क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह को लेकर महाराष्ट्र सरकार का प्रगतिशील कदम

By जावेद अनीस, स्वतंत्र लेखक
Google Oneindia News

नई दिल्ली। 6 मई 2018 को इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक खबर के अनुसार महाराष्ट्र सरकार अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए कानून बनाने पर विचार कर रही है ताकि अपनी जाति,धर्म से बाहर प्रेम विवाह करने वाले जोड़ों को सुरक्षा प्रदान किया जा सके। इसको लेकर राज्य के सामाजिक न्याय मंत्री राजकुमार बडोले कहा है कि "अपनी जाति या धर्म से बाहर विवाह करने वाले युवाओं को सामाजिक बहिष्कार और सम्मान के नाम पर हत्या जैसी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सरकार का मकसद कानून बनाकर युवाओं को इन तकलीफों से बचाकर उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है"। इसके लिए एक समिति भी गठित कर दी गयी गई है जिसे दो-तीन महीने के भीतर कानून का मसौदा तैयार करना है।

अंतरजातीय विवाह पर महाराष्ट्र सरकार का प्रगतिशील कदम

यह एक सुखद खबर तो थी ही साथ ही हैरान कर देने वाली भी थी क्योंकि ये पहल एक ऐसी पार्टी के सरकार द्वारा की जा रही है जो धुर दक्षिणपंथी मानी जाती है और जिसके नेता अंतरधार्मिक विवाहों को "लव जिहाद" बताकर इसे राजनीतिक मुद्दा बनाते रहे हैं। अभी हाल ही में मध्य प्रदेश के एक भाजपा नेता ने शादी के लिए 18 और 21 साल की उम्र तय किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि इस वजह से लव जिहाद बढ़ रहा है।
हमारे समाज में तो सामान्य मोहब्बतों को भी त्याग करना पड़ता है, ज्यादातर मां-बाप अपने बच्चों को खुद के जीवन साथी चुनने का विकल्प नहीं देना चाहते। वे उनकी शादी अपनी मर्जी से खुद के जाति, धर्म, गौत्र में ही करना चाहते हैं। अगर मामला धर्म और जाति से बाहर का हो तो स्थिति बहुत गंभीर बन जाती है। ऐसे मोहब्बतों को बगावत ही नहीं गुनाह की श्रेणी में रखा जाता है। इसमें अंतधार्मिक मामलों में तो और मुश्किल होती है इनको लेकर पूरा समाज ही खाप पंचायत बन जाता है, ऐसे प्रेमी जोड़ों की जान पर बन आती है पूरा समाज उनके पीछे हाथ धोकर पड़ जाता है और सरकारें भी उनके सामने बेबस नजर आती हैं।
भारत में अंतरजातीय और अंतरधार्मिक या विवाहों को लेकर तीसरे नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आधार पर अध्ययन पर शोधकर्ता के दास और अन्य का एक विश्लेषण किया गया है जिसके अनुसार कि देश में करीब 11 फीसदी विवाह अंतरजातीय होते हैं जबकि अंतरधार्मिक विवाहों का प्रतिशत 2 फीसदी है। जाहिर है हमारे समाज जाति और धर्म की की गांठ बहुत मजबूत हैं और विद्रोही प्रेमियों के लिए इन वर्जनाओं व जकड़नों को तोड़ना आसान नहीं है।

यूपीएससी के दो शीर्ष टॉपरों टीना डाबी और अतहर आमिर-उल-शफी ने जब इस बात की घोषणा की थी कीवे एक दूसरे के प्रेम में हैं और शादी करना चाहते हैं तो यथा स्थितिवादियों के खेमे में खलबली मच गयी सोशल मीडिया पर उन्हें खूब निशाना बनाया गया था। दरअसल टीना डाबी दलित हिन्दू हैं और अतहर कश्मीरी मुसलमान। टीना ने यूपीएससी टॉप किया है और अतहर दूसरे नंबर पर रहे हैं लेकिन जैसे इन दोनों को मिसाल बनने के लिए यह काफी ना रहा हो, इन दोनों ने वर्जनाओं को तोड़ते हुए ना केवल अपने रिश्ते का सोशल मीडिया पर खुला ऐलान किया बल्कि सवाल उठाने वालों को करारा जवाब भी दिया। अब उनकी शादी हो चुकी है। उनकी इस शादी में देश उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष और केंद्र सरकार के कुछ मंत्रियों ने शिरकत की थी। लेकिन चुनिन्दा मिसालों से हमारा समाज कितना सबक लेगा इसको लेकर संदेह है।

