क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

जिन्ना का नाम लेना इस देश में गुनाह क्यों हो गया है?

By प्रेम कुमार
Google Oneindia News

नई दिल्ली। शत्रुघ्न सिन्हा अब कहते रहें कि उनके मन में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद थे और बोलते समय मोहम्मद अली जिन्ना निकल गया, पर इससे क्या फर्क पड़ता है। मोहम्मद अली जिन्ना की ज़रूरत 2019 के आम चुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा या कांग्रेस को जितना है उससे ज्यादा बीजेपी को है। बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ऐसे विषय पर प्रतिक्रिया देने में देर नहीं करते। उन्होंने कहा, “जब शत्रुघ्न बीजेपी में थे तो राष्ट्रप्रेम की बात करते थे, कांग्रेस में जाते ही जिन्ना की तारीफ करने लगे।” देश के वित्तमंत्री रहे पी चिदम्बरम ने जानना चाहा है कि यही शत्रुघ्न सिन्हा हाल तक बीजेपी में रहे थे और लम्बे समय तक रहे थे। इस विचार के साथ वे कैसे वहां रह गये? चाहे अमित शाह हों या फिर पी चिदम्बरम, दोनों ही मूल बातें छोड़कर बात कर रहे हैं। मोहम्मद अली जिन्ना का राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान था, इस बात को कौन गलत ठहरा सकता है। पाकिस्तान बनने में मोहम्मद अली जिन्ना की भूमिका थी और इस तरह से हिन्दुस्तान के बनने में भी उनकी भूमिका थी, इस बात को भी नहीं भुलाया जा सकता। इस बात का ज़िक्र करने भर से हायतौबा क्यों मच रही है?

जिन्ना को पाकिस्तान बनाने का अफसोस भी हुआ

जिन्ना को पाकिस्तान बनाने का अफसोस भी हुआ

यह सच है कि हिन्दुस्तान में मोहम्मद अली जिन्ना के बारे में पढ़ाया नहीं जाता। उनका जो भी ज़िक्र है एक खलनायक के रूप में है। 80 के दशक में एक पाकिस्तानी राजनेता ने मोहम्मद अली जिन्ना के डॉक्टर के हवाले से लिखा था कि जब तत्कालीन प्रधानमंत्री मोहम्मद लियाकत अली बीमार जिन्ना को देखने पहुंचे थे, तो जिन्ना ने उन्हें बहुत फटकारा था। फटकारते हुए कहा था कि पाकिस्तान लियाकत ने नहीं, उन्होंने यानी खुद जिन्ना ने बनाया था। और, उन्हें इस बात का अफसोस है कि उन्होंने पाकिस्तान बनाया।

हिन्दूवाद की राजनीति करने वाले इस बात को भूल जाते हैं कि उनकी राजनीति बहुत मुश्किल होती अगर पाकिस्तान न बना होता। एकीकृत हिन्दुस्तान में मुसलमानों की आबादी आज 40 से 45 फीसदी होती। तब इस हिन्दुस्तान की सियासत भी अलग किस्म से होती। क्या यह मोहम्मद अली जिन्ना का योगदान नहीं है? इस योगदान को हिन्दूवादी संगठन किस रूप में देखते हैं?

आडवाणी ने पाकिस्तान जाकर चढ़ायी थी जिन्ना के मजार पर चादर

आडवाणी ने पाकिस्तान जाकर चढ़ायी थी जिन्ना के मजार पर चादर

याद कीजिए लालकृष्ण आडवाणी का पाकिस्तान जाकर जिन्ना की मजार पर फूल चढ़ाना। माना जाता है कि 11 अगस्त 1947 को मोहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान में सभी धर्म के लोगों के लिए समान अवसर की बात कही थी, जिस पर वे अमल नहीं कर पाए। उस बयान को याद करके मोहम्मद अली जिन्ना को सम्मान देने वालों में लालकृष्ण आडवाणी भी रहे हैं। आडवाणी हों या मोहम्मद अली जिन्ना इनका संबंध हिन्दुस्तान और पाकिस्तान दोनों से रहा है। मोहम्मद अली जिन्ना शिया मुसलमान थे। उनके पूर्वज मुल्तान से गुजरात आ बसे थे। किसी का दावा उनके बनिया होने का है तो किन्ही का मानना है कि उनके पूर्वज राजपूत थे।

मोहम्मद अली जिन्ना आजादी से पहले चंद उन नेताओँ में थे जिन्होंने इंग्लैंड में जाकर पढ़ाई की और हिन्दुस्तान लौटकर राजनीति में कदम रखे। मोहम्मद अली जिन्ना ने मुम्बई को अपना बसेरा बनाया, वहां वकालत की। महात्मा गांधी और मोहम्मद अली जिन्ना की सियासत ही नहीं, रहन-सहन में भी ज़मीन-आसमान का फर्क था। गांधीजी की ही तरह मोहम्मद अली जिन्ना भी धार्मिक रूप से कट्टर नहीं रहे। खुलकर शराब पीना, खुलकर अपनी बातें रखना उनकी आदतों में शुमार था। फिर भी, एक समय आया जब राजनीतिक रूप से उनके निर्णय ने उन्हे खलनायक बना दिया।

<strong>पहले बताया था कांग्रेस को जिन्ना की पार्टी, विवाद बढ़ने पर शत्रुघ्न सिन्हा ने दी ये सफाई</strong>पहले बताया था कांग्रेस को जिन्ना की पार्टी, विवाद बढ़ने पर शत्रुघ्न सिन्हा ने दी ये सफाई

इस्लाम को धर्मनिरपेक्ष मानते थे जिन्ना

इस्लाम को धर्मनिरपेक्ष मानते थे जिन्ना

पाकिस्तान को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के पीछे मोहम्मद अली जिन्ना का तर्क था कि इस्लाम अपने आप में धर्मनिरपेक्ष विचारों को समाहित किए हुए है। उनकी यह बात सही होते हुए भी सही साबित नहीं हुई। उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ। मगर, इस वजह से क्या मोहम्मद अली जिन्ना को अखण्ड भारत के एक सफल राजनेता के रूप में याद किया जाना त्याग देना चाहिए? जिन्ना का नाम लेना इस देश में गुनाह क्यों हो गया है?

शत्रुघ्न सिन्हा ने जो बातें कही हैं उसमें न कुछ गलत है और न ही माफी मांगने वाली बात। इस बात में किसी के कांग्रेसी और भाजपाई होने की भी बात नहीं है। मगर, बाद में जब वे अपना बयान बदल रहे हैं तो उसमें ज़रूर उनका कांग्रेसी होना नज़र आता है, चुनाव अभियान का असर भी उसमें दिखता है। क्यों नहीं शत्रुघ्न सिन्हा को कोसने और उन्हें कांग्रेसी होने से जोड़ने के बजाए वे आडवाणी और उनके भाजपाई होने का ज़िक्र करते हैं?

यहां क्लिक करें और पढ़ें लोकसभा चुनाव 2019 की विस्तृत कवरेज

(इस लेख में व्यक्त विचार, लेखक के निजी विचार हैं. आलेख में दी गई किसी भी सूचना की तथ्यात्मकता, सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं.)

Comments
English summary
lok sabha elections 2019 shatrughan sinha muhammad ali jinnah controversy
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X