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International Womens Day: महिलाओं के 'सम्मान का अधिकार' पर वास्तव में धरातल पर अमल कब!

By दीपक कुमार त्यागी (स्वतंत्र पत्रकार)
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'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस' पर विशेष: "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता''

इसका बेहद सरल शब्दों में अर्थ है कि जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं" भारतीय सभ्य समाज के लिए इस बेहद आवश्यक सिद्धांत पर अमल करने वाला, हमारा प्यारा भारत एक ऐसा देश है जहां पर आदिकाल से ही महिलाओं को सर्वोच्च स्थान देकर पूजा जाता रहा है। लेकिन पिछले कई दशकों से समाज में आती तेजी से गिरावट और महिलाओं को उपभोग की एक वस्तु मात्र मानने की घिनौनी सोच ने महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने का दुस्साहस किया है।

महिलाओं के सम्मान का अधिकार पर वास्तव में धरातल पर...

आजकल के भावना विहीन व्यवसायिक दौर में तो असभ्यता की हद ही हो गयी है, महिलाओं के सम्मान से आयेदिन सरेआम खिलवाड़ करने का दुस्साहस समाज के लिए कलंक बन गये चंद लोगों के द्वारा बार-बार किया जाता है और बेहद शर्मनाक बात यह है कि उस समय उन छिछोरे मक्कार चरित्रहीन लोगों को रोककर सबक सिखाने की जगह अधिकांश लोग चुपचाप तमाशबीन बनकर खड़े होकर तमाशा देखना उचित समझते हैं, यहां तक की कुछ लोग तो मदद करने की जगह कभी-कभी तो वीडियो बनाकर उसको वायरल करके महिलाओं के लिए और सिरदर्दी खड़ी कर देते हैं। वो भी उस महान देश भारत में जहां पर स्त्री के सम्मान की रक्षा करने के लिए आदिकाल से आज तक ना जाने कितने अनगिनत योद्धाओं ने अपने प्राण एक ही पल में बिना कुछ सोचे समझें मातृशक्ति की रक्षा के लिए न्यौछावर कर दिये।

'सम्मान के अधिकार'

फिर भी आज देश में महिलाओं का एक बहुत बड़ा वर्ग अपने मान सम्मान की रक्षा के लिए आये दिन घर, कार्यालयों सार्वजनिक स्थलों, वाहनों आदि में जूझता नजर आता है, जो स्थिति हमारे सभ्य समाज के लिए बेहद शर्मनाक है और महिलाओं के 'सम्मान के अधिकार' पर बहुत बड़ा कुठाराघात है, हालांकि यह हालात भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में व्याप्त हैं बस अंतर इतना है कि कहीं कम और कहीं ज्यादा महिलाओं के अधिकारों का हनन हो रहा है। महिलाओं को अधिकार देने व उनकी रक्षा करने के मुख्य उद्देश्य से ही दुनिया में हर वर्ष 8 मार्च को 'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस' मनाया जाता है, हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 8 मार्च को कोरोना के नियमों का पालन करते हुए देश में 'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस' को वर्ष की एक महत्वपूर्ण थीम के साथ धूमधाम से सेलिब्रेट किया जायेगा। हर तरफ एक दिन या चंद घंटों के लिए ही सही, जन्म देने वाली मातृशक्ति महिलाओं के विकास, सम्मान और अधिकारों के बारे में लंबी चोड़ी बातें की जायेंगी। वैसे तो विश्व में 'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस' मनाने का एक मुख्य उद्देश्य यह भी है कि महिला किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं और इस दिन के माध्यम से लोग यह संदेश समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाने का एक सकारात्मक ठोस प्रयास करते हैं, साथ ही महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना भी इसका एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। जो समाज के लोग यह सोचते हैं कि शिक्षा, स्वास्थ्य, खेलकूद, सुरक्षा, नौकरी, पद्दोन्नति, कंपनी चलाने आदि के मामलों में महिलाएं पुरुषों से बहुत पीछे हैं, इस तरह की सोच को बदल कर उन्हें पीछे रखने वालें लोगों को जल्द से जल्द जगाना है और महिलाओं को हर हाल में प्रगति के समान अवसर मुहैया करवाने हैं। लेकिन अफसोस हर तरह के प्रयासों के बाद भी आज जिस तरह से देश में तेजी के साथ महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहे हैं, वह बहुत ही चिंताजनक स्थिति है। एनसीआरबी के आंकड़ो के मुताबिक देशभर में वर्ष 2018 के मुकाबले वर्ष 2019 में महिलाओं के प्रति अपराध के मामलों में 7.3 प्रतिशत की भारीभरकम वृद्धि दर्ज की गई थी। इस तरह की हालात के चलते देश में अब वह समय आ गया है, जब हम सभी लोगों को शांत मन से विचार करना होगा कि क्या वास्तव में हमारे देश में महिलाओं को धरातल पर मान, सम्मान, सुरक्षा व बिना किसी लिंगीय भेदभाव के समानता का अधिकार मिला हुआ है क्या?

