सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, चार साल में बढ़ी 53 फीसदी पारेषण क्षमता, मिलेगी 24 घंटे बिजली
लखनऊ। प्रदेश में 24 घंटे निर्बाध बिजली की आपूर्ति का सपना जल्द ही साकार होने वाला है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि लगातार प्रयासों से प्रदेश में स्थापित पारेषण तंत्र की भार वहन क्षमता 25000 मेगावाट हो चुकी है। बीते चार सालों में इसमें 53 फीसदी तक इजाफा हुआ है। लॉकडाउन में जब लोग घर पर थे, तब बिजली की मांग भी बहुत थी। बावजूद इसके प्रदेश में सभी स्थान पर निर्बाध और पर्याप्त बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की गई। वर्तमान में लगभग 6100 करोड़ रुपए की लागत की पारेषण परियोजनाओं के कार्य पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) पद्धति से कराया जा रहा है।
सीएम योगी, शनिवार को 571.57 करोड़ की लागत से निर्मित 220 केवी के 02 तथा 132 केवी के 09 उपकेन्द्रों का लोकार्पण एवं 1347.91 करोड़ की लागत से निर्मित होने वाले 220 केवी के 10 व 132 केवी के 06 उपकेन्द्रों का शिलान्यास कर रहे थे। मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित कार्यक्रम में सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए विद्युत क्षेत्र में 'आत्मनिर्भरता' की जरूरत है। आज के युग में बिजली, विकास के लिए मुख्य अवयव है। खेती-किसानी हो, उद्योग-धंधे हों, मेडिकल हो या फिर अध्ययन-अध्यापन, हर कहीं बिजली की जरूरत है। सीएम ने उपभोक्ताओं की हर छोटी-बड़ी समस्या के त्वरित निस्तारण के निर्देश देते हुए उपभोक्ताओं को समय से बिजली बिल जमा करने की अपील भी की है।
कहा कि अगर हम ऐसा कर सके तो 24 घंटे बिजली आपूर्ति का सपना बहुत जल्द साकार होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विद्युत पारेषण तंत्र के उत्तरोत्तर विकास की श्रृंखला की नवीनतम कड़ी के में आज प्रदेश को 27 उपकेंद्रों का उपहार मिल रहा है, इससे अन्य उपकेंद्रों पर भार कम होगा तथा बिजली आपूर्ति और बेहतर होगी। नवलोकर्पित उपकेंद्र बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर अयोध्या, चित्रकूट, सीतापुर और मिर्जापुर जिले में स्थापित हैं जबकि लखनऊ, वाराणसी, फतेहपुर, गोण्डा, झांसी, फर्रुखाबाद, आगरा, सहारनपुर, मेरठ, महाराजगंज, भदोही, फिरोजाबाद, बस्ती, बांदा, बागपत, कुशीनगर में उपकेंद्रों का शिलान्यास किया गया।
सुचारु
बिजली
से
किसनों
को
मिला
फायदा
सीएम
ने
कहा
कि
प्रदेश
में
जब
किसान
पहले
अपने
खेत
में
पानी
डालने
जाता
था
तब
बिजली
नहीं
होती
थी,
लेकिन
आज
ऐसा
नहीं
है।
प्रदेश
की
अच्छी
विद्युत
की
आपूर्ति
ने
किसानों
की
लागत
को
कम
किया
और
उत्पादन
बढ़ाने
में
योगदान
दिया।
आज
आप
देख
सकते
हैं
कि
गांव
हो
या
शहर
रात्रि
में
बिजली
हर
जगह
होती
है।
अब
हमारा
प्रयास
सभी
जगह
24
घंटे
बिजली
देने
की
है।
उन्होंने
कहा
कि
प्रदेश
के
सुदूर
क्षेत्रों
में
कोविड
हॉस्पिटल
बनाने
और
टेलीमेडिसिन
व
टेलीकंसल्टेशन
की
सुविधा
देने
में
इसलिए
मदद
मिली,
क्योंकि
वहां
विद्युत
की
आपूर्ति
संभव
हो
पाई
थी।
इससे
वहां
बेहतर
स्वास्थ्य
सुविधाएं
उपलब्ध
कराने
में
मदद
मिली।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 1.21 लाख से अधिक गांव व मजरों में विद्युतीकरण का कार्य हुआ है। 1.38 करोड़ उपभोक्ताओं को नि:शुल्क विद्युत के कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। टोल फ्री नंबर जारी कर किसानों और उपभोक्ताओं की समस्याओं के निराकरण का काम हुआ है। निर्बाध विद्युत आपूर्ति ने किसानों की लागत को कम किया है और उत्पादन बढ़ाने में योगदान दिया है। आज गांव हों या शहर, हर ओर बिजली चमकती हुई दिखाई देती है। इन परियोजनाओं से प्रदेश में लगभग सभी कमिश्नरी को लाभ मिलेगा। साथ ही प्रदेश की जनता को निर्बाध रूप से विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है।
बिजली
आपूर्ति
में
अब
भेदभाव
नहीं
वर्चुअल
माध्यम
से
सम्पन्न
लोकार्पण-शिलान्यास
कार्यक्रम
में
मुख्यमंत्री
ने
कहा
कि
राज्य
सरकार
की
ऊर्जा
क्षेत्र
के
उत्तरोत्तर
विकास
की
प्रतिबद्धता
आज
मूर्त
रूप
ले
चुकी
है,
जिसके
सुखद
परिणाम
मिल
रहे
हैं।
बिजली
उत्पादन,
पारेषण
और
वितरण
सुचारु
है।
बीते
चार
साल
में
हर
व्यक्ति
ने
इसे
अनुभव
किया
है
कि
अब
बिजली
वितरण
में
किसी
प्रकार
का
भेदभाव
नहीं
होता।
यूपी
में
अब
लो-वोल्टेज
नहीं
प्रदेश
के
ऊर्जा
मंत्री
श्रीकांत
शर्मा
ने
कहा
कि
लगातार
हो
रहे
नियोजित
प्रयासों
से
आज
प्रदेश
में
लो-वोल्टेज
की
समस्या
खत्म
हो
चली
है।
रोस्टर
का
पूरा
अनुपालन
करते
हुए
उपभोक्ताओं
की
शिकायतों
का
पूरी
गंभीरता
के
साथ
निस्तारण
किया
जा
रहा
है।
विभागीय
मंत्री
ने
बिजली
क्षेत्र
में
प्रदेश
की
बेहतरी
का
श्रेय
मुख्यमंत्री
को
दिया।
केंद्रीय
राज्यमंत्री
संजीव
बालियान,
साध्वी
निरंजन
ज्योति,
प्रदेश
के
राज्य
मंत्री
उदयभान
सिंह
सहित
कई
सांसद
व
विधायकों
ने
उत्तर
प्रदेश
की
बिजली
उत्पादन
और
आपूर्ति
के
लिहाज
से
बीते
चार
सालों
को
ऐतिहासिक
बताया।
इस
अवसर
पर
ऊर्जा
क्षेत्र
में
हो
रहे
अभिनव
प्रयासों
पर
केंद्रित
लघु
फ़िल्म
का
प्रदर्शन
भी
किया
गया।
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