क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

Real Beauty: आखिर क्या है सुंदरता का मापदंड?

By Dr. Neelam Mahendra
Google Oneindia News

नई दिल्ली। हाल ही में IIT में पढ़ने वाली एक लड़की के आत्महत्या करने की खबर आई कारण कि वो मोटी थी उसे अपने मोटा होना इतना शर्मिंदा करता था की वो अवसाद में चली गयी उसका अपनी परीक्षाओं में अव्वल आना भी उसे इस दुःख से बहार नहीं कर पाया यानी उसकी बौधिक क्षमता शारीरक आकर्षण से हार गयी दरअसल। आज हम जिस युग में जी रहे हैं वो एक ऐसा वैज्ञानिक और औद्योगिक युग है जहां भौतिकवाद अपने चरम पर है। इस युग में हर चीज का कृत्रिम उत्पादन हो रहा है। ये वो दौर है जिसमें ईश्वर की बनाई दुनिया से इतर मनुष्य ने एक नई दुनिया का ही अविष्कार कर लिया है यानी कि वर्चुअल वर्ल्ड। इतना ही नहीं बल्कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी आर्टिफिशल इनटेलीजेंस ने भी इस युग में अपनी क्रांतिकारी आमद दर्ज कर दी है।

आज सुंदरता एक नैसर्गिक गुण नहीं रह गया है...

आज सुंदरता एक नैसर्गिक गुण नहीं रह गया है...

ऐसे दौर में सौंदर्य कैसे अछूता रह सकता था। इसलिए आज सुंदरता एक नैसर्गिक गुण नहीं रह गया है अपितु यह करोड़ों के कॉस्मेटिक उद्योग के बाज़रवाद का परिणाम बन चुका है। कॉस्मेटिक्स और कॉस्मेटिक सर्जरी ने सौंदर्य की प्राकृतिक दुनिया पर कब्ज़ा कर लिया है। आज नारी को यह बताया जा रहा है कि सुंदरता वो नहीं है जो उसके पास है। बल्कि आज सुदंरता के नए मापदंड हैं और जो स्त्री इन पर खरी नहीं उतरती वो सुंदर नहीं है। परिणामस्वरूप आज की नारी इस पुरुष प्रधान समाज द्वारा तय किए गए खूबसूरती के मानकों पर खरा उतरने के लिए अपने शरीर के साथ भूखा रहने से लेकर और न जाने कितने अत्याचार कर रही है यह किसी से छुपा नहीं है। सबसे बड़ी विडम्बना तो यह है कि खूबसूरत दिखने के लिए महिलाएं उन ब्यूटी पार्लरस में जाती हैं जिनका संचालन करने वाली महिलाओं का सुंदरता अथवा सौंदर्य के इन मानकों से दूर दूर तक कोई नाता ही नहीं होता।

यह पढ़ें: मनोज तिवारी ने कहा-खबर पक्की, भाजपा में ही शामिल होंगी सपनायह पढ़ें: मनोज तिवारी ने कहा-खबर पक्की, भाजपा में ही शामिल होंगी सपना

सुंदरता चेहरे का नहीं दिल का गुण है...

सुंदरता चेहरे का नहीं दिल का गुण है...

दरअसल आज हम भूल गए हैं कि सुंदरता चेहरे का नहीं दिल का गुण है। सुंदरता वो नहीं होती जो आईने में दिखाई देती है बल्कि वो होती है जो महसूस की जाती है। हम भूल गए हैं कि सम्पूर्ण सृष्टि ईश्वर का ही हस्त्ताक्षर है और इस शरीर के साथ साथ हमारा यह जीवन हमें उस प्रभु का दिया एक अनमोल उपहार। लेकिन आज सुंदरता में पूर्णता की चाह में स्त्री भूल गई है कि अधूरेपन और अव्यवस्था में भी एक खूबसूरती होती है। वो भूल गई है कि ईश्वर की बनाई हर चीज़ खूबसूरत होती है।कली की सुंदरता फूल से कम नहीं होती और बागीचे की खूबसूरती वन से अधिक नहीं होती । सूर्योदय की अपनी खूबसूरती है तो सूर्यास्त की अपनी। पहाड़ों की अपनी सुंदरता है तो नदियों और समुद्र की अपनी। अगर हमें मोर अपनी ओर आकर्षित करता है तो कोयल भी। वस्तुतः खूबसूरती तो प्रकृति की हर वस्तु में होती है लेकिन दुर्भाग्यवश हर किसी को दिखाई नहीं देती।

 सुंदरता देखने वाले की आंखों में होती है...

