उत्तरप्रदेश में जमीन खो चुकी कांग्रेस को फिर से उबारने की कोशिश करतीं प्रियंका गांधी
ऑनलाइन व विभिन्न अन्य माध्यमों से संगठन व आम जनमानस से लगातार संपर्क साध रही हैं और बढ़ते अपराध पर व जरूरतमंद लोगों की दमदार ढंग से आवाज़ उठाकर उन तक मदद पहुंचवाने का कार्य कर रही हैं। अब तो उत्तर प्रदेश कांग्रेस के संगठन पर प्रियंका गांधी की कुशल रणनीति का प्रभाव भी स्पष्ट नज़र आने लगा है, कांग्रेस संगठन आज प्रदेश में एक अलग क्लेवर वाले संघर्षशील अंदाज में जनसमस्याओं को लेकर आयेदिन सड़कों पर संघर्षरत नज़र आने लग गया है, अब वो जनहित के मसलों पर जेल तक जाने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहने लगा है।
प्रियंका गांधी के कुशल नेतृत्व व कारगर रणनीति के चलते ही, आज राज्य में कांग्रेस की स्थिति यह हो गयी है कि पार्टी नये जोशोखरोश के साथ उत्तर प्रदेश के राजनीतिक मैदान में अघोषित मुख्य विपक्षी दल की भूमिका के रूप में बेहद तत्परता के साथ, किसानों, नोजवानों, बेरोजगारों, अन्य सभी वर्ग के आम लोगों की समस्याओं को उठाकर व आम जनता के बीच जाकर, एक बेहद सक्रिय राजनीतिक दल की भूमिका का पूर्ण ईमानदारी से निर्वाहन करने का प्रयास कर रही है। जिस तरह से प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में पार्टी को लगातार समय दे रही है, वह पार्टी के संगठनात्मक नजरिए से बेहद अच्छा है और उसको देखकर लगता है कि अब कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भी यह समझ आ गया है, कि भविष्य में कांग्रेस की केंद्र में सरकार बनाने का रास्ता उत्तर प्रदेश की धरती से ही निकलेगा। इसलिए ही इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी एक बार फिर से अपनी खोई हुई जमीन व जनाधार को वापस हासिल करने के लिए दिनरात एक करके अपनी संघर्षशील राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के नेतृत्व में धरातल पर जबरदस्त मेहनत कर रही है। वैसे पिछले बहुत लंबे समय से कांग्रेस हाईकमान के उपेक्षित व्यवहार के चलते उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी एक दम सुसुप्त अवस्था में चली गयी थी। जिसको खड़ी करने के लिए अब प्रियंका गांधी दिनरात मेहनत कर रही हैं। उत्तर प्रदेश के सदन में कांग्रेस पार्टी के विधायकों की कम संख्या बल की वजह से जो कांग्रेस के विधायकों की जनहित की आवाज़ दब गई थी, अब वो आवाज़ प्रियंका गांधी के दिये गए मंत्र से आयेदिन सदन से लेकर सड़क तक जगह-जगह विरोध-प्रदर्शनों के रूप में गूंजती दिखाई देती है। अब प्रदेश के आम कांग्रेसी कार्यकर्ताओं व नेताओं में ऐसी ऊर्जा का संचार हुआ है कि वो बेहद मुखर होकर जन विरोध के रूप में सड़कों पर आयेदिन दिखने लगा है। कांग्रेस पार्टी की सदन से लेकर सड़क तक इस बेहद मुखर होती आवाज़ से अब राज्य में सत्ता पक्ष भी अपने भविष्य की चिंता करके कहीं ना कहीं प्रियंका गांधी के फेक्टर से भयभीत है, वह कदम-कदम पर प्रियंका गांधी के फेक्टर की काट ढूंढ रहा है।
उस वजह से ही चिंतित होकर उत्तर प्रदेश सरकार प्रियंका गांधी के प्रदेश के दौरे के दौरान, उनकी राह में आयेदिन सरकारी तंत्र से अवरोध उत्पन्न करवाने का कार्य करती है। जिसकी मिसाल पूर्व में घटित सोनभद्र कांड से लेकर कुछ माह पूर्व हुए मेरठ लखनऊ आदि के घटनाक्रमों तक में देखने को मिलती है। आज प्रियंका गांधी को रोकने के लिए प्रदेश सरकार समय-समय पर विभिन्न तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है, लेकिन फिर भी प्रियंका गांधी आमजनमानस की बेहद सशक्त आवाज़ बनकर बेखौफ होकर उत्तर प्रदेश व केंद्र सरकार की बहुत सारी नीतियों को जनविरोधी बताकर उनके खिलाफ सोशलमीडिया के प्लेटफार्म से लेकर के राजनीति के अखाड़े तक में व जनता के बीच जाकर लगातार संघर्ष कर रही हैं। वो लोगों से संपर्क करके उनके दुख-दर्द में भागी बनने का प्रयास कर रही हैं। यह शैली उनके बेहद कुशल राजनेता होने के गुण को प्रदर्शित करती है।
