्ण
निर्णय
लिया
गया।
जल
जीवन
मिशन
के
काम
को
प्राथमिकता
से
लिया
गया
है।
स्वयं
प्रधानमंत्री
जी
उत्तराखण्ड
में
ग्रामीण
घरों
में
केवल
1
रूपए
में
पानी
का
कनेक्शन
देने
और
कोरोना
काल
में
भी
हजारों
परिवारों
को
पानी
का
कनेक्शन
देने
पर
इसकी
सराहना
की
है।
इसी
प्रकार
मुख्यमंत्री
ने
शहरी
क्षेत्रों
में
भी
गरीब
परिवारों
को
केवल
100
रुपये
में
पानी
का
कनेक्शन
देने
का
निर्णय
लिया
है
जो
कि
पहले
6000
रुपये
था।
गुड
गर्वनेंस
के
लिए
ई
गर्वनेंस
वर्ष
2020
की
शुरूआत
एक
बड़ी
पहल
के
साथ
हुई।
आठ
जनवरी
को
प्रदेश
मंत्रीमण्डल
की
पहली
ई-केबिनेट
बैठक
हुई।
राज्य
में
ई-आफिस
की
प्रक्रिया
में
भी
तेजी
लाई
गई।
सचिवालय
के
लगभग
सभी
अनुभागों
में
ई-आफिस
शुरू
किया
जा
चुका
है।
3773
फाईलें
ई-आफिस
के
माध्यम
से
बना
दी
गई
हैं।
सचिवालय
के
साथ
ही
27
विभाग
ई-आफिस
प्रणाली
के
अन्तर्गत
आ
चुके
हैं।
देहरादून,
नैनीताल,
अल्मोड़ा,
पिथौरागढ़,
बागेश्वर
व
ऊधमसिंह
नगर
के
जिलाधिकारी
कार्यालयों
में
ई-आफिस
प्रणाली
शुरू।
राज्य
के
हर
न्याय
पंचायत
से
ई-पंचायत
सेवा
उपलब्ध
कराने
वाला
उत्तराखण्ड
देश
का
तीसरा
राज्य
बन
गया
है।
इसी
प्रकार
सी.एम.डैशबोर्ड
'उत्कर्ष':
205
की-परफोरमेंस
इंडिकेटर
के
आधार
पर
लगभग
सभी
विभागों
की
महत्वपूर्ण
योजनाओं
की
मुख्यमंत्री
जी
द्वारा
रीयल
टाईम
मॉनिटरिंग
की
जा
रही
है।
सी.एम.
हैल्पलाईन
'1905'
में
अभी
तक
35
हजार
से
अधिक
शिकायतकर्ताओं
की
समस्याओं
का
24
घण्टे
से
लेकर
एक
सप्ताह
के
भीतर
समाधान
किया
जा
चुका
है।
सेवा
का
अधिकार
के
तहत
वर्ष
2017
तक
केवल
10
विभागों
की
94
सेवाएं
आती
थी,
जिन्हे
कि
वर्तमान
सरकार
ने
बढ़ाकर
27
विभागों
की
243
सेवाएं
किया
है।
हेल्थ
सिस्टम
को
मजबूती
और
कोरोना
से
जंग
कोराना
काल
में
राज्य
में
हेल्थ
सिस्टम
को
काफी
मजबूत
किया
गया
है।
राज्य
में
पर्याप्त
संख्या
में
कोविड
अस्पताल,
आइसोलेशन
बेड,
आईसीयू
बेड,
आक्सीजन
सपोर्ट
बेड
और
वेंटिलेटर
उपलब्ध
हैं।
वर्ष
2017
में
जहां
प्रदेश
में
केवल
3
जनपदों
में
आई0सी0यू0
थे
वहीं
अब
राज्य
के
सभी
जनपदों
में
आई0सी0यू0
स्थापित
किए
जा
चुके
हैं।
अब
अन्य
उप
जिला
और
बेस
अस्पतालों
में
भी
आई.सी.यू
बनाने
की
प्रक्रिया
शुरू
कर
दी
गई
है।
राज्य
के
जिला
अस्पतालों
में
आक्सीजन
पाईपलाईन
की
व्यवस्था
की
जा
रही
है।
अप्रैल
माह
