जयंती विशेष : बेहतरीन सच्चे इंसान के रूप में हमेशा याद करें जाएंगे राजीव त्यागी
एक आम मध्यमवर्गीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार में 29 सितंबर 1967 को जन्मे राजीव त्यागी भारतीय राजनीति के एक बेहद तेजी के साथ उभरते हुए उदयीमान सितारे थे, जो कि अपनी मेहनत के बलबूते कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने। त्यागी अपने 54वें जन्मदिन से कुछ दिनों पहले ही अभी हाल ही में 12 अगस्त 2020 को इस आमजनमानस की बेहद सशक्त आवाज वाले महायोद्धा का आकस्मिक निधन हो गया। वैसे तो ईश्वर की इच्छा पर कभी भी किसी का कोई नियंत्रण नहीं चलता है और उस सर्वव्यापी सर्वशक्तिमान का निर्णय सर्वमान्य होता है। लेकिन फिर भी बार-बार एक बात मन को कटोचती रहती है कि जिस राजनीति में कदम-कदम पर छल कपट झूठ प्रपंच कूट-कूट कर भरा हो, जहाँ आजकल इंसान व इंसानियत के हितों के नाम पर जमकर नौटंकी तो होती हो लेकिन वास्तव में उससे दूर-दूर तक कोई रिश्ता-नाता नहीं होता, उस राजनीति के माहौल में एक बेहद बेहतरीन सच्चे इंसान व संत महात्मा की तरह सनातन धर्म की परंपराओं के अनुसार बेहद सात्विक और संयमित जीवनयापन करने वाली महान पुण्यात्मा को आखिर ईश्वर ने अपने पास इतनी जल्दी क्यों बुला लिया।
जो व्यक्ति अपने आसपास सबका ध्यान रखने का प्रयास करता हो उसको ईश्वर को इतनी जल्दी अपने पास नहीं बुलाना चाहिए था, लोगों को उसके सहयोग की बेहद जरूरत थी। मन अक्सर यह सोच कर व्यथित हो जाता है कि जिस सच्चे व बेहद शानदार इंसान को प्रभु ने खुद ही जनसेवा का सशक्त माध्यम बनाकर धरा पर भेजा था, आखिर उसको इतनी जल्दी कम उम्र में हम लोगों के बीच से छीनकर सर्वशक्तिमान प्रभु ने वापस अपने पास क्यों बुला लिया। राजीव त्यागी जी का मिलनसार शानदार व्यवहार सच्चाई से पूर्ण स्पष्टवादिता उनके द्वारा अक्सर बिना किसी दिखावे के मानव सेवा के उद्देश्य को देखकर, यह लगता है कि जिस व्यक्ति की देश की राजनीति व समाज को बहुत ज्यादा जरूरत थी आखिर ईश्वर ने हम से उस बेहतरीन इंसान को बहुत जल्द अचानक क्यों छीन लिया। जो भी व्यक्ति उनसे जीवन में एकबार भी मिल लिया उनमें से अधिकांश का भी मन आज तक भी यह स्वीकार नहीं करता है कि राजीव जी अब इस दुनिया में नहीं रहे हैं। राजीव त्यागी जी ने अपने व्यक्तित्व से लोगों के दिलोदिमाग पर ऐसी अमिट छाप छोड़ी है कि वो हमेशा के लिए अजर-अमर हो गये हैं। हालांकि अब तो केवल डिजिटल दुनिया में उनकी दबंग कड़कड़ाती आवाज व लोगों के जहन में उन से जुड़ी अनमोल यादें शेष रह गयी हैं। उनके चले जाने के बाद आज उनकी विचारधारा को जिंदा रखना बहुत बड़ी चुनौती है।
आज जयंती पर उनसे जुड़े अभी हाल के संस्मरण की बात करें तो मार्च के माह में जब संम्पूर्ण देश में घातक कोरोना महामारी से बचाव के लिए अचानक केन्द्र सरकार ने लॉकडाऊन लगाने की घोषणा की थी, तो देश में बहुत सारे लोगों के सामने अचानक अपना व अपने परिवार का पेट भरने की समस्या आकर खड़ी हो गयी थी। उस भयंकर हालात को देखकर राजीव त्यागी जी बेहद व्यथित रहते थे, उन्होंने अपने शुभचिंतकों के माध्यम से देश में हर तरफ जरूरतमंद लोगों तक राशन पहुंचवाने का कार्य दिनरात मेहनत करके सफलतापूर्वक बिना किसी दिखावे के किया था, जब भी किसी जरूरतमंद व्यक्ति का उनके पास मदद के लिए संदेश आता था, वो तुरंत ही उसको समय से मदद पहुंचवाने का कार्य करते थे। स्थिति यह थी कि गाजियाबाद दिल्ली में तो वो अपनी गाड़ी में राशन का सामन रखकर खुद ही जब जरूरतमंद व्यक्ति के पास पहुंच जाते थे तो लोग उनकी सरलता को देखकर बेहद आश्चर्यचकित हो जाते थे। लॉकडाऊन के समय में इसके लिए उन्होंने अपने संबंध अपनी टीम व सोशल मीडिया का जमकर सदुपयोग करते हुए जरूरतमंद लोगों की खूब मदद की थी। अगर आज की युवा पीढी को वास्तव में सोशल मीडिया का सदुपयोग सीखना है तो उसके सामने स्वर्गीय राजीव त्यागी जी की कार्यप्रणाली एक मिसाल साबित हो सकती हैं। लॉकडाऊन के समय में उन्होंने अपने घरों से दूर जगह-जगह फंसे लोगों को घर पहुचाने के लिए मदद की लोगों के पास बनवाने वाहन का इंतजाम करवाने यहां तक की पैसे से मदद करना आदि काम उन्होंने हर जरूरतमंद व्यक्ति के मान सम्मान का ध्यान रखते हुए बिना किसी दिखावे के चुपचाप किया। कोरोना से पीडित लोगों को इलाज दिलवाने व अस्पताल में भर्ती करवाने में भी वो लगातार लोगों की मदद कर रहे थे।
यह उनके काम की एक बानगी भर है ताउम्र उन्होंने ऐसे ही आम जनमानस की सेवा का काम किया था, वो अक्सर कहा करते थे 'भाई देने वाला तो कोई और है हम तो केवल पहुंचाने के एक माध्यम मात्र हैं, इसलिए उनका हमेशा मानना था कि व्यक्ति को कभी किसी की मदद करते हुए दिखावा व अंहकार नहीं करना चाहिए, वो तो ईश्वर के द्वारा बनाया गया एक माध्यम मात्र है। राजीव त्यागी ने एक राजनेता के रूप में जीवन भर नकारात्मक राजनीति से दूर रहकर सकारात्मक राजनीति करके आम जनमानस व समाज को जोडने का कार्य किया, उनके लिए हमेशा इंसान व इंसानियत सर्वोपरि रही है। इसलिए उन्होंने जीवनपर्यंत कभी भी गलत का साथ नहीं दिया वो हमेशा सत्य के साथ दृढसंकल्प के साथ खड़े रहे चाहे उसका अंजाम कुछ भी हो, हालांकि उनको अपने राजनीतिक जीवन में इस व्यवहार के चलते बहुत नुकसान झेलना पड़ा लेकिन फिर भी उन्होंने कभी भी अपनी सत्य के साथ खड़े होने वाली शैली से मूँह नहीं मोड़ा।
(इस लेख में व्यक्त विचार, लेखक के निजी विचार हैं. आलेख में दी गई किसी भी सूचना की तथ्यात्मकता, सटीकता, संपूर्णता, अथवा सच्चाई के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)