*"प्रियंका गांधी की इस संघर्षशील कार्यशैली को देखकर, बहुत सारे देशवासियों व कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रियंका गांधी में देश की लोकप्रिय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का अक्श नज़र आता है। लोग उनके दृढ़ संकल्प, इच्छाशक्ति, अपनी बात को बेबाक होकर सरल मृदुभाषी हिन्दी में रखने वाली शैली व आम जनता के बीच रहने वाली शैली को देखकर मानते हैं कि वो आने वाले समय में देश की बेहद लोकप्रिय जननेता के रूप में खुद को बहुत ही जल्द स्थापित कर सकती है। हालांकि लोगों का मानना है कि इसके लिए उनको कांग्रेस की गांधी, नेहरू, पटेल, शास्त्री, इंदिरा व राजीव गांधी वाली विचारधारा पर दृढ़ संकल्प के साथ कायम रहना होगा, कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं पर हावी होती अन्य विचारधारा को अपने ऊपर व अपने आसपास के माहौल में हावी होने से रोकना होगा और उस विचारधारा के लोगों को अपने सिस्टम में एडजस्ट होने देने से बचना होगा। आज कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं के साथ-साथ देश के बहुत सारे लोगों को उनसे बहुत ज्यादा उम्मीदें है, इसलिए उनके सामने भी आम जनमानस की उम्मीदों पर खरा उतरने की बहुत बड़ी चुनौती खड़ी है"*
आज देश के राजनीतिक हालात देखकर अधिकांश लोगों का मानना है कि हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बेहद जरूरी है कि देश में मजबूत सरकार के साथ मजबूत विपक्ष भी हमेशा बरकरार रहे। इसके साथ ही यह भी बेहद जरूरी है कि विपक्ष का नेतृत्व भी एक ऐसे सशक्त समझदार शख्स के हाथ में हो, जो उसे सही दिशा देकर आम जनता की आवाज़ को सरकार के सामने बुलंद ढंग से उठा सके। आज कहीं ना कहीं उत्तर प्रदेश व देश के लोगों को वह मजबूत चेहरा प्रियंका गांधी में दिखाई दे रहा है। लॉकडाऊन से पहले कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी की स्टार प्रचारक जोड़ी राहुल-प्रियंका के बलबूते देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) व अन्य मसलों को लेकर मजबूती से भाजपा सरकार को घेरने का कार्य किया था, वह जनता के बहुत बड़े वर्ग की नज़रों में बेहद काबिले-तारीफ था। उस दौरान प्रियंका गांधी ने दिल्ली के इंडिया गेट से लेकर लखनऊ की सड़कों पर बेहद मुखरता के साथ सरकार का विरोध किया था, जिसने जनता के बीच उनकी एक संघर्षशील राजनेता की छवि बनाने का कार्य किया था। उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के नेतृत्व में पार्टी के खोये हुए जनाधार को वापस हासिल करने के प्रयास के रूप में एक अच्छा मौका कांग्रेस को मिला है, जनता की इच्छा रही तो यह प्रयास प्रदेश में कांग्रेस को बैसाखियों से मुक्त करके अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए सुनहरा अवसर बन सकता है और प्रदेश में शीर्ष नेतृत्व के द्वारा धरातल पर बहुत लंबे समय के बाद किया गया कोई ठोस कारगर राजनीतिक रामबाण उपाय भी साबित हो सकता है।