में
ई-संजीवनी
ओपीडी
की
शुरूआत
की
गई।
03
राजकीय
मेडिकल
कालेज
(देहरादून,
श्रीनगर
तथा
हल्द्वानी)
संचालित
हैं
और
04
(अल्मोड़ा,
रुद्रपुर,
हरिद्वार
तथा
पिथौरागढ़)
का
कार्य
गतिमान
है।
अटल
आयुष्मान
योजना
में
लगभग
40
लाख
लोगों
के
गोल्डन
कार्ड
और
2
लाख
12
हजार
मरीजों
को
निःशुल्क
उपचार,
जिन
पर
203
करोड़
रुपये
से
अधिक
खर्च
किया
गया
है।
धरातल पर उतरीं महत्वपूर्ण परियोजनाएं
राजनीतिक नेतृत्व की दृढता व इच्छा शक्ति से किस तरह से सालों से अधर में लटके काम समय बद्धता से पूरे किए जा सकते हैं, डोबरा चांठी पुल इसका बड़ा प्रमाण है। आज डोबरा चांठी पुल का निर्माण कार्य पूरा होने से 3 लाख से ज्यादा की आबादी लाभान्वित हो रही है। इसी प्रकार मुनि की रेती, ऋषिकेश में 48 करोड़ की लागत से बने 346 मीटर लम्बे जानकी सेतु को भी लोकार्पित किया जा चुका है। पौड़ी जिले के जयहरीखाल ब्लॉक में भैरवगढ़ी ग्राम समूह पम्पिंग पेयजल योजना से इलाके के 75 गांवों और तोक को पानी मिलने लगा है। देहरादून में सूर्यधार झील लोकार्पित की जा चुकी है। सौंग बांध परियोजना को पर्यावरणीय स्वीकृति मिल चुकी है। इससे देहरादून शहर व आसपास के क्षेत्रों की वर्ष 2050 तक की अनुमानित आबादी को ग्रेविटी आधारित पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
इस वर्ष ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में भी तेजी आई है। न्यू ऋषिकेश रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया गया है। उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ में बी.आर.ओ द्वारा निर्मित 08 पुलों का लोकार्पण किया गया। इन सभी पुलों का सामरिक दृष्टि से तो महत्व है ही, स्थानीय लोगों को भी इसका बहुत लाभ मिलेगा। पिथौरागढ़ में इन पुलों की लम्बे समय से मांग थी। है। प्रधानमंत्री जी ने नमामि गंगे के अंतर्गत उत्तराखण्ड में 521 करोड़ रूपये की परियोजनाओं का वर्चुअल लोकार्पण किया। इन परियोजनाओं के शुरू होने से उत्तराखण्ड से अब प्रतिदिन 15.2 करोड़ लीटर दूषित पानी गंगा नदी में नहीं बहेगा। उत्तराखण्ड में नमामि गंगे के अंतर्गत लगभग सभी प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं।
वोकल
फॉर
लोकल
का
पर्याय
बनते
रूरल
ग्रोथ
सेंटर
कोरोना
काल
में
प्रधानमंत्री
श्री
नरेंद्र
