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Social Media Influencers: हकीकत पर हावी, सोशल मीडिया के ‘प्रभावी’

अपने पाठकों और दर्शकों को प्रभावित कर शोहरत और दौलत बटोरते सोशल मीडिया के प्रभावी लोगों पर नकेल कसने के लिए सरकार ने कुछ नये और सख्‍त नियम लागू किये हैं। इनका असर इनके कारोबार पर भी पड़ेगा और मनमाने व्‍यवहार पर भी।

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Social Media Influencers: पिछले कुछ सालों से सोशल मीडिया पर लोगों को प्रभावित कर उन्‍हें कुछ विशेष उत्‍पाद या सेवाएं खरीदने के लिए प्रेरित करने का धंधा, युवाओं में काफी लोकप्रिय हो रहा है। देश में ऐसे युवाओं की काफी बड़ी संख्‍या है, जो सोशल मीडिया को प्रभावित (इन्फ्लुएंस) करने का कारोबार शुरु कर चुके हैं। इससे वो हर महीने औसतन करीब 25 हजार रुपये कमा रहे हैं। इनमें हर महीने पांच हजार रुपये पाने वाले इन्‍फ्लुएंसर भी हैं और पांच लाख या इससे अधिक कमाने वाले भी।

ई-कॉमर्स वेबसाइट के अनुसार, इन्‍फ्लुएंसरों को फॉलोअर्स की संख्‍या के हिसाब से एक पोस्‍ट के लिए दस डॉलर से दस हजार डॉलर, या इससे भी अधिक का भुगतान किया जाता है। 20 प्रतिशत सालाना ग्रोथ रेट के साथ भारत में यह कारोबार इतना तेजी से फल-फूल रहा है कि वर्ष 2025 तक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर का देशी मार्केट 2,800 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है।

इन्फ्लुएंसरों के पांच लेवल

हमारे समाज की दूसरी कई चीजों की तरह, इन्फ्लुएंसरों की दुनिया भी वर्ग भेद से अछूती नहीं है। इन्‍हें मोटे तौर पर पांच श्रेणियों में बांटा गया है। पहले, एक से दस हजार फॉलोअर्स वाले नैनो इन्फ्लुएंसर, जिन्‍हें हर पोस्‍ट के लिए दस से सौ डॉलर मिलते हैं। दूसरे, दस हजार से पचास हजार फॉलोअर्स वाले माइक्रो इन्फ्लुएंसर, जिन्‍हें प्रत्‍येक पोस्‍ट के लिए सौ से पांच सौ डॉलर मिलते हैं। तीसरे, पचास हजार से पांच लाख फॉलोअर्स वाले मिड टियर इन्फ्लुएंसर, जिन्‍हें प्रति पोस्‍ट पांच सौ से पांच हजार डॉलर मिलते हैं। चौथे, पांच लाख से दस लाख फॉलोअर्स वाले मैक्रो इन्फ्लुएंसर, जिन्‍हें प्रत्‍येक पोस्‍ट के लिए पांच हजार से दस हजार डॉलर मिलते हैं। दस लाख से अधिक फॉलोअर्स वाले मेगा इन्फ्लुएंसर, जिन्‍हें उनकी हर पोस्‍ट के लिए दस हजार डॉलर और इससे ज्‍यादा मिलते हैं।

इंडस्‍ट्री मानकों के हिसाब से माना जाता है कि हर इन्‍फ्लुएंसर को प्रत्‍येक दस हजार फॉलोअर्स के लिए सौ डॉलर का भुगतान होता है। इनकी कमाई मुख्‍यत: चैनल मोनेटाइजेशन, इन्‍फ्लुएंसर मार्केटिंग, पेड प्रमोशन और एफिलिएट मार्केटिंग जैसे विकल्‍पों के माध्‍यम से होती है।

