लोकसभा चुनाव 2019 : राहुल की ‘चौकीदार’ पिच पर आ फंसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी!
नई दिल्ली। 2014 में “अच्छे दिन आने वाले हैं” का नारा था। इस बार नारा है “मैं भी चौकीदार हूं”। तब सपने दिखाए गये थे। इस बार कोई सपना नहीं है, कोई वादा नहीं है। बल्कि, संदेश है कि आम भारतीय देश के प्रधान सेवक यानी चौकीदार के साथ कतार में है और वे खुद को पीएम मोदी की तरह देश का चौकीदार मानते हैं। स्पष्ट है कि 2014 में पार्टी देश के लोगों को भरोसा दिला रही थी। आज पार्टी खुद को भरोसा दिला रही है कि लोग प्रधानमंत्री के साथ हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट में वीडियो संदेश के साथ 2019 के लिए चुनाव प्रचार का आरम्भ किया है। ट्वीट के टेक्स्ट मैसेज में लिखा गया है कि “आपका चौकीदार मजबूती से खड़ा है और देश की सेवा कर रहा है। लेकिन मैं अकेला नहीं हूं। हर व्यक्ति जो भ्रष्टाचार, गंदगी, सामाजिक बुराई से लड़ रहा है, वह चौकीदार है। हर वह व्यक्ति जो देश के विकास में कठिन मेहनत कर रहा है वह चौकीदार है। आज हर भारतीय कह रहा है- मैं भी चौकीदार हूं।”
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'मैं
भी
चौकीदार
हूं’
अभियान
के
दो
मायने
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ने
राहुल
गांधी
के
सबसे
लोकप्रिय
जुमले
को
अपने
चुनाव
अभियान
का
हिस्सा
बनाया
है।
इसके
दो
मायने
हैं।
एक
मतलब
वरिष्ठ
पत्रकार
रोहित
सरदाना
ने
अपने
ट्वीट
में
बताया
है
कि
विरोधियों
के
पत्थर
को
भी
नरेंद्र
मोदी
सीढ़ी
बना
लेते
हैं।
यानी
जिस
पत्थर
से
राहुल
गांधी
ने
नरेंद्र
मोदी
पर
हमला
किया,
उसी
पत्थर
को
वे
अपने
चुनाव
अभियान
में
आगे
बढ़ने
के
लिए
इस्तेमाल
कर
रहे
हैं।
दूसरा
मतलब
है
कि
बीजेपी
का
चुनावी
मुद्दा
2019
के
लिए
नरेंद्र
मोदी
ने
नहीं,
राहुल
गांधी
ने
तय
किया
है।
दूसरे
शब्दों
में
बीजेपी
के
पास
'अच्छे
दिन
आने
वाले
हैं’
की
तर्ज
पर
कोई
नया
सपना
या
नया
नारा
नहीं
है।
पौने चार मिनट के एक वीडियो क्लिप के जरिए प्रधानमंत्री ने खुद 'मैं भी चौकीदार हूं’ का अभियान छेड़ा है। वीडियो की शुरुआत होती है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के एक अंश के साथ जिसमें वे कहते हैं, “आपका ये चौकीदार पूरी तरह से चौकन्ना है...।” आगे आम लोग जो इस देश को अपना घर और अपना चमन मानते हैं और जहां वे सबके लिए विकास चाहते हैं और अमन मांगते हैं, उनकी आवाज़ बुलन्द होती है। फिर वही आम लोग कहते हैं कि इस राह पर 'वे’ यानी नरेंद्र मोदी अकेले चल पड़े हैं। आगे वे खुद को उनकी ही कतार में शामिल बताते हैं। कहते हैं- “मैं भी चौकीदार हूं..”