भारतीय सभ्यता का बेहद गौरवशाली और बेहद प्राचीन इतिहास

वैसे तो दुनिया में आज हमारे प्यारे देश भारत को बहुत तेजी से विकास के पथ पर अग्रसारित होने वाले एक विकासशील देश का दर्जा मिला हुआ है, वास्तव में करोड़ों मेहनतकश देशभक्त लोगों की दिनरात की मेहनत की वजह से वह इस उपाधि का हकदार भी है। हमारी भारतीय सभ्यता का बेहद गौरवशाली और बेहद प्राचीन इतिहास होने के चलते सम्पूर्ण विश्व में भारत की अपनी एक अलग निराली पहचान है, बेहद प्राचीन गौरवशाली सभ्यता व उच्च कोटि की संस्कृति के चलते भारत का नाम पूरी दुनिया में बहुत ही सम्मानजनक ढंग से लिया जाता है। लेकिन पिछले कई दशकों से जिस तरह कुछ लोगों के द्वारा पश्चिमी सभ्यता के अंधानुकरण करने के चलते, हमने नारी शक्ति को एक उपभोग की वस्तु मात्र मानने का दुस्साहस किया है, वह बिल्कुल भी उचित नहीं है, उस हालात के चलते आज देश में महिलाओं के मान सम्मान के अधिकार को ठेस पहुंचा कर उन पर तरह-तरह के इंसानियत को शर्मसार करने वाले अत्याचार अपने चरम पर हैं, जो स्थिति किसी भी सभ्य समाज व प्रगति के पथ पर अग्रसित देश के लिए बेहद घातक है। आज लगातार देश में नारी उत्थान व उन पर हो रहें अत्याचारों की बात एक चर्चा का बेहद महत्वपूर्ण विषय बनी हुई है, लेकिन अफसोस की बात यह है कि हमारे देश की महिलाओं को पहले तो अपने अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं है, अगर किसी महिला को जानकारी है भी तो उसको अधिकार हासिल करने में बहुत कठिनाइयों से व सिस्टम के द्वारा कदम-कदम पर पीड़ा देने वाली स्थिति से गुजरना होता है। वैसे बुद्धिजीवी लोगों के द्वारा अक्सर कहा जाता है कि वक्त के साथ-साथ हमारा समाज ज्यादा सभ्य और समझदार हो जाता है, लेकिन हालात देखकर लगता है भारत में यह नियम अब लागू नहीं होता है, विशेषकर महिलाओं से जुड़े मामलों में तो नहीं, आज धरातल पर हालात बिल्कुल विपरीत हैं। देश में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध के आकड़े चीख-चीख कर खुद गवाही दे रहे हैं, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने वर्ष 2019 में सभ्य समाज को बेहद डराने वाले कुछ आंकड़े जारी किए थे। एनसीआरबी के मुताबिक पिछले साल महिलाओं के खिलाफ 4,05,861 मामले सामने आए थे, सबसे बड़ी शर्मनाक बात यह है कि इस घटनाओं में हर दिन औसतन 87 मामले बलात्कार के हैं। वहीं भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत देश में दर्ज महिलाओं के खिलाफ अपराध के अधिकांश मामले घरेलू हिंसा के हैं। एनसीआरबी के आकड़ो के अनुसार वर्ष 2019 में 30.9 प्रतिशत मामले पति या रिश्तेदार की क्रूरता या हिंसा के थे, 21.8 प्रतिशत मामले इज्जत लूटने के इरादे से महिलाओं पर हमले के थे, 17.9 प्रतिशत मामले महिलाओं के अपहरण व अगवा के थे और 7.9 प्रतिशत मामले बलात्कार के केस के रूप में पुलिस के द्वारा दर्ज किए गए थे। इस बेहद चिंताजनक हालात में हम सभी लोगों को जल्द से जल्द विचार करना होगा कि देश में आखिरकार कहां चला गया महिलाओं के सम्मान का अधिकार, वैसे तो भारतीय महिलाओं की स्थिति बहुत लंबे समय से उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरती रही है, लेकिन 21वीं सदी के आधुनिक भारत में तो धरातल पर सच्चे दिल से महिलाओं को सम्मान का अधिकार हर हाल में मिलना चाहिए था।

जीवनदायिनी पूजनीय मातृशक्ति है

आज के व्यवसायिक दौर में हम सभी देशवासियों को समय रहते यह समझ लेना चाहिए कि महिलाएं कोई बाजार में बिकने वाली वस्तु नहीं हैं वो जीवनदायिनी पूजनीय मातृशक्ति है वह सर्वशक्तिमान ईश्वर की सबसे सुंदर व अनमोल रचनाओं में से एक है। इसलिए आज 'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस' पर हम सभी देशवासियों को यह संकल्प लेना चाहिए कि वो महिलाओं का दिल से सम्मान करते हुए उनके 'सम्मान के अधिकार' की रक्षा करेंगे और उनको समाज में प्रगति करने के लिए समान अवसर मुहैया करवाएंगे।।

।। जय हिन्द जय भारत।।
।। मेरा भारत मेरी शान मेरी पहचान ।।

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English summary
Special Story on International Womens Day Written by Deepak Kumar Tyagi, he is freelance journalist.
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