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समस्याओं का समाधान करने की जगह ध्यान हटाने की कला में माहिर होते सिस्टम में बैठे कुछ लोग

By दीपक कुमार त्यागी
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विश्व में भारत की पहचान एक सबसे बड़े पूर्णतः लोकतांत्रिक व्यवस्था को मानने वाले देश के रूप में होती है, जहां पर आम लोगों के द्वारा चुनी गयी सरकार लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा करते हुए जनहित के सभी कार्यों को समय रहते संपन्न कराती रहती है। हमारा प्यारा देश भारत सम्पूर्ण विश्व में अपनी विविधता पूर्ण बेहद गौरवशाली समृद्धशाली संस्कृति के लिए पहचाना जाता है। आज देशवासियों ने अपनी मेहनत व ज्ञान के अथाह भंडार के बलबूते सम्पूर्ण विश्व में भारत की बहुत सारे क्षेत्रों में एक विशेष पहचान बना रखी है, जिसको हमें हमेशा बरकरार रखना है। लेकिन जिस तरह से पिछले कुछ माह से हम सभी देशवासी कोरोना वायरस महामारी के बेहद गंभीर प्रकोप से जूझ रहे हैं, जिसने हमारे देश की सम्पूर्ण व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है और चिंता की बात यह है कि एक बहुत बड़ी चुनौती हमारे सामने लंबे समय के लिए आकर खड़ी हो गयी है। इसके साथ ही आज हमारा देश विभिन्न प्रकार की बेहद गंभीर समस्याओं के मोर्चे पर भी कोरोना के साथ जूझ रहा है।

समस्याओं का समाधान करने की जगह ध्यान हटाते सिस्टम के लोग

देश में एक तरफ तो विश्व में दूसरी सबसे बड़ी आबादी को महामारी से बचाने के लिए लोगों को स्वास्थ्य सेवा मुहैया करवाते हुए, लोगों को रोजीरोटी का बंदोबस्त करना बड़ी चुनौती है। वहीं दूसरी तरफ देश की सीमाओं को नेपाल, पाकिस्तान व चीन जैसे देशों से सुरक्षित रखने की चुनौती सुरसा राक्षसी की तरह देश के कर्ताधर्ताओं के सामने मूँह खोल कर खड़ी है। महामारी के इस भयावह दौर में जिस तरह से मित्र राष्ट्र नेपाल ने भी चीन के उकसावे में आकर बेवजह का नक्शा विवाद उत्पन्न कर दिया है वह समझ से परे है। जिस ढंग से पाकिस्तान हमारी सीमाओं पर लगातार घुसपैठ, आतंकवाद व अन्य नापाक हरकते जारी रखें हुए है वह चिंतनीय है। चीन तो भारतीय भूभाग पर बार-बार कब्जा करने के मकसद से भारत को उकसाने के लिए सीमा पर आजकल युद्ध जैसे बेहद तनावपूर्ण हालात बना कर बैठा हुआ है, चीन के द्वारा सीमावर्ती क्षेत्र में की जाने वाली आयेदिन ओछी हरकतों का मूँहतोड़ जवाब जाब़ाज भारतीय सेना लगातार दे रही है। सम्पूर्ण विश्व में महामारी के बेहद गंभीर प्रकोप के समय भारतीय सीमाओं की तनावपूर्ण हालात देखकर लगता है कि देश के खिलाफ कुछ देशों के द्वारा लगातार संगठित होकर षडयंत्र रचा जा रहा है। लेकिन अफसोस कही ना कही हमारे सिस्टम में बैठे कुछ लोग इस गंभीर समस्या का स्थाई समाधान करने की जगह देशवासियों से कड़वे सत्य को छुपाने में ज्यादा व्यस्त है।

समस्याओं का समाधान करने की जगह ध्यान हटाते सिस्टम के लोग

आज हमारे देश के सिस्टम में बैठे कुछ ताकतवर लोग, कुछ राजनेताओं व कुछ मीडिया के दिग्गजों ने बहुत ही चालाकी से देश की जनता का ध्यान मूल समस्याओं से हटाकर अन्य बेवजह के मुद्दों पर केन्द्रित करने का वीणा उठाकर रखा है और हमारी अज्ञानता के कारण इन लोगों के नेक्सस को इस में काफी हद तक सफलता भी मिली है। कुछ न्यूज़ चैनलों की कृपा से देश में फिलहाल कोई गंभीर जन समस्या नहीं है, पिछले कुछ माह से केवल सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या की घटना देश की सबसे बड़ी दुखद घटना है। इस मामले में कुछ न्यूज़ चैनलों ने न्यायालय से बाहर मीडिया ट्रायल करके रिया चक्रवर्ती को सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार तक ठहराने का दुस्साहस कर दिया है, हालांकि अब वो नशीले पदार्थों की तस्करी के आरोप में जेल चली गयी हैं। अब हमारे देश के न्यूज़ चैनलों को अभिनेत्री कंगना रनौत पर हो रहे भयंकर अत्याचारों की अचानक से याद आ गयी और अब वो देश का सबसे बड़ा गंभीर मुद्दा बन गया है, बाकी जनहित के मुद्दे इसके सामने कोई मायने नहीं रखते हैं। देखते है कब तक हमारे कुछ सिस्टम में बैठे कुछ ताकतवर लोग व कुछ राजनेता न्यूज़ चैनलों की कृपा से इस तरह का माहौल बनाकर मूल मुद्दों से जनता का ध्यान हटा पाते हैं।