नकारात्मक नारे को सकारात्मक बनाने की कोशिश
इस वीडियो में एकतरफा ये मान लिया गया है कि नरेंद्र मोदी जिस राह पर चल पड़े हैं पूरा देश उसी राह पर चल पड़ा है। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चौकीदार हैं तो समूचा देश चौकीदार है। मगर, जिस वजह से प्रधानमंत्री के चौकीदार होने की बात को अहमियत मिली है, वह नकारात्मक है। अगर राहुल गांधी ने राफेल के मुद्दे को उठाते हुए पीएम मोदी के लिए 'चौकीदार चोर है’ का नारा नहीं दिया होता, तो 'चौकीदार’ शब्द इतना नकारात्मक नहीं होता। इसका मतलब ये है कि लोकसभा चुनाव में इसी बात पर जंग होगी कि चौकीदार के रूप में नरेंद्र मोदी 'चोर’ हैं या फिर 'वो’ हैं जो इस वीडियो में चौकीदार का मतलब बताया गया है।
वीडियो में कूड़ा नहीं फैलाने व भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने के साथ-साथ नये भारत की कल्पना से जुड़ने का भरोसा आम लोग देते दिख रहे हैं। मेहनतकश लोग कहते सुने जा सकते हैं कि हर घर का चूल्हा उनकी मेहनत से चलता है और वे उज्जवला योजना को सलाम करते हैं। ये मेहनतकश लोग खुद को विकास में छोटा सा भागीदार बताते हैं। और आखिर में सब गुनगुनाते हैं कि “मैं भी चौकीदार हूं।“
विरोधियों
के
आरोपों
पर
बगैर
जांच
के
सर्टिफिकेट
एक तरह से सरकारी योजनाओं की तारीफ के साथ उसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हुए उनके चौकीदार होने के पक्ष में ये तालियां बजाने के समान प्रतिक्रिया है। इस वीडियो क्लिप में लोगों के मुंह से विरोधियों को झूठा भी बताया गया है और उससे बेपरवाह रहने के लिए सच की परख रखने का सामर्थ्य पास होने का दावा किया गया है। यह विश्वास जताया गया है कि विरोधी उन्हें बहका नहीं सकेंगे।
इसका मतलब ये हुआ कि विपक्ष जो आरोप लगा रहा है वह सही नहीं है और इस वजह से आम लोग भ्रमित नहीं होंगे। यह बात भी सत्ता पक्ष के भीतर समाए डर को ही सामने ला रहा है जो बिना किसी जांच के ही खुद को ईमानदारी का सर्टिफिकेट बांटने पर आमादा है।
सीमा पर तनाव को भी भुनाने की कोशिश
बीजेपी के वीडियो में असत्य नहीं सहने, चुप नहीं रहने की हुंकार भरते हुए आम लोग कहते हैं कि सरहद पर मौजूद रहने वाले हौंसलों के साथ वे खुद हुंकार हैं। वे आतंक नहीं सहने की आवाज़ बुलन्द करते हैं। एक तरह से सीमा पर हाल में घटी घटनाओं का श्रेय लेने की कोशिश है। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का फायदा उठाने की कोशिश भी इस वीडियो क्लिप में दिखती है।
चौकीदार को झूठ के कपाल पर बसंत का बहार बताया गया है। वीडियो का समापन इस विचार के साथ होता है कि हर उस भारतीय में एक चौकीदार है जिसमें देश की फिक्र है और ऐसे लोग प्रधानमंत्री के साथ 31 मार्च को शाम 6 बजे जुडऩे की अपील की गयी है। यह बहुत कुछ अपने मुंह मियां मिट्ठू वाली कहावत को चरितार्थ करता है।
पीएम मोदी ने अपने ट्वीट और इस ट्वीट में वीडियो क्लिप के जरिए संदेश देने की कोशिश की है कि वही देश के सबसे बड़े चौकीदार हैं, ईमानदार हैं और चौकीदार का मतलब वही है जो वे समझते और समझाना चाहते हैं। मगर, सीन अभी बाकी है। इस कैम्पेन के जवाब में विरोधी दल कैसा जवाब देते हैं उस पर इस कैम्पेन के अच्छे या बुरे परिणाम बीजेपी के लिए निकलने वाले हैं। फिलहाल यही कहा जा सकता है कि पीएम मोदी ने राहुल गांधी के पिच पर खेलने का फैसला कर लिया है।
(इस लेख में व्यक्त विचार, लेखक के निजी विचार हैं. आलेख में दी गई किसी भी सूचना की तथ्यात्मकता, सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं।)
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