फल-फूल उगाने के लिए किसानों को सस्ती दरों पर जमीन मुहैया कराएगी गुजरात सरकार, यह है प्रक्रिया
अहमदाबाद। गुजरात सरकार ने राज्य में कृषि योग्य भूमि बढ़ाने के लिए एक नई कृषि नीति तैयार की है। सरकार ने लंबी अवधि के पट्टे पर गैर-उपजाऊ बंजर, पडि़त सरकारी भूमि देने का फैसला किया है। जिसमें बागवानी और औषधीय फसलें के लिए दी जाएंगी। जिले में बागवानी और औषधीय फसलों के लिए राज्य में 20,000 हेक्टेयर गैर-उपजाऊ सरकारी भूमि को 30 साल के पट्टे पर आवंटित किया जाएगा। वार्षिक लीज रेंट और सिक्योरिटी डिपॉजिट मामूली दर पर लिया जाएगा। बागवानी विकास मिशन के पहले चरण में राज्य के 5 जिलों कच्छ, सुरेंद्रनगर, पाटन, बनासकांठा और साबरकांठा में लागू किया जाएगा।
किसान, कंपनियां, व्यक्ति, संगठन, साझेदारी फर्म जमीन खरीदी कर सकेंगे। गैर-किसान इसे खरीद सकेंगे। सरकार ने दलित परिवारों, सहकारी समितियों को जमीन दी थी, जिसमें कांग्रेस के समय बहुत भ्रष्टाचार हुआ था। इन जमीनों पर भाजपा सरकार में भी भ्रष्टाचार होने की संभावना है।
जो लोग किसान नहीं हैं वे खरीदेंगे। वास्तव में किसान शेड के पास भूमि को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसलिए सच्चे किसानों को जमीन मिले। अब केवल अमीर लोग या कंपनियां ही जमीन खरीद पाएंगे। अगर कोई सामान्य किसान इस जमीन को लेना चाहता है तो उसे प्रति एकड़ 3 लाख रुपये खर्च करने होंगे। इसलिए वह सरकारी जमीन नहीं ले सकता। जो अमीर लोग हैं। वह ले सकेंगे।
प्रक्रिया
1
-
प्रगतिशील
किसानों,
सक्षम
व्यक्तियों,
संस्थानों,
कंपनियों
या
साझेदारी
फर्मों
को
आवंटित
किया
जा
सकता
है।
2 - प्रति परियोजना भूमि का क्षेत्रफल 125 एकड़ से 1 हजार एकड़ (50 हेक्टेयर से 400 हेक्टेयर तक) होगा। राज्य में 50 हजार एकड़ ऐसी जमीन दी जाएगी।
3- जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति भूमि के ब्लॉक-सर्वे नंबरों की पहचान करेगी और जिला स्तर पर चयन सूची तैयार करेगी।
4 - चयन सूची के आधार पर, राजस्व विभाग के परामर्श से कृषि, किसान कल्याण और सहकारिता विभाग, आई-किसान पोर्टल पर भूमि की सूची प्रकाशित करेगा।
5 - आई-किसान भूमि उपयोग योजना के साथ पोर्टल पर आवेदन कर सकेंगे।
6 - ऑनलाइन प्राप्त प्रस्ताव को तकनीकी रूप से राज्य तकनीकी समिति द्वारा जांचा जाएगा और सिफारिश के लिए उच्च स्तरीय समिति (उच्च शक्ति समिति) को भेजा जाएगा।
7- मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय उच्च स्तरीय समिति प्रस्ताव की जांच करेगी और 30 साल के लिए जमीन को लीज पर देने का फैसला करेगी।
8 - 30 वर्ष के पट्टे के पूरा होने के बाद आगे के लिए पट्टे के विस्तार पर विचार किया जा सकता है।
9
-
पट्टेदार
पट्टे
की
अवधि
समाप्त
होने
से
पहले
मुआवजे
के
बिना
भूमि
वापस
करने
में
सक्षम
होगा।
10
-
भूमि
के
लिए
पहले
5
वर्षों
तक
कोई
मूल
किराया
नहीं
लिया
जाएगा।
मूल किराया 11 - 6 से 10 साल के लिए प्रति वर्ष 100 रुपये प्रति एकड़, 11 से 20 साल के लिए प्रति एकड़ 250 रुपये, 21 से 30 साल के लिए प्रति एकड़ प्रति वर्ष 500 रुपये होगा।
12
-
सिक्युरिटी
डिपॉजिट
के
तौरपर
प्रति
एकड़
2500
रूपए
भूमि
आवंटन
के
समय
एक
साथ
अदा
करनी
होगी।
13
-
5
वर्षों
में
परियोजना
में
स्वीकृत
भूमि
पर
विकास
करना
होगा।
