जानिए, वो जो डेढ़ घंटे के इंटरव्यू में नहीं बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी?
नई दिल्ली। क्या 2019 के लिए मुद्दा सेट करने में कामयाब रहे पीएम? जानिए क्या नहीं बोले प्रधानमंत्री मोदी...
साल का पहला दिन। आ गया 2019। वह साल, जब आम चुनाव होंगे। चुनाव की मुहिम नरेंद्र मोदी ने छेड़ दी है। साल का पहला साक्षात्कार सामने है। उन्होंने खूब बोला है। हर मुद्दे पर बोला है। उसी तरह बोला है, जैसे वे आम तौर पर बोलते हैं- जी हां, मन की बात। इसमें बोलने वाला आज़ाद होता है और सुनने वाला सुनने के लिए मजबूर।
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मंदिर निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट की बात मानेगी मोदी सरकार?
राम मंदिर निर्माण 2019 में बीजेपी का चुनावी मुद्दा होगा या नहीं, इसका जवाब जनता को नहीं मिला। अध्यादेश लाकर राम मंदिर का निर्माण मोदी सरकार सुनिश्चित करेगी या नहीं, इसका जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जोड़ दिया।
"कानूनी प्रक्रिया पूरी हो जाने दीजिए। इस प्रक्रिया की समाप्ति के बाद सरकार के तौर पर जो भी जिम्मेदारी होगी, उसके लिए हम तैयार हैं।"
नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक का उदाहरण सामने रखा। कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही सरकार अध्यादेश लेकर आयी। मगर, तीन तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कानूनी राय लेकर कदम उठाने की सलाह दी थी। नरेंद्र मोदी यह बात कैसे जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट राम मंदिर मामले में भी ऐसी ही सलाह देने वाली है? अगर ऐसा नहीं होता है तब क्या वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ख़िलाफ़ अध्यादेश लाने वाले हैं? अगर, हां, तो उन्होंने ऐसा कुछ खुलकर नहीं बोला है।
नोटबंदी के बाद क्या ठीक हुआ देश का स्वास्थ्य? मोदी रहे चुप
नोटबंदी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये तो बताया कि ऐसा करना देश स्वास्थ्य के लिए जरूरी था। मगर, उन्होंने ये नहीं कहा कि देश का स्वास्थ्य ठीक हुआ या नहीं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नोटबंदी से देश में ईमानदारी का माहौल बना है। कहां बना है, कैसे बना है उसका ज़िक्र करना तो छोड़ दीजिए उन्होंने बेईमानी कम हुई है और कैसे कम हुई है इस बारे में भी कुछ नहीं कहा।
प्रधानमंत्री ने कहा, "नोटबंदी ने जो सबसे बड़ा काम किया है, वो ये है कि जो बोरे भरभरकर नोट पड़े रहते थे, वो बैंकिंग व्यवस्था में आए हैं।" मगर, प्रधानमंत्री ने यह नहीं कहा कि बोरे में भरभकर नोट रखना देश में बंद हो गया है। पहले 500 के नोट बोरे में होते थे, अब 2000 के हो गये हैं। नरेंद्र मोदी ने समांतर अर्थव्यवस्था और उसकी वजह से देश के खोखला होने की बात तो कही, लेकिन इसकी घोषणा नहीं की कि नोटबंदी के बाद समांतर अर्थव्यवस्था ख़त्म हो गयी है।
जीएसटी सही, तो बारंबार क्यों बदली जा रही हैं जीएसटी की दरें?
प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी की वजह से सामानों पर टैक्स कम हुए हैं। पहले हर मुकाम पर टैक्स लगता था। मगर, उन्होंने यह नहीं बताया कि जीएसटी की दर अगर इतनी सही है तो इसे बार-बार रिवाइज करना क्यों पड़ रहा है। उन्होंने उन सवालों का भी जवाब नहीं दिया जिस वजह से छोटे कारोबारियों की मुश्किलें जीएसटी के बाद बढ़ गयी है।
- जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स बोलने के सवाल पर कहा- जिसकी जैसी सोच उसके वैसे ही शब्द होते हैं। जीएसटी की वजह से सामान पर टैक्स कम हुआ है। पहले हर मुकाम पर टैक्स लगता था।
आतंकी कैम्पों को नष्ट करने के लिए नहीं हुए सर्जिकल स्ट्राइक?
सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रधानमंत्री ने यह खुलासा किया कि ऐसा करना सेना के जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए जरूरी था। अब तक माना ये जा रहा था कि पाकिस्तान अपनी ज़मीन का इस्तेमाल हमारे ख़िलाफ़ न करे, आतंकी कैम्पों को नष्ट किया जाए- इसके लिए सर्जिकल स्ट्राइक की गयी। कल तक जो कारण बताए जा रहे थे, उस पर खामोश रह गये प्रधानमंत्री।
पीएम मोदी ने कहा, "एक लड़ाई से पाकिस्तान सुधर जाएगा, यह सोचना बहुत बड़ी गलती होगी। पाकिस्तान को सुधरने में अभी और समय लगेगा।" पाकिस्तान को सुधारने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक की गयी थी, यह बात भी पहली बार ही सामने आयी है। प्रधानमंत्री ने यह नहीं बताया कि पाकिस्तान को सुधरने में कितना समय लगेगा और इसके लिए और कितनी सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत होगी।
राफेल मुद्दे पर तथ्य आते रहेंगे, पर बार-बार जवाब नहीं देंगे मोदी?
प्रधानमंत्री ने कहा कि राफेल को लेकर जो आरोप हैं वह उन पर व्यक्तिगत आरोप नहीं हैं। उन्होंने कहा कि संसद में वे राफेल पर जवाब दे चुके हैं। बार-बार आरोपों का जवाब नहीं देंगे। पर, राफेल मामले में अगर बार-बार नये-नये किस्से निकलकर सामने आ रहे हैं तो प्रधानमंत्री उसका जवाब क्यों नहीं देंगे? राफेल मामले पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिलने का उल्लेख किया, लेकिन इसका उल्लेख नहीं किया कि सरकार की ओर से सीलबंद लिफाफे में गलत तथ्य दिए गये या फिर दिए गये तथ्यों का सुप्रीम कोर्ट ने गलत मतलब समझा।
मोदी नहीं बोले लिचिंग घटनाओं के बाद चुप क्यों रह जाते हैं पीएम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह तो कहा कि लिंचिंग जैसी घटनाएं सभ्य समाज को शोभा नहीं देता, गलत है निंदनीय है। लेकिन, यह नहीं बताया कि लिचिंग की घटनाओं के ख़िलाफ़ वे चुप क्यों रह जाते हैं, कभी कोई ट्वीट क्यों नहीं किया, लिंचिंग की घटना में शामिल लोगों के साथ उनकी कैबिनेट के सदस्य तस्वीर खिंचाते रहे फिर भी उनकी डांट-फटकार समाज को क्यों नहीं सुनाई पड़ी।
कर्जमाफी से किसानों का भला नहीं, पर क्या उद्योगपतियों का होगा भला?
पीएम मोदी ने कहा कि कर्जमाफी से किसानों का भला नहीं होगा। स्थिति बनानी चाहिए कि किसान कर्ज ना लें। प्रधानमंत्री क्या यही बात उद्योगपतियों के लिए बोल सकते हैं? बोल सकते हैं तो क्यों नहीं बोले? पीएम मोदी इस बात पर भी चुप रहे कि आत्महत्या करने वाले किसान कब तक इंतज़ार करें जब कर्ज लेने की स्थिति ख़त्म हो जाए?
पीएम ने नहीं बताया क्यों जा रहे हैं सहयोगी साथ छोड़कर
सहयोगी दलों की नाराज़गी पर प्रधानमंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय स्तर पर हर दल अपना विस्तार करना चाहता है। उन्होंने कहा कि, "जो हम से जुड़ता है फलता है फूलता है।" लेकिन एनडीए लगातार सिकुड़ता क्यों जा रहा है, उसे नये साथी क्यों नहीं मिल रहे हैं, पुराने साथी छोड़कर क्यों जा रहे हैं ऐसे सवालों का जवाब प्रधानमंत्री ने नहीं दिया।
मोदी विरोधी अगर भ्रष्ट, तो कितनों को पकड़ा मोदी सरकार ने?- पीएम चुप
महागठबंधन पर नरेंद्र मोदी ने कहा कि इसमें सभी दल और नेता वही हैं जो कभी न कभी कांग्रेस के साथ रहे, उनसे दूर हुए, लड़ाई लड़ी। सिर्फ मोदी के कारण ये एक हुए हैं। उनका इशारा भ्रष्टाचार की ओर था। मगर, उन्होंने ये नहीं बताया कि ऐसे दलों और नेताओं में से कितने का भ्रष्टाचार उन्होंने पकड़ा है या सामने लाया है।
पूरे साक्षात्कार में प्रधानमंत्री के जवाब से उचित सवाल नहीं दागे गये। यही वजह है कि इंटरव्यू में भाषण देकर चले गये पीएम। उन्होंने किसी प्रश्न का जवाब उचित तरीके से नहीं दिया। हर जवाब सवालों से घिरे हैं।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)