समस्याओं का समाधान करने की जगह ध्यान हटाते सिस्टम के लोग

आज देश में बेसिरपैर के मुद्दे व उनसे जुड़े घटनाक्रम ही सबसे बड़ी गंभीर समस्या हैं। हमारे देश के कुछ न्यूज़ चैनल हर वक्त इन गंभीर समस्याओं का हल ढूंढने के लिए अपने आपको देश के सिस्टम, भाग्यविधाता कर्ताधर्ताओं, कार्यपालिका, न्यायपालिका व समस्त संबंधित अन्य सिस्टम से ऊपर मानकर सभी गंभीर ज्वंलत समस्याओं का निदान करने में कुछ राजनेताओं के आशीर्वाद से बेहद व्यस्त हैं। आज कुछ न्यूज़ चैनलों के रिपोर्ट्स की हिमाकत तो देखो की वो उस देश में जहां स्त्री का सर्वोच्च स्थान है और जहां पर स्त्री को पूजा जाता है, वहां पर न्यूज़ चैनल के ये रिपोर्ट्स स्त्री की मान मर्यादा का ध्यान तक रखना भूल रहे हैं, वो अपनी टीआरपी व सनसनी के चक्कर में सरेआम उनकी अस्मिता से खेलने का प्रयास कर रहे हैं। आज देश के किसी भी न्यूज़ चैनल व सिस्टम चलाने वाले अधिकांश दलों के राजनेताओं को देशवासियों के सामने उत्पन्न रोजीरोटी, रोजगार, आर्थिक मंदी, मंहगाई, भयंकर रूप से गिरती जीडीपी, तेजी से बढ़ती बेरोजगारी, जबरदस्त धार्मिक उन्माद, बिकते देश के महत्वपूर्ण सरकारी संस्थान, देश में विद्वेष के चलते खत्म होता आपसी भाईचारा, महामारी में लोगों को गुणवत्ता पूर्ण सस्ती चिकित्सा सुविधा, बेहतर शिक्षा व्यवस्था, बढ़ता अपराध, बेहद तनाव व आर्थिक नुकसान के चलते होती आयेदिन आत्महत्या, बड़ी संख्या में आयेदिन लोगों की जाती नौकरी, बढ़ता निजीकरण, आतंकवाद, सीमाओं की सुरक्षा आदि जैसी बेहद गंभीर ज्वंलत समस्याओं के बारे में बात करने की फुर्सत तक नहीं है। आज बहुत सारे जनहित के मसलों पर अपने राजनीतिक स्वार्थों को पूरा करने के लिए देश के अधिकांश राजनेताओं में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर ऐसी अघोषित एकता हो गयी है कि किस तरह जनता का ध्यान जन समस्याओं के समाधान से हटाकर बेवजह के मुद्दों के जाल में उलझाया जाये और जल्द से जल्द अपने राजनीतिक स्वार्थ को पूर्ण किया जाये। आज हमारे देश में जिस तरह से अधिकांश राजनेताओं को समाजसेवा की जगह अपनी कुर्सी बहुत प्यारी हो गयी है वह देशहित में बिल्कुल भी ठीक नहीं है। हमारे देश के कुछ राजनेताओं के लिए आम जनता का दुखदर्द सिवाय एक चुनावी मुद्दा या झूठे जुमले से ज्यादा कुछ मायने नहीं रखता है।

समस्याओं का समाधान करने की जगह ध्यान हटाते सिस्टम के लोग

देश की मौजूदा हालात देखकर लगता है कि जनहित की बाते अब हमारे देश के सिस्टम में बैठे कुछ ताकतवर लोगों, कुछ राजनेताओं व कभी आम आदमी की सशक्त आव़ाज रहने वाली मीडिया क्षेत्र के कुछ ताकतवर लोगों के लिए कोई मायने नहीं रखती हैं, बल्कि आज देश के अधिकांश राजनेताओं के लिए तो स्वयं व अपने राजनीतिक दल का हित सर्वोपरि हो गया है, यही स्थिति मीडिया व सिस्टम में बैठे कुछ ताकतवर लोगों की हो गयी है। आजकल हमारे देश के अधिकांश राजनेता हर समय चुनावी भाषणों की तरह नये-नये मुद्दे व जुमले उछाल कर जनता का ध्यान मीडिया के सहयोग से मूल समस्या से हटाकर उनको बेहद चतुराई से बरगलाने में लगे हुए हैं और भोलीभाली बेचारी जनता अपनी समस्याओं व बर्बादी को ना देखकर, इन राजनेताओं के झांसे में आकर उनकी स्तुति व महिमामंडन में ताली पीटने में व्यस्त है।

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लेकिन अब वह समय आ गया है जब हम सभी देशवासियों को देशहित व जनहित में अब दलगत निष्ठा से ऊपर उठकर देश को हर मोर्चे पर सुरक्षित रखने के उद्देश्य से समय रहते अपनी जिम्मेदारी व जवाबदेही दोनों को समझना होगा और उसका पालन करना होगा। अब हम लोगों को देश के सिस्टम में बैठे कुछ पथभ्रमित ताकतवर लोगों, मीडिया, सत्ता पक्ष व विपक्ष सभी को जनहित व देशहित के लिए बेहद आवश्यक कार्यों के पथ पर लाने के लिए एकता के साथ सामुहिक प्रयास करना होगा, तब ही आने वाले समय में हमारा प्यारा देश, हमारा व हमारी आने वाली पीढियों का भविष्य सुरक्षित रह सकता है।

(इस लेख में व्यक्त विचार, लेखक के निजी विचार हैं. आलेख में दी गई किसी भी सूचना की तथ्यात्मकता, सटीकता, संपूर्णता, अथवा सच्चाई के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)

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English summary
Some people in the system deflecting instead of solving problems
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