प्रियंका गांधी की इच्छा के अनुरूप उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के सिपहसालार आरामतलबी से ग्रस्त व मृतप्रायः हो चुके कांग्रेस संगठन की पूर्ण ओवरहालिंग करके उसको चुस्त-दुरूस्त करने में लगें हुए हैं। हाल के दिनों में जिस तरह से उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी कानून व्यवस्था, बेरोजगारी, किसानों की समस्या व आम जनमानस के सरोकार के विभिन्न मुद्दों को लेकर बेहद आक्रामक अंदाज में प्रदेश सरकार पर आयेदिन हमलावर है, उसमें अब प्रियंका गांधी की कार्यशैली की छाप स्पष्ट नजर आने लगी है। खैर यह तो आने वाला समय व जनता की सर्वोच्च अदालत ही तय करेगी कि प्रियंका गांधी अपने मिशन उत्तर प्रदेश में कहां तक कामयाब होंगी, लेकिन उन्होंने अपनी आमजनमानस के हित की लड़ाई की शैली से प्रदेश सरकार को यह दिखा दिया है कि जनता ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मुख्य विपक्षी दल बनने के लिए बेशक विधायक ना दिये हो, लेकिन वो अब अन्य दलों को पीछे छोड़कर जनता की बात को दमदार ढंग से उठाकर भाजपा के सत्ता सिंहासन को हिलाने का कार्य जरूर कर रही है। वैसे भी यूपी में कांग्रेस की सबसे बड़ी ज़रूरत राज्य भर में संगठन को मज़बूती प्रदान करके उसमें नया जोश भरना है, जिसकी शुरुआत प्रियंका गांधी ने अपने पहले दिन के साथ ही कर दी थी।
कृषि बिलः राहुल गाधी बोले, 'किसानों को करके जड़ से साफ पूंजीपति मित्रों का किया विकास'
प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर जिला व शहर अध्यक्ष तक सभी बदल डालें हैं। दरअसल प्रियंका गांधी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को स्पष्ट संदेश देना चाहती हैं कि अब पार्टी में आरामतलबी नहीं चलेगी, आप सड़कों पर उतरकर जनहित के मसलों के लिए संघर्ष तो करो, अब वह दिन दूर नहीं है जब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को अपनी खोई हुई जमीन वापस अवश्य मिलेगी। इसी उद्देश्य के साथ आरामतलबी से ग्रस्त कांग्रेस संगठन को प्रियंका गांधी अपनी इच्छा के अनरूप धरातल पर संघर्षशील बनाने के लिए स्वयं सड़कों पर उतरकर जनहित के मसलों पर संघर्ष करके, पार्टी में नयी तरह से जान फूंकने के लिए प्रयासरत हैं। लेकिन प्रियंका गांधी को भी यह ध्यान रखना होगा कि गांधी नेहरू की विचारधारा के लिए पहचाने जानी वाली कांग्रेस पार्टी पर अन्य किसी विचारधारा के लोग हावी ना हो पाये, क्योंकि यह भी कटू सत्य है कि कहीं ना कहीं यह लोग कांग्रेस के सिस्टम पर हावी होने लगे हैं और वो कांग्रेस के बेहद निष्ठावान व गांधी नेहरू की विचारधारा वालें कांग्रेसियों को आयेदिन परेशान कर रहे हैं। जिनके मान सम्मान को बरकरार रखने की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की प्रभारी महासचिव प्रिंयका गांधी की है। क्योंकि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ जुड़ा हुआ एक-एक व्यक्ति बहुत ही सम्मान का पात्र है, उसने बेहद लंबे अंतराल से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ना होने के बाद भी कांग्रेस पार्टी के झंडे को उठाकर रखा व उसके साथ दिल से जुड़ा रहा, बस उन सभी पुराने लोगों को एकजुट करके सामंजस्य बिठाकर नये लोगों को संगठन में जोड़ कर ही प्रियंका गांधी अपने उत्तर प्रदेश फतेह के मिशन में कामयाब हो सकती हैं।
(इस लेख में व्यक्त विचार, लेखक के निजी विचार हैं. आलेख में दी गई किसी भी सूचना की तथ्यात्मकता, सटीकता, संपूर्णता, अथवा सच्चाई के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)