गुजरात: 270 महिला अदालतों ने 60,000 से ज्यादा मुद्दों को निपटाया, 2.50 लाख महिलाओं को मार्गदर्शन मिला
गांधीनगर। गुजरातभर में चल रहीं 270 महिला अदालतों के तहत 60 हजार समस्याओं का निराकरण किया गया। राज्य महिला आयोग की कानूनी अधिकारी श्रीमती भारतीबेन गढ़वी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि, 318 महिला-सम्मेलन आयोजित कर 2.50 लाख से अधिक महिलाओं को प्रत्यक्ष मार्गदर्शन दिया गया। इसी प्रकार, राज्य महिला आयोग द्वारा महिलाओं के सामाजिक और शैक्षिक उत्थान के लिए निरंतर प्रयास किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि, यह सब लीलाबेन अंकोलिया के नेतृत्व और मार्गदर्शन में हुआ।"
बता दिया जाए कि, महिसागर जिले में, गुजरात राज्य महिला आयोग गांधीनगर और जिला प्रशासन ने संयुक्त तत्वावधान में वीरपुर, लुनावाड़ा में महिलाओं की संवैधानिक-कानूनी अधिकारों और महिलालक्षीय योजनाओं से वाकिफ हो, साथ-साथ महिलाओं के न्यायालय संबंधित जानकारी एवं महिलाओं के सर्वांगीण विकास व सशक्तिकरण हो शुभ उद्देश्य के साथ गुजरात महिला आयोग की चेयरपर्सन श्रीमती लीलाबेन अंकोलिया की अध्यक्षता में नारी सम्मेलन का आयोजन किया गया।
गुजरात महिला आयोग की अध्यक्षा श्रीमती लीलाबेन अंकोलिया ने कहा कि आयोग एक ऐसे दृष्टिकोण के साथ काम कर रहा है जिसे अदालत में शिकायत पहुंचने से पहले आसानी से हल किया जा सकता है। साथ ही साथ आयोग कभी नहीं चाहता है कि किसी का घर-संसार बिखर जाए। जब तक संभव हो तब तक समझदारी से प्रश्नों का समाधान लाने का प्रयास किया जाता है। उन्होंने कहा कि राज्य महिला आयोग एकतरफा तरीके से कार्यवाही नहीं करती है, लेकिन हमें प्राप्त होने वाली प्रत्येक शिकायत के तथ्यों और विवरणों की जांच कर न्याय किया जाता है। आयोग कभी भी पुरुषों के साथ अन्याय नहीं करना चाहता। श्रीमती अंकोलिया ने इस पर चर्चा करते हुए कहा कि यदि महिलाओं को पुरुषों के समकक्ष बनना है, तो उन्हें उनके साथ कदम से कदम मिलाकार काम करना होगा और महिलाओं को छोटी-छोटी बातों को बड़ा स्वरुप देने से बचना चाहिए।
श्रीमती अंकोलिया ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा, समानता के अधिकारों का संरक्षण और महिलाओं का सशक्तिकरण राज्य सरकार और आयोग की प्राथमिकताएं हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर समाज के निर्माण के लिए महिलाओं का आगे आना अनिवार्य हो गया है।शिक्षा की कमी के कारण बड़े पैमाने पर महिलाओं और उनके शोषण के खिलाफ अत्याचार होते हैं। इसलिए हमारी बेटियों को शिक्षित करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि एक अच्छे समाज का निर्माण करना।
राज्य सरकार ने कई महिला लक्षीय योजनाओं को लागू करके नए आयाम बनाए हैं। इसमें नारी अदालत, महिला पुलिस स्टेशन, 181 हेल्पलाइन जैसी कई योजनाएं शामिल हैं। कोरोना अवधि के दौरान घरेलू हिंसा की कई घटनाएं सामने आई थी। इस स्थिति में आयोग ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 10,000 बहनों से परामर्श करके प्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्रदान किया। इसके अलावा, वैवाहिक समस्याओं को हल करने के लिए आयोग द्वारा पूर्व-वैवाहिक परामर्श सेवाएं प्रदान की जाती हैं। उन्होंने कहा कि पति-पत्नी शिक्षक के मामले में दोनों साथ रहें ऐसी व्यवस्था करने के लिए राज्य महिला आयोग ने शिक्षा विभाग से सिफारिश की है।
श्रीमती अंकोलिया के अनुसार, घर में महिलाओं के मुद्दों को सुलझाने और न्याय पाने के लिए राज्य में लगभग 270 महिला अदालतें हैं। इस अदालत में लगभग 400 बहनें काम कर रही हैं और लगभग 4000 बहनें स्वेच्छा से महिला अदालत में शामिल हुई हैं। जो अंतिम विस्तार के महिलाओं के साथ कोई अप्रिय घटना होती है तो उसकी जानकारी देती हैं।
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गुजरात राज्य महिला आयोग की कानूनी अधिकारी श्रीमती भारतीबेन गढ़वी ने कहा कि लीलाबेन अंकोलिया के नेतृत्व और मार्गदर्शन में, गुजरात महिला आयोग ने 60,000 से अधिक मुद्दों को हल किया है। 318 महिलाओं के सम्मेलन आयोजित कर 2.50 लाख से अधिक महिलाओं को प्रत्यक्ष मार्गदर्शन दिया है। इस प्रकार, राज्य महिला आयोग द्वारा महिलाओं के सामाजिक और शैक्षिक उत्थान के लिए निरंतर प्रयास किए जाते हैं
इस अवसर पर लूनवाड़ा विधायक जिग्नेशभाई सेवक ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से ही महिलाओं पर अत्याचार और उनके शोषण को रोका जा सकता है। ताकि महिलाओं में शिक्षा का प्रसार महिलाओं के शोषण और उनके खिलाफ होने वाले अत्याचारों को रोक सके। साथ ही पुरुष प्रधान समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों पर अंकुश लगाने में सक्षम होंगे।