14 - परियोजना में सूक्ष्म सिंचाई की आधुनिक तकनीक के साथ ड्रिप सिंचाई प्रणाली के लिए मौजूदा मानदंडों (जीजीआरसी की निर्धारित दर के अनुसार) के अनुसार सरकार द्वारा अर्जित लागत का 70 प्रतिशत तक सर्वोच्च प्राथमिकता में केवल एक बार सहायता प्राप्त होगी।
15 - कृषि प्राथमिकता कनेक्शन को सर्वोच्च प्राथमिकता में दिया जाएगा। इसके लिए कृषि कनेक्शन को देखते हुए दरें और नियम लागू होंगे।
16- यदि बिजली कनेक्शन उपलब्ध नहीं है, तो आत्म-उपयोग के लिए आवश्यक सौर पैनलों (मोटर और पंपसेट को छोड़कर) की स्थापना के लिए 16 - 25 प्रतिशत सहायता की जाएगी। यह सहायता बड़े ब्लॉक के लिए प्रोरेटा बेस पर उपलब्ध होगी।
17
-
पवन
चक्कियाँ
लगाई
जा
सकती
हैं।
जिसमें
अतिरिक्त
बिजली
नहीं
बेची
जा
सकती
है।
18
-
पट्टे
पर
दी
गई
भूमि
पर
रूपांतरण
कर
से
छूट।
19
-
गैर-कृषक
पट्टाधारक
को
किसान
का
दर्जा
नहीं
मिलेगा।
20-भूमि
उपठेका
या
अन्य
उपयोग
के
लिए
नहीं
दी
जा
सकती।
21
-
पट्टे
की
भूमि
पर
सहायक
गतिविधि
के
उद्देश्य
के
लिए
लैंड
डीम्ड
एन.ए.माना
जाएगा।
लेकिन
निर्माण
योजना
को
सक्षम
प्राधिकारी
द्वारा
अनुमोदित
करना
होगा।
कलक्टर
को
सूचना
देनी
होगी
और
साथ
ही
ऐसी
भूमि
मूल्यांकन
(गैर-कृषि
कर
और
अन्य
करों)
के
अधीन
होगी।
22 - पट्टे की जमीन तक पहुंचने के लिए कच्चा एप्रोच रोड खोला जाएगा।
23 - संबंधित जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में सात सदस्यीय जिला स्तरीय भूमि चयन समिति बनाई जाएगी। गैर-उपजाऊ सरकारी भूमि के बीच जो बागवानी और औषधीय फसलों के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं
भूमि ब्लॉक / सर्वेक्षण संख्या की सूची तैयार करने के बाद वह यह सुनिश्चित करने के लिए अनुमोदन के लिए कृषि विभाग, किसान कल्याण और सहकारिता विभाग को सूची भेजेगा कि चयनित ब्लॉक सर्वेक्षण दबाव या अन्य उपयोग के लिए उपयोग में है या नहीं ।
24 - प्राप्त आवेदनों की जांच कृषि सचिव की अध्यक्षता में सात सदस्यीय तकनीकी समिति द्वारा की जाएगी।
25 - इस तकनीकी समिति के प्रस्ताव और सिफारिशों के आधार पर पट्टे पर ऐसी भूमि के आवंटन पर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री की 9 सदस्यीय उच्च शक्ति समिति द्वारा लिया जाएगा। समिति में उप मुख्यमंत्री के साथ-साथ कृषि मंत्री, राजस्व, कृषि राज्य मंत्री, मुख्य सचिव और राजस्व और वित्त के अतिरिक्त मुख्य सचिव सदस्य और कृषि सचिव सदस्य सदस्य होंगे। बागवानी के निदेशक कार्यान्वयन नोडल अधिकारी होंगे।
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मूल्यांकन
से
निर्यात
बढ़ाएंगे
शुष्क
और
अर्ध-शुष्क
होने
के
साथ-साथ
खारे
तटीय
क्षेत्रों
के
कारण
कृषि
विकास
चुनौती
है।
1.96
करोड़
हेक्टेयर
भूमि
में
से
50
प्रतिशत
यानी
98
लाख
हेक्टेयर
में
खेती
की
जा
रही
है।
पडि़त
और
गैर-उपजाऊ
भूमि
में
बागवानी
और
औषधीय
फसलों
की
खेती
की
पर्याप्त
संभावना
है।
2019-20
में
फलों
की
फसलें
4.46
लाख
हेक्टेयर
में
लगाई
गई
हैं।
92.61
लाख
मीट्रिक
टन
उत्पादन
के
साथ
देश
में
फलों
और
सब्जियों
का
कुल
उत्पादन
9.20
है।
बागवानी
फसलों
की
कुल
खेती
प्रति
वर्ष
20,000
हेक्टेयर
तक
बढ़
रही
है।
उत्तर
गुजरात
और
कच्छ
के
क्षेत्र
अनार,
अमरूद,
खरीक,
पपीता
जैसी
फसलों
के
केंद्र
के
रूप
में
उभरे
हैं।
मुख्यमंत्री
विजय
रूपानी
ने
घोषणा
की
थी
कि
शुष्क,
अर्ध-शुष्क
या
खारे
इलाकों
में
भूमि
आवंटित
की
जाएगी।