क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

Lok Sabha Elections 2019: खत्म नहीं हो रहा पीएम के जवाब पर सवाल

By राजीव रंजन तिवारी
Google Oneindia News

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नए वर्ष पर दिए गए इंटरव्यू में उनके जवाबों पर उठने वाले सवाल खत्म होने के नाम नहीं ले रहे। नए वर्ष के पहले दिन उन्होंने एक न्यूज एजेंसी को साक्षात्कार क्या दिया कि पूरे सियासी हलके और मीडिया खेमे में तमाम तरह के सवाल उठने लगे। ये सवाल यूं ही नहीं थे। उसके लिए जिम्मेदार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद हैं। भारत के अच्छे दिन लाने की शपथ ले कर सत्ता में आए और साढ़े चार बरस में देश को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संस्कारों के पाषाण-काल में खींच ले गए हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पूरे कार्यकाल मीडिया से नज़रें चुराते रहे। अब इस वर्ष लोकसभा चुनाव होने वाले हैं तो उन्होंने कथित प्रायोजित इंटरव्यू देकर पब्लिक को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास किया है। पर, विपक्षी उनसे कई तरह के सवाल कर रहे हैं। जिसका जवाब न तो पीएम के पास है और ना ही भाजपा के पास।

<strong>इसे भी पढ़ें:- वंदेमातरम् कांग्रेस-बीजेपी दोनों के लिए क्यों बन गया है 'हॉट केक' </strong>इसे भी पढ़ें:- वंदेमातरम् कांग्रेस-बीजेपी दोनों के लिए क्यों बन गया है 'हॉट केक'

इंटरव्यू पर उठ रहे सवाल

इंटरव्यू पर उठ रहे सवाल

अपने कार्यकाल के डेढ़ सौ दिन पहले अगर मोदी ने मीडिया की पैनी निगाहों का सामना करने के बजाय मिमियाते सवालों के जवाब में अपना छवि-निर्माण प्रायोजित किया है तो आप उन्हें माफ़ कर दीजिए। वे पराक्रमी हैं, उनके पास छप्पन इंच की छाती है, वे बातें बनाने की कला जानते हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद एक दिन की भी छुट्टी नहीं ली है। लेकिन इसका मतलब यह कहां से हो गया कि वे हर तरह के सवालों का सामना करने को तैयार हो जाएं। वे जवाबदेह हैं, मगर सिर्फ़ उन सवालों के जवाब देंगे, जिनका वे देना चाहते हैं। वो भी तब, जब वे सवाल उस तरह पूछे जाएं, जिस तरह वे चाहते हैं। प्रधानमंत्री के इस इंटरव्यू से जिन्हें ‘वाह-वाह' की गूंज बिखरने की उम्मीद थी, वे सब मुंह लटकाए बैठे हैं। सबने इंटरव्यू को ढाक के तीन पात बताया। इनमें वे लोग भी थे, जिन्होंने मोदी की हर अदा पर मर मिटने के लिए ही जन्म लिया है। उनका तालठोकू अंदाज़ भी तिरोहित-सा जान पड़ा।

विपक्षी दल कर रहे कई तरह के सवाल

विपक्षी दल कर रहे कई तरह के सवाल

इस इंटरव्यू ने एक पराक्रमी प्रधानमंत्री की बेचारगी जग-ज़ाहिर करने के अलावा और कुछ नहीं किया। क्या आप सोच भी सकते हैं कि व्लादिमीर पुतिन अपना इंटरव्यू रूस के किसी कपिल शर्मा से करवाएंगे? क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि शी जिन पिंग अपना इंटरव्यू चीन की किसी भारती सिंह से करवाएंगे? और-तो-और, क्या डोनाल्ड ट्रंप तक अपना इंटरव्यू अमेरिका के किसी राजू श्रीवास्तव से करवा लेंगे? लेकिन ये नरेंद्र मोदी हैं, जिन्हें इस बात से फ़र्क़ पड़ता है कि कहीं वे अपना इंटरव्यू किसी धीर-गंभीर प्रश्नकर्ता को न दे बैठें। इसलिए वे जब से प्रधानमंत्री बने हैं, उन्होंने फूंक-फूंक कर यह सावधानी बरती है कि सिर्फ़ उन्हीं के पूछे सवालों के जवाब दें, जिन्हें सवाल पूछने का सलीका आता हो। क्योंकि प्रधानमंत्री बनने से पहले कई बार उन्हें बेसलीकेदार सवालियों के सामने से बीच में ही उठ कर चले जाने का पराक्रम दिखाना पड़ गया था। अब भारत का प्रधानमंत्री रोज़-रोज़ ऐसा करता फिरे, यह भी तो शोभा नहीं देता। सो, फ़जीहत से ऐहतियात भली। पहले के किसी प्रधानमंत्री ने पत्रकारों को अपने से दूर रखने के लिए इस तरह दिन-रात एक नहीं किए। मोदी ने आते ही अपने दरवाज़े तो उन पत्रकारों के लिए पूरी तरह बंद कर लिए, जो उनकी तरह सोचने से इनकार करते हों, अपनी पूरी सरकार के गलियारों में भी उनके प्रवेश पर पाबंदी लगा दी।

राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री मोदी से कई सवाल पूछे

राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री मोदी से कई सवाल पूछे

हो सकता है, पत्रकारिता के नाम पर फैल गई खर-पतवार को नियंत्रित करना हमारे प्रधानमंत्री को खुद की प्राथमिक ज़िम्मेदारी लगती हो, मगर इस प्रक्रिया में सारा धान ढाई पसेरी परोस देना कौन-सी बुद्धिमानी है? पीएम मोदी के साक्षात्कार ने बहुत से लोगों को हैरान किया, हालांकि आम लोगों के लिए यह एक तरह का संदेश भी था कि इस साल देश में नई सरकार के लिए चुनाव होंगे। इस साक्षात्कार के अगले दिन लोकसभा के अंदर कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री मोदी से कई सवाल पूछे थे। राहुल के सवालों के जवाब भी मोदी के पास नहीं थे। वैसे आम जनता मोदी से जानना चाहती है कि नोटबंदी किसके फ़ायदे के लिए हुई थी? देश में सरकारी स्कूल और अस्पतालों की हालत कब ठीक होगी? आरक्षण ख़त्म करने का साहस कब दिखाएंगे मोदी या उन्हें वोट बैंक की चिंता है? जनधन खाते में 15 लाख कब आएंगे?' इतने बड़े देश में विपक्ष को विश्वास में लिए बिना निर्णय लेना देशहित में होता है क्या? रुपया कमज़ोर क्यों हो रहा है? ग़रीब जनता के लिये अपने कार्यकाल में क्या किया? ये सरकार मन्दिर मस्जिद,जाति धर्म को छोड़कर कब शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर काम या बात करेगी? कुछ लोगों के मन में यह भी सवाल उठ रहा है, जो पीएम से पूछना चाहिए कि जब आप यह बोलते हैं कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी बेल पर बाहर हैं तो आप उन्हें जेल क्यों नहीं भेजते? रफ़ाल का रेट और राम मंदिर की डेट कब बताएंगे? न्यायिक व्यवस्था में गति लाने के लिए कोई प्रयास क्यों नहीं किए जा रहे? ये कुछ एसे सवाल हैं, जो आम जनता के मन में है। इन सवालों का जवाब पीएम नहीं दिया। और न ही उनसे इस तरह के सवाल किए गए। स्वाभाविक उनके साक्षात्कार पर सवाल तो उठेगा ही।

राम मंदिर पर पीएम मोदी ने कही बड़ी बात

राम मंदिर पर पीएम मोदी ने कही बड़ी बात

हालांकि प्रधानमंत्री ने अपने इंटरव्यू में ऐसी हर आशंका को निर्मूल करने का प्रयास किया। जैसे मंदिर-मस्जिद विवाद पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब तक कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, सरकार इस विषय में कोई कदम नहीं उठाएगी। अपनी इस बात के जरिये उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया है कि राम मंदिर बनवाने के लिए अध्यादेश या प्राइवेट बिल जैसा न्यायपालिका की अवहेलना करने वाला कोई रास्ता उनकी सरकार नहीं अपनाने जा रही। दूसरे शब्दों में कहें तो आरएसएस-वीएचपी द्वारा इस मुद्दे को लेकर बनाया जा रहा दबाव मोदी सरकार के लिए ज्यादा मायने नहीं रखता। इसी तरह धर्म के आधार पर की जाने वाली मॉब लिंचिंग और गाय के नाम पर जारी हिंसा के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसी घटनाएं किसी सभ्य समाज को शोभा नहीं देतीं। उन्होंने न सिर्फ अपनी तरफ से इनकी कड़ी निंदा की, बल्कि यह भी कहा कि किसी भी व्यक्ति द्वारा ऐसी घटनाओं का बचाव करना निंदनीय है।

नोटबंदी देश के लिए एक झटका थी, इस बात को पीएम ने नकारा

नोटबंदी देश के लिए एक झटका थी, इस बात को पीएम ने नकारा

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार के अब तक के समूचे कार्यकाल में उठाए गए कई नीतिगत कदमों को लेकर जनता के बीच मौजूद सवालों के जवाब भी दिए। जैसे उन्होंने इस बात को नकारा कि नोटबंदी देश के लिए एक झटका थी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने साल भर पहले से ही लोगों को चेतावनी दे दी थी कि अगर आपके पास ब्लैकमनी है तो आप पर जुर्माना लग सकता है। जीएसटी को लेकर उन्होंने कहा कि इसे लागू करने से पहले सभी पार्टियों की राय ली गई थी और इस पर अमल की प्रक्रिया पिछली सरकार के समय से ही चल रही थी। राफेल डील को लेकर लगे आरोपों के संबंध में मोदी ने कहा कि उन पर कोई निजी आरोप नहीं है और सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में बहुत कुछ साफ कर दिया है। कुछ राज्यों में की गई किसानों की कर्जमाफी को उन्होंने लॉलीपॉप बताया। सवाल-जवाब से हटकर देखें तो इस इंटरव्यू के लगभग हर बिंदु पर प्रधानमंत्री ने सीधे कांग्रेस पर चोट की, जो चुनावी माहौल को देखते हुए स्वाभाविक है। लेकिन अभी उनके लिए ज्यादा चिंता की बात यह होनी चाहिए कि मॉब लिंचिंग और गोरक्षा जैसे विवादित मामलों में उनके लोग ही उनकी बात को गंभीरता से क्यों नहीं ले रहे। कुल मिलाकर इंटरव्यू बहुत अच्छा नहीं रहा। अब देखते हैं कि आगे क्या होता है।

(ये लेखक के निजी विचार हैं।)

<strong>इसे भी पढ़ें:- राफेल पर ललकार रहे हैं राहुल तो भाग क्यों रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी? </strong>इसे भी पढ़ें:- राफेल पर ललकार रहे हैं राहुल तो भाग क्यों रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी?

Comments
English summary
many questions looms large on Narendra Modi latest Interview before loksabha elections 2019
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X