'जितने ज्‍यादा फॉलोअर, उतनी ज्‍यादा कमाई' सतही तौर पर बेहद स्‍वच्‍छ-सरल सा नजर आने वाला यह खेल, वास्‍तव में इतना सीधा-सच्‍चा भी नहीं है। यह सही है कि कमाई कराने लायक कद्रदानों की संख्‍या जुटाने में एक इन्‍फ्लुएंसर को बहुत मेहनत करनी पड़ती है और बहुत इंतजार भी।

लेकिन, होता यह है कि इनमें से बहुत सारे लोग एक बार सफलता मिलने के बाद इसे पचा नहीं पाते। उनके लिए कैश, क्रेडिबलिटी से ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण हो जाता है। ईजी और इन्‍सटेंट मनी कमाने के चक्‍कर में वे अपनी लोकप्रियता और प्रभाव का बेजा इस्‍तेमाल करने लग जाते हैं। आजकल लोगों में ऑनलाइन रिव्‍यू देखकर शॉपिंग की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। इसका फायदा उठाने के लिए कई इन्‍फ्लुएंसर कंपनी या मार्केटिंग एजेंसियों से गठजोड़ कर लेते हैं और गलत उत्‍पादों को प्रमोट करने में लग जाते हैं।

इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म्‍स पर ऐसे बहुत से इन्‍फ्लुएंसर मिल जायेंगे, जो इस तरह के भटकाव और लालच में फंसे हुए हैं। इन इन्‍फ्लुएंसरों के खिलाफ बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर, देश के उपभोक्‍ता मामलों के मंत्रालय ने पिछले हफ्ते इन पर लगाम कसने के लिए कुछ नये नियम लागू किये हैं। नई गाइडलाइंस के मुताबिक, सेलिब्रिटी, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और वर्चुअल इन्फ्लुएंसर किसी प्रॉडक्‍ट को प्रमोट कर रहे है, तो उसे बताना होगा कि यह पेड कंटेंट है या अनपेड, क्‍योंकि आम लोगों के लिए पेड या अनपेड कंटेंट में फर्क कर पाना कठिन होता है।

इसके अलावा, सोशल मीडिया पर भ्रामक या फिर पेड कंटेंट को गलत तरीके से प्रचारित करने पर उन पर शुरू में दस लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। नियमों के बार-बार उल्लंघन पर पचास लाख रुपए तक वसूले जा सकते हैं और छह वर्ष तक उत्‍पादों का प्रचार करने से प्रतिबंधित भी किया जा सकता है। यह नये नियम स्‍थ‍ापित सितारों इन्फ्लुएंसरों, दोनों पर लागू होंगे।

इन्फ्लुएंसिंग स्‍टार्स और स्‍टार इन्फ्लुएंसर्स

दोनों का काम बेशक एक ही हो, लेकिन उनके स्‍वरूप अलग-अलग होते हैं। इन्फ्लुएंसिंग स्‍टार्स वे होते हैं, जो पहले से स्‍टार हैं इसलिए उन्‍हें किसी ब्रांड या प्रॉडक्‍ट को एन्‍डोर्स करने का काम सौंपा जाता है। वहीं, स्‍टार इन्फ्लुएंसर्स वे हैं जिनका कैरियर ही इन्फ्लुएंसिंग से शुरू हुआ है और अपनी निरंतरता, धैर्य व श्रम के बल पर उन्‍होंने इन्फ्लुएंसिंग की दुनिया में हैसियत बनायी है।

यहां दोनों एक स्‍तर पर काम करते हैं, और उन्‍हें एक ही कसौटी पर रखकर काम मिलता है। वह यह कि उनके फॉलोअर्स की संख्‍या कितनी बड़ी है और किस गति से बढ़ रही है। बढ़ती संख्‍या के साथ, इन्‍हें मिलने वाला काम और भुगतान भी बढ़ता जाता है। इनके काम की वजह से इन्‍हें प्‍यार करने वाले फॉलोअर्स इनका विश्‍वास भी करते हैं। इसी विश्‍वसनीयता का फायदा उठाकर वे उन्‍हें अपनी बात मानने के लिए प्रेरित करते हैं। और ये बात कई बार गलत भी हो सकती है और आर्थिक या भावनात्‍मक रूप से नुकसान पहुंचाने वाली भी।

