क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कहां से आया “सर तन से जुदा” का नारा?

Google Oneindia News

इन दिनों सोशल मीडिया में ही नहीं बल्कि सामान्य लोगों में भी एक नारा खौफ का सबब बना हुआ है। "गुस्ताख ए रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा"। सोशल मीडिया पर इस नारे को बैन करने की मांग भी उठ रही है क्योंकि इसी नारे के सहारे नुपुर शर्मा वाले मामले में मुसलमानों को भड़काया जा रहा है। सवाल ये है कि यह नारा कहां से आया और इसे किसने ईजाद किया?

Where did the sar tan se juda slogan

इसके लिए दस साल पीछे जाना होगा। पाकिस्तान में 2011 में पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की उनके ही गार्ड मुमताज कादरी ने हत्या कर दी थी। सलमान तासीर पर आरोप था कि उन्होंने पाकिस्तान के कुख्यात ब्लासफेमी कानून की आलोचना कर दी थी।

सलमान तासीर की हत्या के बाद पाकिस्तान में एकदम से राजनीतिक भूचाल आ गया। इसी समय में एक मौलाना काफी चर्चा में आया जिसका नाम था खादिम हुसैन रिजवी। इस मौलाना ने मुमताज कादरी को "गाजी" घोषित किया और पूरे पाकिस्तान में उसके समर्थन में लोगों को इकट्ठा किया। उसी दौरान उसके जलसों में दो नारे लगने शुरु हुए। इसमें एक था "लब्बैक या रसूल अल्लाह" और दूसरा "गुस्ताख ए रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा"। इन दो नारों ने मानों पूरे पाकिस्तान को अपने प्रभाव में ले लिया था।

हालांकि 2016 में मुमताज कादरी को सलमान तासीर की हत्या के अपराध में फांसी दे दी गयी लेकिन इस सजा का भी इस्तेमाल मौलाना खादिम हुसैन रिजवी ने अपना प्रभाव बढाने के लिए किया। "शहीद" मुमताज कादरी के नमाज ए जनाजा में एक लाख से अधिक लोग आये थे। इस अपार समर्थन से खादिम हुसैन रिजवी और अधिक उत्साहित हुआ और उसने तहरीक ए लब्बैक नामक एक राजनीतिक दल भी बना लिया। उसने पाकिस्तान को सच्चा इस्लामिक मुल्क बनाने का वादा किया। 2018 के चुनाव में उसे नेशनल एसेम्बली में सीट तो कोई नहीं मिली लेकिन कुल वोटों का 4.9 प्रतिशत खादिम हुसैन रिजवी को मिला था। पंजाब और सिन्ध के एसेम्बली इलेक्शन में भी उसे लगभग इतने ही वोट मिले। पहली ही बार में मिली इस राजनीतिक सफलता से पूरे पाकिस्तान में खादिम हुसैन रिजवी चर्चा में आ गया।

पाकिस्तान का सौभाग्य कहिए या दुर्भाग्य राजनीतिक पार्टी बनाने के दो साल बाद ही नवंबर 2020 में खादिम हुसैन रिजवी संदिग्ध रूप से बुखार में मर गया। लेकिन उसने "सर तन से जुदा" वाला जो नारा दे दिया, वह न केवल पाकिस्तान में बल्कि भारत में भी सभ्य समाज के लिए एक बड़ा संकट बन गया है।

टीवी पर नुपुर शर्मा का बयान हो या फिर उससे पहले यति नरसिंहानंद द्वारा उठाये गये सवाल हों। इनके विरोध में मुसलमानों द्वारा जितने भी प्रदर्शन हुए उन सभी प्रदर्शनों में खुलकर "सर तन से जुदा" के नारे लगाये गये। मुसलमानों ने इस नारे को ऐसे अपना लिया मानों खादिम हुसैन रिजवी ने इस एक नारे से मुसलमान को उसकी सही पहचान दे दिया। लेकिन अब सोशल मीडिया पर इन नारों को लगाने वालों के खिलाफ ही कानूनी कार्रवाई करने की मांग हो रही है।

मसला नारा लगाने तक ही सीमित रहता तो भी बात इतनी नहीं बिगड़ती। इस नारे के साथ-साथ कथित तौर पर मुसलमानों के नबी की निंदा करनेवालों के सर तन से जुदा भी किये जा रहे हैं। इसी साल अब तक नबी निंदा के नाम पर तीन हत्याएं हो चुकी हैं। पहली जनवरी में किशन भरवाड़ की गुजरात में, दूसरी, उमेश कोल्हे की महाराष्ट्र में और तीसरी कन्हैयालाल की राजस्थान में। इससे पहले 2019 में लखनऊ में कमलेश तिवारी की हत्या भी कथित तौर पर नबी निंदा के नाम पर ही की गयी थी।

