नीतीश ने चुनावी साल का सेट किया एजेंडा, विवाद को राम-राम, काम को अंजाम
नई दिल्ली। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनावी साल का एजेंडा सेट कर लिया है। विवाद को राम-राम और काम को अंजाम। गांव-गांव घूम कर जनता-जनार्दन से सीधा संवाद और ऑन स्पॉट समस्याओं का निदान। विधानसभा चुनाव में अब आठ महीने ही रह गये हैं। चुनावी मैच आखिरी लम्हों में दाखिल हो गया है। अब बचे हुए ओवरों (महीने) में नीतीश स्कोरिंग रेट बढ़ाना चाहते हैं। वे खुद बेस्ट फिनिशर रहे हैं इसलिए मैदान में आने के लिए पैडअप हो चुके हैं। वे 4 जनवरी से फिर जल-जीवन- हरियाली यात्रा (छठा चरण) पर निकलने वाले हैं। जनता से जुड़ाव के लिए नीतीश कुमार की कुल मिला कर ये 14वीं यात्रा है। उनके राजनीति उठान में यात्रा की राजनीति सबसे अहम रही है। 15 साल के दौरान उन्होंने अलग-अलग नामों से 13 जनसंवाद यात्राएं की हैं। 2005 में वे न्याय यात्रा और परिवर्तन यात्रा के जरिये सत्ता में आये थे। सत्ता मिली तो उसे बरकरार रखने के लिए यात्रा की राजनीति को स्थायी कर दिया।
यात्रा से किसकी हरियाली ?
जल-जीवन हरियाली यात्रा का मकसद बिहार में ग्रीनफील्ड का दायरा बढ़ाना है ताकि पर्यावरण संतुलन में मदद मिल सके। इस यात्रा के दौरान नीतीश किसानों से मिल रहे हैं। उनकी बात सुन रहे हैं और बिहार में हरियाली बढ़ाने के लिए जागरूक कर रहे हैं। विरोधी दलों का कहना है नीतीश चुनाव से पहले अपना चेहरा चमकाने में लगे हैं। वे इस यात्रा के जरिये अपनी सरकार की नाकामियों को ढंकना चाहते हैं। इस साल गर्मी में चमकी बुखार से करीब दो सौ बच्चों की मौत हुई थी। मुजफ्फरपुर बालिकागृह कांड से नीतीश कुमार सरकार की पूरे देश में किरकिरी हुई थी। बाढ़ के समय भी सरकार को जनता की नाराजगी झेलनी पड़ी थी। अपराध का ग्राफ बढ़ा है। जब नीतीश के पैरों के नीचे से जमीन खिसकने लगी तो वे अपनी हरिय़ाली के लिए यात्रा पर निकले हैं। विरोधी दलों का आरोप है कि नीतीश कुमार अपने राजनीति फायदे के लिए जनता के पैसे को बेदर्दी से खर्च कर रहे हैं।
नीतीश की यात्रा राजनीति
फरवरी 2005 के विधानसभा चुनाव में किसी दल को बहुमत नहीं मिला था। लालू यादव उस समय केन्द्र में रेल मंत्री थे। केन्द्र की मनमोहन सरकार में उनका दबदबा था। लालू यादव को इस बात का डर सताने लगा था कि नीतीश अन्य दलों के समर्थन से कहीं सरकार न बना लें। लालू ने इसी आशंका से मनमोहन सरकार पर दबाव डाल कर बिहार में राष्ट्रपति शासन लगवा दिया था। नीतीश और भाजपा ने केन्द्र के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में राष्ट्पति शासन के फैसले को असंवैधानिक ठहरा दिया। मनमोहन सिंह सरकार के इस अन्यायपूर्ण फैसले के खिलाफ नीतीश ने पूरे बिहार में न्याय यात्रा निकाली थी। इस यात्रा में उन्होंने लालू यादव की स्वार्थी राजनीति की पोल खोली थी। फिर जब चुनाव की घोषणा हुई तो नीतीश ने लालू-राबड़ी को सत्ता से बेदखल करने के लिए परिवर्तन यात्रा निकाली। यह यात्रा काफी सफल रही। नीतीश ने भाजपा के साथ मिल कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनायी। इसके बाद नीतीश ने जनता के साथ जुड़ने के लिए जिलों की यात्रा को अपनी राजनीति का अनिवार्य हिस्सा बना लिया।
यात्रा दर यात्रा
2010 के विधानसभा चुनाव से एक साल पहले नीतीश ने विकास यात्रा निकाली थी। इसमें उन्होंने सरकार की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाया। फिर जून 2009 में उन्होंने धन्यवाद यात्रा निकाली और जनता को समर्थन देने के लिए आभार जताया। दिसम्बर 2009 में सरकार आपके द्वार नीति के तहत प्रवास यात्रा निकाली। गांव-गांव में रुक कर उन्होंने लोगों की बातें सुनीं। अप्रैल 2010 में विश्वास यात्रा निकाली। 2010 में जब फिर सत्ता मिली तो नीतीश नवम्बर 2011 में सेवा यात्रा पर निकले थे। वे सितम्बर 2012 में अधिकार यात्रा, मार्च 2014 में संकल्प यात्रा, नवम्बर 2014 में संपर्क यात्रा, 2016 में निश्चय यात्रा, 2017 में समीक्षा यात्रा, दिसम्बर 2018 में गौरव यात्रा पर निकले थे। अब दिसम्बर 2019 से वे जल जीवन हरियाली यात्रा पर हैं। नीतीश कहते रहे हैं कि जब भी वे आम जनता से मिलते हैं तो उनसे अपने काम की मजदूरी देने की गुजारिश करते हैं। उनका ये नुस्खा अभी तक कामयाब रहा है।
अब विवाद नहीं सिर्फ काम
प्रशांत किशोर के सीटों वाले बयान के बाद भाजपा और जदयू में फिर तल्खियां बढ़ने लगीं थीं। नीतीश ने पहले 'सब ठीक है' कह कर विवाद की आग पर पानी डाला। फिर उन्होंने विपिन रावत की नियुक्ति का समर्थन कर भाजपा को आश्वस्त किया कि वे नरेन्द्र मोदी के फैसले के साथ मजबूती से खड़े हैं। विपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाया गया है। नीतीश ने अपना नजरिया साफ कर के जदयू के अन्य नेताओं को ये संदेश दिया है कि वे भाजपा के साथ टकराव का रास्ता नहीं अपनाएं।
(इस लेख में व्यक्त विचार, लेखक के निजी विचार हैं. आलेख में दी गई किसी भी सूचना की तथ्यात्मकता, सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)