मध्यप्रदेश में कांग्रेस का ‘Temple Run’, हिंदुत्व के सहारे 15 साल का वनवास खत्म करने की चाह
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही ये लड़ाई भाजपा बनाम कांग्रेस मानी जा रही थी क्योंकि एक दल सत्ता में है तो दूसरा दल 15 सालों बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की खामियों को भुनाकर सत्ता पाने की कोशिश में जुटा है। हर राज्य की तरह यहां भी चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही रणनीति बनाई जाने लगी थी। भाजपा एक तरफ मुख्यमंत्री की लोकप्रियता, बिखरी हुई कांग्रेस और अपनी योजनाओं को गिनाते हुए चुनावों की तैयारी कर रही थी तो कांग्रेस व्यापमं, फर्जी वोटर लिस्ट, किसानों के मुद्दे, कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर भाजपा को घेरती रही है। लेकिन इसके बाद कांग्रेस ने अपनी रणनीति में थोड़ा बदलाव किया और गुजरात, कर्नाटक की तर्ज पर शुरू हुआ 'टेम्पल रन'।
राहुल के शिवभक्त वाले अवतार से कांग्रेस को उम्मीदें
कैलाश मानसरोवर की यात्रा से लौटे कांग्रेस अध्यक्ष पार्टी के कैंपेन को मजबूती देने भोपाल पहुंचे, जहां रैली स्थल के आसपास शिवभक्त राहुल गांधी के पोस्टर दिखाई दिए। जबकि रोड शो के दौरान भी जगह-जगह ऐसे ही पोस्टरों की भरमार थी। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में भी इस 'नए हिंदुत्व' को लेकर खासा उत्साह नजर आने लगा है और मंच के समीप 'बोल-बम' और 'हर-हर महादेव' के नारे गूंजने लगे हैं जो कांग्रेस की सभाओं में शायद ही कभी सुनाई दिए हों।
15 अक्टूबर को पीताम्बरा देवी के दर्शन करने जा रहे राहुल
मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने अब पूरी तरह भगवा रास्ता अपना लिया है। भाजपा की तर्ज पर ही कांग्रेस गाय के संरक्षण की बात कर रही है, हर पंचायत में गौशाला बनाने की बात करने लगी है। कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल चित्रकूट से अमरकंटक के रूट की परिक्रमा करता दिखाई दिया, राम वन पथ गमन यात्रा पर कांग्रेस ने जोर दिया। जबलपुर में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दोपहर में नर्मदा आरती में हिस्सा लिया। चाहे कमलनाथ हों या फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया, मंदिर की इस दौड़ में वे भाजपा से एक कदम पीछे नहीं रहना चाहते हैं। चुनाव नजदीक हैं और नवरात्र शुरु हो गए हैं तो इसी कड़ी में राहुल गांधी 15 अक्टूबर को दतिया जिले में मशहूर पीताम्बरा देवी के मंदिर जा रहे हैं। ये मंदिर बगलामुखी देवी का है और इसे पीताम्बरा पीठ भी कहा जाता है।
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पहले हिंदुत्व से पल्ला झाड़ती रही थी कांग्रेस
चित्रकूट की यात्रा के बाद राहुल गांधी को 'राम भक्त' के रूप में दर्शाया गया तो जबलपुर में उन्हें मां नर्मदा के भक्त के रूप में दिखाया गया। ऐसा ही नजारा गुजरात, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक चुनाव के दौरान भी दिखाई दिया था। मध्य प्रदेश में तीन चुनावों में हार के बाद अब कांग्रेस को हिंदुत्व ही सहारा दिखाई दिया जिससे कभी पार्टी सीधे ही पल्ला झाड़ लिया करती थी। साल 2003 में दिग्विजय सिंह ने हिंदुत्व का विरोध किया था। लेकिन बीजेपी ने भगवा एजेंडे पर चलते हुए उस वक्त नरेंद्र मोदी और प्रवीण तोगड़िया को जनसभा को संबोधित करने के लिए बुलावा भेजा था।
बीजेपी को उसी के अंदाज में मात देने की कोशिश
मध्य प्रदेश में चुनाव दर चुनाव कांग्रेस हिंदुत्व को लेकर भाजपा पर हमले करती रही। लेकिन भाजपा ने हिंदुत्व की राह को ही अपनाया और इसे कांग्रेस के खिलाफ एक मजबूत हथियार बना लिया। लिहाजा इतने सालों के बाद कांग्रेस अब जनेऊधारी पंडित राहुल गांधी ( पोस्टर में अंकित) के नेतृत्व में भाजपा को उसी के गढ़ में उसी के हथियार से मात देने की कोशिश कर रही है। ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस का नया हिंदुत्वप्रेम मध्य प्रदेश में पार्टी को सत्ता के कितना करीब ला पाता है।
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