बढ़ा रहा है हीनता का अहसास

बात अगर कुछ उत्पादों या सेवाओं के प्रचार तक सीमित रहे तो प्रभावित इंसान आर्थिक नुकसान मान कर सब कर लेता है। लेकिन, इन्फ्लुएंसर फैशन से लेकर रिलेशन तक, शारीरिक सौष्ठव से लेकर रंग-रूप तक, यात्रा, निवेश, जीवन शैली, धर्म, राजनीति जैसी हर चीज को लेकर अपने फॉलोअर्स को परामर्श देना, प्रभावित करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं। जो उनकी दी सलाह पर चलने में सक्षम नहीं होते, वे कुंठाओं से घिरने लगते हैं।

खासकर ऐसे युवा व किशोर, जो उन्हें अपना आदर्श मानकर उनके नक्शे कदम पर चलना चाहते हैं। उनमें असुरक्षा और हीनता की भावना घर करने लगती है। अपने फैसलों को लेकर उनका आत्मविश्वास डगमगाने लगता है और वे डिप्रेशन, बॉडी डिसमॉर्फिया, एंगज़ाइटी जैसी मानसिक समस्याओं में घिरने लगते हैं।

उत्पादकों को आ रहे हैं रास

इतनी सारी खामियों के बावजूद, उत्पादकों और सेवाप्रदाताओं के लिए सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर पहली पसंद बन चुके हैं। इसकी कई वजह हैं। एक तो ये प्रिंट या टीवी विज्ञापनों के भारी भरकरम खर्च और खेल, सिनेमा या संगीत जगत के सितारों की तुलना में काफी सस्ते पड़ते हैं। दूसरे, प्रसिद्ध हस्त्तियों या विज्ञापन में आने वाले सितारों के बारे में अधिकतर लोगों का यह मानना है कि वे उन्हें गुमराह करते हैं। पैसे के लिए ऐसी चीजों को प्रमोट करते हैं, जिन्हें वे खुद इस्तेमाल नहीं करते।

इसके विपरीत इन्फ्लुएंसर उन्हें अपने ही जैसे, अपने ही करीबी लोग लगते हैं। साथ ही उन्हें इनके साथ सीधे संवाद के भी अवसर मिलते रहते हैं। इसलिए वे भावनात्मक रूप से उनसे जुड़ाव महसूस करते हैं और उनका विश्वास करते हैं। लेकिन, अब इन्फ्लुएंसर भी इसी राह पर बढ़ चले हैं और अपनी विश्वसनीयता गंवाने लगे हैं।

सभी एक जैसे नहीं

हर क्षेत्र की तरह इसमें भी अच्छे-बुरे, दोनों किस्म के इन्फ्लुएंसर बहुतायत में हैं। अगर यहां खराब लोग हैं तो अच्छे लोग भी कम नहीं हैं। थोड़ा सर्च करेंगे तो आपको सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर ऐसे बहुत से इन्फ्लुएंसर मिल जाएंगे। ये सही को सही और गलत को गलत करने में विश्वास करते हैं। और बिना किसी लालच, भय या दुर्भावना के, अपने फॉलोअर्स को वही करने को कहते हैं, जो उनके हित में हो सकता है।

लेकिन, 'एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है' वाली स्थिति से यह क्षेत्र भी अछूता नहीं है। आशा की जानी चाहिए कि नई गाइडलाइंस, तेजी से बढ़ रही इन्फ्लुएंसिंग की दुनिया में फैली गंदगी को साफ करने में मददगार साबित होंगी।

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(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं। लेख में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)

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