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स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए देश के कर्ताधर्ताओं को खुद पेश करनी होगी नजीर

By दीपक कुमार त्यागी
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कोरोना वायरस (कोविड़-19) महामारी के संक्रमण से लोगों की जिंदगियों को बचने के लिए लगाए गये बेहद आवश्यक सम्पूर्ण लॉकडाउन ने विश्व के अधिकांश देशों की वित्तीय स्थिति खराब कर दी है। एक अदृश्य मानव सभ्यता के दुश्मन घातक कोरोना वायरस ने आज दुनिया के सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं को बहुत ही बुरी तरह से अस्त-व्यस्त करके ध्वस्त कर दिया है। हमारे देश की अर्थव्यवस्था भी उसके प्रभाव से अछूती नहीं है, आज हमारे देश की अर्थव्यवस्था को भी बहुत ही ज्यादा मुश्किल हालात के दौर से गुजरना पड़ रहा है। हमारे देश के दिग्गज नीतिनिर्माता लगातार अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के लिए धरातल पर तरह-तरह के प्रयास कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय को भारत के लिए एक बहुत ही अच्छे व्यापारिक मौके के रूप में देख रहे हैं। 12 मई को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने राष्‍ट्र के नाम संबोधन में देश की आम जनता से कहा था कि संकट के इस दौर में "लोकल" ने ही हमें बचाया है, स्थानीय स्तर पर निर्मित उत्पादों ने ही हमें आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया है, हमें इसे ही अपने आत्मनिर्भर बनने का मंत्र बनाना चाहिये, अपने संबोधन में उन्होंने पहली बार "लोकल पर वोकल" का एक नया नारा भी देश की सम्मानित जनता को दिया है।

स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए खुद पेश करनी होगी नजीर

वैसे आज के हालात में देखा जाये तो यह देश के सभी वर्गों के लोगों के बहुत ज्यादा हित में है, स्वदेशी वस्तु अपनाने से भारत की अपनी कंपनियों को बहुत अधिक लाभ होगा, इस से विदेशी कंपनियों के माध्यम से देश का विदेशों में जाने वाले पैसे पर रोक लगेगी, स्वदेशी अपनाने से यह पैसा भारतीय कंपनियों के माध्यम से भारत में ही रहेगा, सरकार को भी विभिन्न मद्दों में भारी राजस्व प्राप्त होगा और इन भारतीय कंपनियों में काम करने वाले भारतीय कामगारों की जेब में भी खूब पैसा आयेगा। जिससे देश में भयंकर आपदा के समय बेहद कमजोर होती भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए एक बहुत बड़ा सहारा मिलेगा, देश प्रधानमंत्री मोदी के दिये गये आत्मनिर्भरता के मंत्र की तरफ बढेगा। भारत में स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा देखा गया यह सपना अगर किसी तरह से धरातल पर मूर्त रूप लेने में कामयाब हो जाये, तो यह 135 करोड़ की भारी-भरकम जनसंख्या वाले बहुत ही विशाल भारतीय बाजार के साथ-साथ हम सभी देशवासियों की भी तकदीर बदल सकता है।

स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए खुद पेश करनी होगी नजीर

लेकिन इस में सबसे बड़ी अड़चन अगर कोई है तो वह स्वयं देश के सिस्टम में बड़े पदों पर आसीन वो चंद ताकतवर लोगों खुद ही है, जिनका विदेशी वस्तुओं से प्रेम देश में किसी से छिपा नहीं है। जिन्होंने विदेशी महंगी वस्तुओं को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल कर रखा है, जिनके हिसाब से भारतीय कंपनियों के प्रोडक्ट्स उनके स्टेट्स सिंबल को डाउन करते है, जो खुद व उनका परिवार भारतीय कंपनियों के सामान खरीदने में अपनी तोहीन समझते है और विदेशी वस्तुओं को खरीदने में अपनी बहुत शान समझते है, आज देश में इन लोगों की स्थित यह है की ये कपड़े, जूते, पर्स, बेल्ट, टाई, पर्फ्यूम, साबुन, चाकलेट, कोल्डड्रिंक, चाय, कॉफी, शराब, दवाई, मोबाइल, पेन, कम्प्यूटर, लेपटॉप, अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, चश्मा, घड़ी, गाड़ी आदि तो विदेशी खरीदते ही है इनको ड्राइफ्रूट्स, फल-फूल व सब्जी भी विदेशी चाहिए। सरकार को देश में स्वदेशी वस्तुओं को प्रोत्साहित करने के लिए इस सबसे बड़ी बाधा का स्थाई निदान तत्काल करना होगा।