मोदी
ने
आत्मनिर्भर
भारत
और
वोकल
फाॅर
लोकल
का
आह्वान
किया।
राज्य
में
रूरल
ग्रोथ
सेंटर
इसमें
महत्वपूर्ण
भूमिका
निभा
रहे
हैं।
रूरल
ग्रोथ
सेंटर
मुख्यमंत्री
श्री
त्रिवेन्द्र
सिंह
रावत
का
ड्रीम
प्रोजेक्ट
है।
इस
वर्ष
इसमें
और
तेजी
से
काम
किया
गया
है।
अभी
तक
106
ग्रोथ
सेंटरों
को
मंजूरी
दी
जा
चुकी
है।
लगभग
75
ग्रोथ
सेंटरों
में
काम
भी
शुरू
किया
जा
चुका
है।
लगभग
30
हजार
लोग
इनसे
लाभान्वित
हो
चुके
हैं
जबकि
06
करोड़
से
अधिक
की
बिक्री
और
60
लाख
से
अधिक
का
शुद्ध
मुनाफा
ग्रोथ
सेंटरों
केा
हुआ
है।
इन
ग्रोथ
सेंटरों
का
संचालन
स्थानीय
स्वयं
सहायता
समूहों
द्वारा
किया
जा
रहा
है।
सरकार
द्वारा
इन्हें
जरूरी
इन्फ्रास्ट्रक्चर,
प्रशिक्षण,
फारवर्ड
व
बैकवर्ड
लिंकेज
आदि
सुविधाएं
मुहैया
कराई
जा
रही
है।
यूएनडीपी
के
माध्यम
से
फार्म
और
नान-फार्म
एग्री
बिजनेस
की
12
वैल्यू
चैन
तैयार
की
गई
हैं।
इनकी
आनलाईन
मार्केटिंग
के
लिए
वेबसाईट
बनाई
जा
रही
है।
मुख्यमंत्री
ने
एक
अम्ब्रेला
ब्रांड
बनाए
जाने
के
निर्देश
दिए
हैं।
लगभग
500
सर्वाधिक
पलायन
वाले
गांवों
के
स्वयं
सहायता
समूहों
को
ब्याज
मुक्त
ऋण
देने
का
फैसला
किया
गया
है।
महिलाओं
को
भूमिधरी
का
हक
राज्य
में
पति
की
सम्पति
में
महिलाओं
का
सह-अधिकार
देने
का
निर्णय
लिया
गया
ताकि
उन्हें
लोन
लेने
में
किसी
प्रकार
की
परेशानी
न
हो।
महिलाएं
अपने
नाम
पर
दर्ज
संपत्ति
पर
स्वरोजगार
के
लिए
बैंकों
से
ऋण
ले
सकेंगी,
वे
आर्थिक
रूप
से
मजबूत
होंगी।
पर्वतीय
क्षेत्रों
में
खेती
का
अधिकांश
कार्य
महिलाएं
करती
हैं।
महिलाओं
को
आत्मनिर्भर
एवं
स्वावलंबी
बनाने
के
लिए
राज्य
सरकार
ने
यह
महत्वपूर्ण
निर्णय
लिया
है।
ग्रीन
एनर्जी
को
बढ़ावा
चीड़
को
राज्य
में
वनाग्नि
का
प्रमुख
कारण
माना
जाता
रहा
है।
हरित
ऊर्जा
में
नवाचारी
पहल
करते
हुए
इस
वर्ष
सौर
ऊर्जा
और
पाईन
निडिल
से
बिजली
उत्पादन
में
उल्लेखनीय
काम
किया
गया।
सौर
ऊर्जा
नीति
के
तहत
स्वीकृत
परियोजनाओं
को
धरातल
पर
उतारा
जा
रहा
है।
अभी
तक
कुल
276
मेगावाट
की
परियोजनाएं
स्थापित
की
जा
चुकी
हैं।
जबकि
अन्य
आवंटित
203
मेगवाट
क्षमता
की
परियोजनाओं
में
कार्य
प्रगति
पर
है।
मुख्यमंत्री
सौर
स्वरोजगार
योजना
शुरू
की
गई
है
जिसमें
10
हजार
युवाओं
व
उद्यमियों
को
25-25
किलोवाट
की
सोलर
परियोजनाएं
आवंटित
की