इस साल हुई अगर तीनों हत्याओं को देखें तो इन हत्याओं में बहुत कुछ समानता नजर आती है। जैसे किशन भरवाड़ और कन्हैयालाल की हत्याएं इस्लाम की बरेलवी विचारधारा से जुड़े मुसलमानों ने की हैं। स्वयं खादिम हुसैन रिजवी जिसने सर तन से जुदा का नारा दिया था वह भी बरेलवी मशलक वाला मुसलमान ही था। कन्हैयालाल के हत्यारे रियाज अतरी और गौस मोहम्मद खान भी इस्लाम की बरेलवी विचारधारा वाले मुसलमान ही हैं। ये लोग पाकिस्तान के जिस इलियास कादरी से प्रभावित थे और उसके पास रहकर भी आये थे, वह इलियास कादरी भी बरेलवी मशलक का मुसलमान है और दावत ए इस्लामी नामक इस्लामिक संगठन का चीफ है। किशन भरवाड़ की हत्या का तार भी बरेलवी मशलक वाले मौलाना कमर गनी उस्मानी से जुड़ा था। मौलाना कमर गनी को दिल्ली के दरियागंज से गिरफ्तार किया गया था। वही किशन भरवाड़ की हत्या का सूत्रधार था।

यह एक आश्चर्यजनक तथ्य है कि बरेलवी मशलक से जुड़े मुसलमानों को कट्टरपंथी देओबंदियों के मुकाबले में अधिक उदार समझा जाता है लेकिन इतिहास इस बात का गवाह है कि नबी निंदा के नाम पर भारत और पाकिस्तान में जितनी हत्याएं हुई हैं उनमें से ज्यादातर के तार बरेलवी मशलक से ही जुड़ते हैं। कथित तौर पर नबी निंदकों की हत्या के पीछे हमेशा कोई न कोई बरेलवी मौलाना या मौलवी ही पाया जाता है।

कौन हैं बरेलवी और देओबंदी मुसलमान?

भारतीय उपमहाद्वीप में सुन्नी मुसलमानों के दो बड़े फिरके हैं। बरेलवी और देओबंदी। बरेलवी मुसलमान भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में मुसलमानों के बीच बहुसंख्यक हैं। इस्लाम के भीतर बरेलवी मशलक या विचारधारा की शुरुआत अहमद रजा खान कादरी से होती है। अहमद रजा खान को भारत और पाकिस्तान में आला हजरत के नाम से भी जाना जाता है। अहमद रजा खान उन्नीसवीं सदी में हुए और उन्होंने इस्लाम पर सैकड़ों किताबें लिखीं। अहमद रजा खान कादरी ने मुख्य रूप से सलफी या देओबंदी विचारधारा के खिलाफ दलीलें दी थीं। देओंबंदी मुसलमान सूफी परंपरा या दरगाहों को हराम मानते हैं जबकि बरेलवी मशलक के मुसलमान मजारों और दरगाहों को पूजते हैं। इस लिहाज से इन दोनों के बीच आपसी टकराव भी होता रहता है। दोनों ही एक दूसरे को काफिर करार देते हैं।

देओबंदी और बरेलवी दोनों ही इस्लाम के सुन्नी हनफी स्कूल से जुड़े हुए हैं और अपने नबी की सुन्नत पर भरोसा करते हैं। कुरान के साथ साथ हदीसों को जस का तस स्वीकार करते हैं। लेकिन देओबंदी विचारधारा से जुड़े मुसलमान नबी निंदा के नाम पर की जानेवाली हत्याओं को सही नहीं मानते हैं। उनका कहना होता है कि जिहाद के जरिए पहले इस्लामी निजाम कायम करना जरूरी है। जहां सेकुलर निजाम है वहां ऐसे नबी निंदकों को खुद सजा देने से अच्छा है कि उन्हें कानून के हवाले किया जाए। कन्हैयालाल की हत्या के बाद भी देओबंदी जमातों की ओर से इस हत्या की निंदा करते हुए ऐसा ही बयान जारी किया गया। लेकिन बरेलवी मशलक के मुसलमान ऐसा नहीं समझते। वो मानते हैं कि जो उनके नबी की निंदा करता है, उसको जीने का कोई हक नहीं रह जाता।

यह भी पढ़ें: नूपुर शर्मा पर नहीं, ब्लासफेमी पर सवाल उठाइए मी लॉर्ड

(इस लेख में व्यक्त विचार, लेखक के निजी विचार हैं. आलेख में दी गई किसी भी सूचना की तथ्यात्मकता, सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं।)

Comments
English summary
Where did the sar tan se juda slogan
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X