प्रधानमंत्री मोदी ने राजीव गांधी पर क्यों लगाया हैरतअंगेज आरोप?
नई
दिल्ली।
अचानक
हंगामा
बरप
गया।
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ने
हैरतअंगेज
बयान
दे
डाला।
एक
ऐसा
बयान
जिसे
एडमिरल
रामदास
और
रिटायर्ड
वाइस
एडमिरल
विनोद
पसरीचा
तक
ने
नकार
दिया।
प्रधानमंत्री
का
बयान
सेना
के
इस्तेमाल
पर
बयान
था।
आरोप
पूर्व
प्रधानमंत्री
राजीव
गांधी
पर
था।
नरेंद्र
मोदी
ने
बयान
दिया
कि
राजीव
गांधी
ने
प्रधानमंत्री
रहते
आईएनएस
विराट
का
इस्तेमाल
टैक्सी
की
तरह
किया।
विदेशी
ससुरालवालों
के
साथ
छुट्टियां
बिताईं।
देश
की
सुरक्षा
के
साथ
खिलवाड़
किया।
प्रधानमंत्री पुरानी बात को ही दोहराया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या कहा उस पर डालते हैं नज़र, "INS विराट उस समय समुद्र की रखवाली के लिए तैनात था। उनके पूरे कुनबे को लेकर आईएनएस विराट खास द्वीप पर रुका और 10 दिन तक रुका रहा। राजीव गांधी के साथ छुट्टी मनाने वालों में उनके ससुराल वाले भी थे। क्या विदेशी लोगों को वॉरशिप पर ले जाकर देश की सुरक्षा से खिलवाड़ नहीं किया था? नामदार परिवार की इस छुट्टी का किस्सा इतने पर खत्म नहीं होता, जिस द्वीप पर गांधी परिवार छुट्टी मनाने गया था, वहां रख-रखाव का काम भी नौसेना ने ही किया था। जब एक परिवार ही सर्वोच्च हो जाता है तो देश की सुरक्षा दांव पर लग जाती है।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इतने दावे के साथ जो हैरतअंगेज बात रखी, वह अगर खुलासा होता तो निश्चित रूप से बड़ा खुलासा था। मगर, ऐसा नहीं है। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी बातों के समर्थन में एक रिपोर्ट ट्वीट की है। यह रिपोर्ट इंडिया टुडे की है और 2013 में प्रकाशित है। जिस घटना के बारे में दावा किया जा रहा है वह घटना 1987 के दिसम्बर महीने की है। जाहिर है कोई नयी बात प्रधानमंत्री ने नहीं कही थी। एक रिपोर्ट जो छप चुकी थी, उसी के हवाले से उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी पर इल्जाम लगाए। मगर, इल्ज़ाम का आधार बिल्कुल गलत निकला।
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कांग्रेस ने राजीव गांधी की उस यात्रा को आधिकारिक बताया है और नरेंद्र मोदी के दावे को झुठलाया है। सेवानिवृत्त वाइस एडमिरल विनोद पसरीचा ने भी टीवी चैनलों पर प्रधानमंत्री के दावे को झूठा करार दिया है। उनका कहना है, "राजीव गांधी एक आधिकारिक यात्रा पर थे। यह छुट्टी नहीं थी। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो सवाल पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी पर उठाए हैं उससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं-
जो बात 2013 में इंडिया टुडे में छप गयी थी, अगर वह सही थी तो पांच साल तक मोदी सरकार खामोश कैसे बैठी रही? क्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव के छठे चरण का इंतज़ार किया जहां बीजेपी को जीत के जबरदस्त स्ट्राइक रेट को बरकरार रखने की चुनौती है? अगर ये मान लिया जाए प्रधानमंत्री राजीव गांधी छुट्टियां मनाने जिस द्वीप में गये थे, वहां जाने और रहने का पूरा प्रबंध रक्षा मंत्रालय ने किया, तो यह गलत कैसे है?
1987 में एलटीटीई ने भारत, श्रीलंका के साथ त्रिपक्षीय वार्ता को तोड़कर अशांति पैदा कर दी थी और भारत को श्रीलंका में शांति सेना भेजनी पड़ी थी। जिस एलटीटीई ने 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी, वह एलटीटीई क्या समुद्री द्वीप में तत्कालीन प्रधानमंत्री को बख्श देती? क्या सेना का कर्त्तव्य नहीं था कि वह अपने देश के प्रधानमंत्री की रक्षा करे? जिस रिपोर्ट के हवाले से सारी बातें कही जा रही हैं और जिसकी तस्वीरें फैलायी जा रही हैं उस तस्वीर में अमिताभ बच्चन भी हैं। क्या अमिताभ भी आईएनएस विराट पर सवार थे? नहीं, वे हवाई जहाज से द्वीप पर पहुंचे थे। मगर, कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं मिलता कि सोनिया के मायके वालों को, जिन्हें विदेशी के तौर पर प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया है, आईएनएस विराट से लाया या ले जाया गया है।
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राजीव गांधी की छवि खराब करने की कोशिश!
मतलब ये है कि पूरी तरह से भ्रम फैलाने का प्रयास, राजीव गांधी की छवि को ख़राब करने की कोशिश दिख रही है। इस बारे में नेशनल हेराल्ड का दावा है, ''सभी लोग हेलिकॉप्टर के जरिए कोच्चि से बनग्राम आए और एक गेस्ट हाउस में ठहरे थे। राजीव गांधी ने 1987 में पवनहंस हेलिकॉप्टर सेवा की शुरुआत की थी, जो लोगों को द्वीप तक लेकर आते थे। राजीव ने अपने परिवार-रिश्तेदारों और बाकी लोगों ने स्वयं भुगतान भी किया था।''
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगर नरेंद्र मोदी के आरोप गलत हैं तो उन्हें क्या करना चाहिए? एक प्रधानमंत्री को दूसरे प्रधानमंत्री जो दिवंगत हो चुके हैं उनकी मान-मर्यादा को तोड़ने और उससे चुनावी लाभ लेने की कोशिश पर बीजेपी की प्रतिक्रिया क्या होगी? क्या आरएसएस को ऐसे बयान पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए? सच्चाई ये है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री आधिकारिक दौरे पर लक्षद्वीप गये थे। उनकी पूरी कैबिनेट उनके साथ थी। उसके आगे की जो यात्रा एक निर्जन द्वीप में हुई उसका सारा खर्च व्यक्तिगत रूप से राजीव गांधी ने वहन किया। इस दौरान आईएनएस विराट की भूमिका प्रधानमंत्री के निगरानी की रही होगी। क्योंकि, दावे से कोई नहीं कह सकता कि आईएनएस विराट की तैनाती क्यों रहा करती है। इसकी जानकारी लीक नहीं की जाती। पर, इतना तय है कि कोई व्यक्तिगत इस्तेमाल या टैक्सी की तरह इस्तेमाल या फिर विदेशी मेहमानों को छुट्टियां मनाने में इस्तेमाल जैसी बातें निराधार हैं।
शर्मनाक यह है कि पांच साल तक सत्ता में रहने के बावजूद मोदी सरकार इस पर अपनी आंखें बंद किए रही और चुनाव के आने का इंतज़ार किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगर दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर आरोप लगाने पर वोटों की उम्मीद है तो यह बात छठे और सातवें चरण के चुनाव परिणामों पर खास तौर से गौर करने पर स्पष्ट हो जाएगी। बस, समय का इंतज़ार कीजिए।
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