जाएंगी।
प्रदेश
में
मुख्यमंत्री
श्री
त्रिवेन्द्र
सिंह
रावत
द्वारा
ऐसी
अनूठी
पहल
की
गई
जिससे
पिरूल
अब
अभिशाप
नहीं,
वरदान
बन
जाएगा।
पाईन
निडिल
एवं
अन्य
बायोमास
आधारित
ऊर्जा
उत्पादन
नीति-2018
के
अंतर्गत
वर्तमान
में
06
परियोजनाओं
में
विद्युत
उत्पादन
गतिमान
है।
उत्तरकाशी
में
25
लाख
लागत
की
पिरूल
से
विद्युत
उत्पादन
की
25
केवी
क्षमता
की
परियोजना
प्रारंभ
की।
इस
योजना
से
जंगल
में
लगने
वाली
आग
से
होने
वाले
नुकसान
पर
भी
काफी
हद
तक
नियंत्रण
हो
गया
है।
वन
महकमा
वन
पंचायत,
स्वयं
सहायता
समूह
व
मान्यता
प्राप्त
संस्था,
व्यक्ति
विशेष
आदि
के
माध्यम
से
वन
क्षेत्र
में
पिरूल
एकत्र
करने
पर
दो
रुपये
प्रति
किलो
भुगतान
करेगा।
प्रदेश
के
सभी
जनपदों
में
1-1
ग्राम
को
ऊर्जा
दक्ष
ग्राम
के
रूप
में
विकसित
किया
जा
रहा
है।
देहरादून
में
इलेक्ट्रिक
बस
का
ट्रायल
रन
किया
गया।
क्वालिटी
एजुकेशन
प्रदेश
के
सभी
विश्वविद्यालयों
और
महाविद्यालयों
को
वाई-फाई
से
जोड़ने
की
शुरूआत
की
गई।
राज्य
के
सभी
106
महाविद्यालयों
एवं
05
विश्वविद्यालयों
को
इंटरनेट
कनेक्टिविटी
का
लाभ
दिया
जा
रहा
है।
राज्य
सरकार
ने
प्रत्येक
ब्लाॅक
में
2-2
अटल
उत्कृष्ट
विद्यालय
खोलने
का
निर्णय
लिया
है।
इन
विद्यालयों
में
आधुनिक
विज्ञान
की
प्रयोगशालाओं
एवं
सभी
आवश्यक
उपकरणों
की
व्यवस्था
की
जा
रही
है।
सभी
अटल
उत्कष्ट
विद्यालयों
में
वर्चुअल
क्लास
की
सुविधा
उपलब्ध
होगी।
इस
वर्ष
मुख्यमंत्री
मेधावी
छात्र
पुरस्कार
योजना
के
प्रस्ताव
को
मंजूरी
दी
गई
है।
उत्तराखंड
में
विश्वविद्यालयों
के
यूजी
(ग्रेजुएशन)
और
पीजी
(पोस्ट
ग्रेजुएशन
)
के
टॉपर
को
प्रदेश
सरकार
की
ओर
से
पुरस्कृत
किया
जाएगा।
अब
तक
छात्र-छात्राओं
को
विश्वविद्यालय
स्तर
पर
मेडल
देकर
पुरस्कृत
किया
जाता
रहा
है।
लेकिन
अब
प्रदेश
सरकार
की
ओर
से
मेधावी
छात्र-छात्राओं
को
हर
साल
पुरस्कृत
किया
जाएगा।
धार्मिक
आस्था
का
सम्मान
मुख्यमंत्री
श्री
त्रिवेंद्र
सिंह
रावत
ने
जनता
की
धार्मिक
आस्था
का
सम्मान
करते
हुए
हरिद्वार
में
गंगा
नदी
की
धारा
को
'एस्केप
चैनल'
घोषित
किए
जाने
के
2016
के
आदेश
को
वापस
लिया।
मुख्यमंत्री
ने
कहा
कि
हर
की
पैड़ी
पर
अविरल
गंगा
का
दर्जा
बनाए
रखा
जाएगा।
इस
निर्णय
की
सभी
ने
प्रशंसा
की।
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