फरवरी माह में राजधानी दिल्ली में एक मुस्लिम लड़की से प्रेम करने के जुर्म में अंकित सक्सेना नाम के युवक की हत्या इस बात की पुष्टि करता है कि हमारा समाज व्यक्तिगत आजादी की जगह सामुदायिकता को तरजीह देता है। और इसके खिलाफ जाने वालों से बड़ी बर्बरता से निपटता है। दरअसल हमारा समाज एक विविधताओं का समाज है जो उतनी ही जकड़नों से भी भरा हुआ है। यहां सीमाएं तय कर दी गयी हैं जिससे बाहर जाना विचलन माना जाता है। सबसे बड़ी लकीर प्यार और शादी के मामले में है, आप जिस जाति या धर्म में पैदा हुए हैं सिर्फ उसी में ही प्यार या शादी की इजाजत है, इस व्यवस्था के केंद्र में स्त्री है और यह नियम सबसे ज्यादा उसी पर ही लागू होता है। लेकिन प्रेम तो हर सीमा से परे है, यह अनहद है जिसे कोई भी लकीर रोक नहीं सकती। तमाम पाबंदियों, सजाओं, त्रासद भरे अंत और खूनी अंजामों के बावजूद प्यार रुकता नहीं है, यह इंसानियत का सबसे खूबसूरत एहसास बना हुआ है।

2014-15 में जब लव जिहाद को एक राजनीतिक मसले के तौर पर पेश किया जा रहा था तो करीना कपूर को भी निशाना बनाया गया था। संघ परिवार से जुड़े संगठन दुर्गा वाहिनी ने अपने पत्रिका के कवर पर करीना कपूर की एक तस्वीर छापी थी जिसमें करीना के आधे चेहरे को बुर्के से ढका आधे को हिन्दू चेहरे के तौर पर दर्शाया गया था इसके साथ शीर्षक दिया गया था "धर्मांतरण से राष्‍ट्रांतरण"। इसके बाद अभिनेता सैफ अली खान ने अपने बहुचर्चित लेख '"हिन्दू-मुस्लिम विवाह जेहाद नहीं, असली भारत है"' में लिखा था कि "मैं नहीं जानता कि लव जिहाद क्या है, यह एक जटिलता है, जो भारत में पैदा की गयी है, मैं अंतरसामुदायिक विवाहों के बारे में भली भांति जानता हूँ, क्योंकि मैं ऐसे ही विवाह से पैदा हुआ हूँ और मेरे बच्चे भी ऐसे ही विवाह से पैदा हुए हैं। अंतर्जातीय विवाह (हिन्दू और मुसलमान के बीच) जिहाद नहीं है,बल्कि यही असली भारत है, मैं खुद अंतर्जातीय विवाह से पैदा हुआ हूँ और मेरी जिंदगी ईद, होली और दिवाली की खुशियों से भरपूर है. हमें समान अदब के साथ आदाब और नमस्ते कहना सिखाया गया है।"

अगर आप सच्चा प्यार करते है तो शादी करने के लिए अपना धर्म बदलने की जरूरत नहीं है, हमारे देश में "विशेष विवाह अधिनियम" जैसा कानून है जिसके अंतर्गत किसी भी धर्म को मानने वाले लड़का और लड़की विधिवत विवाह कर सकते हैं। यह सही मायने में धर्मनिरपेक्ष भारत का कानून है लेकिन इसे और सहज व सुलभ बनाने की जरूरत है। अक्टूबर 2017 में इंडियन एक्सप्रेस में एक और खबर प्रकाशित हुई थी जिसके अनुसार पुणे के पांच छात्रों ने' अंतर-जाति व अंतर-धर्म विवाह संरक्षण और कल्याण अधिनियम, 2017'के नाम से कानून का एक ड्राफ़्ट तैयार किया था जिसका मकसद किसी दूसरी जाति या धर्म के व्यक्ति से शादी करने वाले लोगों की रक्षा करना है। छात्रों ने अपने इस ड्राफ्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजा था शायद महाराष्ट्र सरकार का नया कदम इन पांच छात्रों के ड्राफ्ट से प्रभावित हो। जो भी हो हमें महाराष्ट्र सरकार के इस नये पहल का स्वागत करना चाहिये।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)

Comments
English summary
Progressive steps of the Government of Maharashtra regarding inter caste and inter religious marriage.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X