स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए खुद पेश करनी होगी नजीर

सरकार के सिस्टम को भी भाषण से बाहर निकाल कर स्वदेशी वस्तुओं के प्रोत्साहन के लिए धरातल पर अमलीजामा पहनाने की पहल खुद से करनी होगी, उनको खुद के इस्तेमाल में सबसे पहले स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना होगा, देश के शीर्षस्थ राजनेताओं, नौकरशाहों व सरकारी कार्यालयों के द्वारा स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा देकर देशवासियों के सामने नजीर पेश करनी होगी, तब ही अन्य सरकारी स्टाफ व देश की आम जनता उनका अनुसरण करेगी और तभी स्वदेशी वस्तुओं के हित में धरातल पर कुछ ठोस बदलाव भी संभव है। वैसे भी हमारे यहां एक बहुत प्राचीन कहावत है कि "यथा राजा तथा प्रजा" जैसा राजा होता है वैसी ही प्रजा होती है, इसलिए यदि राजा स्वयं अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करने लगेगा, तो जनता भी उसी का अनुसरण करेगी। वैसे स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल के पक्ष में देश के केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तुरंत ही धरातल पर बहुत ही अच्छी पहल शुरू कर दी है, उन्होंने 1 जून से केन्द्रीय सुरक्षाबलों की केंटीन में केवल स्वदेशी वस्तुओं को बेचने का आदेश जारी करके अन्य विभागों के सामने एक बहुत ही अच्छी नजीर पेश की है। अब दूसरे सरकारी विभागों को भी उनका अनुसरण करना चाहिए।

स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए खुद पेश करनी होगी नजीर

जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए सभी देशवासियों से स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने के लिए कहा था, आपदाकाल के बाद देश को पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने की यह पहल भविष्य में हम सभी भारतवासियों के लिए बहुत ही सकारात्मक अच्छे परिणाम ला सकती है। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि आखिर देश में स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल को बढ़ावा वास्तव में धरातल पर कैसे मिलेगा, उसके प्रोत्साहन के लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकारें मिलकर क्या रूपरेखा तैयार करती हैं और उनको किस तरह से धरातल पर अमलीजामा पहनाती है। क्योंकि आज देश में बहुत ही लम्बे समय से सरकारों की नीतियों के चलते ही विदेशी कंपनियों ने भारतीय बाजार के बहुत बड़े हिस्से पर कब्जा कर रखा हैं। सरकार को भी अपनी नीतियों में स्वदेशी कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रावधान धरातल पर करना होगा। क्योंकि आज जो हालात है कि एक तरफ तो सरकार कह रही है कि स्वदेशी वस्तुओं को अपनाओं, वहीं दूसरी तरफ धड़ल्ले से विदेशी उत्पाद भारत के बाजारों में आ रहे हैं, आज उनसे देश के बाजार भरे पड़े है, जिसके बारे में सरकार को जल्द ही सोचकर स्पष्ट नीति बनानी होगी।

लचर सिस्टम की भेंट चढ़ते देश के शिल्पकार मजदूरलचर सिस्टम की भेंट चढ़ते देश के शिल्पकार मजदूर