सुंदरता देखने वाले की आंखों में होती है...

कहते हैं कि सुंदरता देखने वाले की आंखों में होती है इसलिए जिस दिन स्त्री खुद को खुद की नज़रों से देखेगी दुनिया की नहीं उस दिन उसकी सौंदर्य की परिभाषा भी बदल जाएगी। वो समझ जाएगी कि सुंदर तो ईश्वर की बनाई हर कृति होती है लेकिन जब किसी वस्तु की सुंदरता के मापदंड तय कर दिए जाते हैं या फिर तकनीकी रूप से सुंदरता की बात की जाती है तो इसका मतलब उसके ज्यामितीय रूप से होता है। उसके अंगो के माप से होता है या फिर उसके रंग उसके भौतिक स्वरूप से होता है। स्त्री को समझना होगा कि ऐसे मापदंडों के जाल में जो स्त्री अपने शरीर की सुंदरता ढूंढती है, जब वो खुद ही देह से परे अपना आस्तित्व नहीं देख पाएगी तो यह पुरूषप्रधान समाज कैसे देख पाएगा। इसलिए सबसे पहले तो स्त्री को स्वयं को इन मापदंडों से मुक्त करना होगा। इस दौर में जब पुरुषों के गोरे होने की क्रीमों के विज्ञापनों की बाढ़ आई हो तो उसे अपने सांवले रंग पर गर्व महसूस करना होगा।

व्यक्तित्व को संवारना होगा।

व्यक्तित्व को संवारना होगा।

इस दौर में जब पुरषों में अपनी बाइसेप्स ट्राइसेप्स और ऐब्स का प्रदर्शन करने की होड़ लगी हो, उसे अपने व्यक्तित्व को संवारना होगा। वो जो है जैसी है खुद पर नाज़ करना होगा। उसे याद दिलाना होगा खुद को कि यह वो देश है जहाँ अगर गौरी हैं तो महाकाली भी हैं और पूजनीय दोनों ही हैं। ये वो देश है जहां नारी केवल स्त्री देह नहीं है वो शक्ति का केंद्र है, वो शक्ति की देवी है, धन की देवी है, ज्ञान की देवी है, अन्नपूर्णा है, सृजनकर्ता है। वो कोमलता का प्रतीक है तो जन्मदात्री के रूप में सहनशक्ति की पराकाष्ठा है। ये वो देश है जहाँ सौंदर्य एक भौतिक गुण नहीं एक आध्यात्मिक अनुभूति है। क्योंकि ये वो देश है जहाँ सुंदरता की परिभाषा है, "सत्यं शिवम सुंदरम" है । यानी जो सत्य है वो शिव है और वो ही सुंदर है। और सत्य क्या है ? ये शरीर ? लेकिन शरीर तो नश्वर है! जी हाँ सत्य तो वो आत्मा है जो इस शरीर में निवास करती है। वो अगर सुंदर है तो ये सुंदरता ही सत्य है। इसलिए हमारी संस्कृति में बाहरी गुणों से अधिक महत्व भीतरी गुणों को दिया गया है। यही कारण है कि शास्त्रों में तन से अधिक मन की सुदंरता को महत्व दिया गया है। इसलिए जिस दिन स्त्री खुद को पहचान लेगी वो सौंदर्य के मौजूदा मानकों को अस्वीकार करके सुंदरता की अपनी नई परिभाषा गढेगी।

यह पढ़ें: उद्योगपति नेस वाडिया को दो साल की सजा, जानें पूरा मामला यह पढ़ें: उद्योगपति नेस वाडिया को दो साल की सजा, जानें पूरा मामला

Comments
English summary
The word BEAUTY actually defines the beauty in our character in our nature but not our external appearance. Now a days people especially teenagers think that external beauty is most important and without external beauty they are not beautiful.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X