राजनीतिक व्यंग्य: दिल्ली चुनाव के बाद हनुमान जी अब किसका करेंगे बेड़ा पार!
नई
दिल्ली।
संघ
के
भैया
जी
जोशी
बिलकुल
ठीक
कह
रहे
थे
कि
खाली
भाजपा
ही
हिंदुओं
की
ठेकेदार
थोड़ी
है।
अब
मतलब
निकालने
वाले
को
क्या
ही
कहा
जाए।
किसी-किसी
ने
तो
यह
मतलब
भी
निकाल
लिया
कि
इस
ठेकेदारी
में
कुछ
सब-कांट्रेक्टर
भी
होते
हैं।
वैसे
कांट्रेक्टर
के
बाद
सब-
कांट्रेक्टर
रखना
पड़ता
है
भाई
जैसे
किसी
पार्टी
में
अध्यक्ष
होता
है
फिर
उपाध्यक्ष
भी
होता
है
और
न
जाने
क्या
क्या
होता
है।
और
तो
और
ऐसा
तो
घर
में
भी
होता
है,
अब
इसपर
मुहं
न
खोलूंगा
नहीं
तो
लेने
के
देने
पड़
सकते
हैं।
है
की
नहीं
!
वैसे
भी
हिंदुत्व
काफी
बड़ा
प्रोजेक्ट
है।
किसका कौन?
कांग्रेस ने शिव जी को पकड़ रखा है, भाजपा राम जी को न जाने कबसे पकड़ी हुई है और अब तो और भी कसकर पकड़ रखी है, कह रही थी कि रामजी के मंदिर को इतना ऊँचा और भव्य बनाएगी की रामजी आसमान में दिखेंगे , अरे मतलब रामजी तो आसमान में हैं ही उनकी मंदिर भी वैसी ही होगी। उधर बंगाल में ममता दी दुर्गा और काली जी पर हक मांग रही हैं, यह वह प्रिया गोल्ड वाला 'हक़ से मांगों' नहीं है भाई। यह वैसा ही हक़ है जैसा सब अपना अपना हक़ बनाए हुए है।
हनुमान जी का स्विंग
अब दिल्ली चुनाव को ही देख लें। हनुमान जी मनोज तिवारी से छिटक कर अरविंद केजरीवाल के पास आए और केजरीवाल ने हनुमान जी को पकड़ लिया। केजरीवाल से तो हनुमान जी ने यहां तक कह दिया कि बच्चा तुम बढ़िया काम कर रहे हो। अच्छे बीते पांच साल लगे रहो केजरीवाल। केजरीवाल ने बाकायदा हनुमान जी की स्तुति करी जिससे हनुमान जी खूब प्रसन्न हुए और उनको छप्पड़ फाड़ कर वोट दिलवाए। अब भाजपा पक्का सोच रही होगी कि सब-कॉन्ट्रेकटर ने उनसे बढ़िया कॉन्ट्रैक्ट छीन लिया। वैसे भी कायदे से हनुमान भाजपा के होने चाहिए थे क्योंकि रामजी भाजपा के हैं और हनुमान जी राम जी के हैं। लेकिन अब पछताए होत क्या 'जब चिड़ियां चुग गई खेत'।
अब किसका करेंगे बेड़ा पार
खैर एक राहत की बात है कि हर चुनाव भाजपा के लिए दीक्षांत समारोह जैसा होता है जिसमे वह डिग्रियां बांटते हैं। जब मेट्रो में सफर कर रहा था तब सुना कि बिहार में दीक्षांत समारोह होने वाला है, जहां डिग्रियां बांटी जाएंगी। और चूंकि गिरिराज बाबू बिहार के ही हैं तो वहां डिग्रियों के साथ साथ वीजा मिलने की पूरी उम्मीद है। और ऐसी उम्मीद होगी भी क्यों नहीं क्योंकि जब वो दूसरे राज्यों में जाकर वीजा परमिट दे सकते हैं, राम जी को पुकार सकते हैं तो बिहार तो उनका अपना घर है। अब यहां हनुमान जी किस तरफ से समुंद्र लांघेंगे ये देखना होगा। या फिर कहीं ऐसा तो नहीं होगा कि हनुमान जी कहेंगे कि यह राम जी और सीता मैया का घर है इसलिए हम कुछ न बोलेगें, आपलोग किसी और को पकड़ लो।
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(इस लेख में व्यक्त विचार, लेखक के निजी विचार हैं. आलेख में दी गई किसी भी सूचना की तथ्यात्मकता, सटीकता, संपूर्णता, अथवा सच्चाई के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)