स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए खुद पेश करनी होगी नजीर

वैसे भी आज देश में विदेशी वस्तुओं के पक्ष में जो माहौल बना हुआ है, वह भारतीय वस्तुओं के लिए ठीक नहीं है, सरकार को लोगों की उस सोच को बदलना होगा। लेकिन यह जब तक संभव नहीं है जब तक हमारे देश के कुछ बहुत बड़े राजनेताओं, बहुत ताकतवर नौकरशाहों, देश के कर्ताधर्ता नीतिनिर्माता, खुद उधोगपतियों, अभिनेताओं व अन्य अधिकांश सभी वर्ग के ताकतवर लोगों को अपने देश की स्वदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल करने में तोहीन नजर आती रहेगी, तब तक स्वदेशी वस्तुओं का प्रचार-प्रसार व उपयोग धरातल पर कैसे संभव है, हमारे सिस्टम को इन सभी लोगों की यह मानसिकता बदलनी होगी। क्योंकि आज यह सभी ताकतवर लोग ही देश के आम आदमी को स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल की बात बनाने रहे है, जबकि वह खुद सिर से लेकर पांव तक करोड़ों रुपये की विदेशी वस्तुओं से हर समय ढ़के रहते हैं। फिर वो आम-आदमी से किस अधिकार के साथ उम्मीद कैसे कर सकते है कि वो 50 रुपये की चीन की झालर ना खरीदकर विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करें।

स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए खुद पेश करनी होगी नजीर

देश के सक्षम लोगों को स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए खुद देशभक्ति का नमूना धरातल पर दिखाना होगा, तभी देश में स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल को प्रोत्साहन मिलेगा और देश आत्मनिर्भर बनेगा। देश में ऐसा नहीं होना चाहिए कि अरबों रुपये की प्रतिमा से लेकर लडा़कू विमान तक के बड़े-बड़े मोटे पैसे वाले काम तो चीन या अन्य विदेशी कंपनियां करें, हजारों करोड़ रुपये के मूल्य का एयरपोर्ट विदेशी कंपनी बनाये, बड़े-बड़े अरबों-खरबों रुपये के टेंडर तो विदेशी कंपनियों को मिलेंगे, देश में डिजिटल पैमेंट करने के लिए विदेशी कंपनियों को प्रोत्साहित करेंगे, एफडीआई को जबरदस्त रूप से बढ़ावा देंगे। तो ऐसे नकारात्मक माहौल में भारतीय कंपनियों को प्रोत्साहन किस तरह मिल पायेगा, वो इतने नकारात्मक माहौल में विदेशी कंपनियों को किस तरह धरातल पर टक्कर दे पायेंगे यह सोचने व समझने वाली बात है। खैर जो भी है लेकिन यह भी कड़वा सच है कि अगर 135 करोड़ लोगों की आबादी बिना सरकार के दिशा निर्देशों के भी स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल की ठान ले तो विदेशी कंपनियों की दुकान खुद चलनी बंद हो जायेगी और स्वदेशी वस्तुएं बाजार में स्थापित हो जायेगी। सरकार का "लोकल पर वोकल" व देश को आत्मनिर्भर बनाने का उद्देश्य भी पूरा हो जायेगा। इसलिए अब भविष्य में जो भी सामना खरीदकर लाओं तो एक बार प्रयास अवश्य करों कि वो स्वदेशी हो। अब देश की आर्थिक स्थिति को सही करने के लिए हम सभी देशवासियों को देशहित में "स्वदेशी अपनाओं और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाओं" नीति पर अपने मन व दृढ़संकल्प से अमल करके भारत को आत्मनिर्भर बनाना होगा।

(इस लेख में व्यक्त विचार, लेखक के निजी विचार हैं. आलेख में दी गई किसी भी सूचना की तथ्यात्मकता, सटीकता, संपूर्णता, अथवा सच्चाई के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)

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English summary
To promote indigenous goods, the country's masters have to present themselves
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