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कोरोना के चलते फल-फूल व सब्जी पैदा करने वाले किसान परेशान, सरकार को देना होगा ध्यान

By दीपक कुमार त्यागी
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देश में कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन टू का पीरियड़ चल रहा है, मानव सभ्यता पर आये खतरे को समाप्त करने के लिए सभी लोगों की हालात ये है कि उनकी रोजमर्रा की जिंदगी न तो पटरी पर ठीक ढंग से चल रही है और न ही कोई काम-धंधा व्यापार चल रहा है। कोरोना काल के हालात देखकर ऐसा लगता है कि मानो जिंदगी बंद कमरे में रहकर एकदम थम सी गई है। देश के सभी वर्ग के लोगों को जीवन बचाने के संघर्ष में जबरदस्त आर्थिक हानि उठानी पड़ रही है। इस भयंकर संकट के चक्रव्यूह में देश का किसान भी बूरी तरह फंस गया है। हालांकि हर व्यक्ति जानता है कि "जान है तो ही जहान है।" लॉकडाउन के चलते वैसे हर किसी व्यक्ति को कुछ ना कुछ मुश्किलों का सामने करना पड़ रहा है, लेकिन अब हमारे देश के किसानों को दिनप्रतिदिन बहुत ज्यादा मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ा रहा है।

कोरोना के चलते फल-फूल व सब्जी पैदा करने वाले किसान परेशान

आज हम विशेषकर फल, फूल और सब्जियां उगाने वाले किसानों की स्थिति के बारे में जानते हैं। इन किसानों को उपज की मांग बेहद कम होने के चलते लॉकडाउन में काफी जबरदस्त आर्थिक नुकसान हो रहा है। वहीं रही सही कसर लॉकडाउन में शासन, प्रशासन व पुलिस की सख्ती के चलते साधनों के ना मिलने के कारण अधिकांश राज्यों के किसान फल, फूल व सब्जियों को अपने पास की मंडियों तक में भी नहीं पहुंचा पा रहे हैं। जिसकी वजह से किसानों की तैयार फसल खेतों में खड़े-खड़े बर्बाद हो रही हैं, और वक्त का मारा बेचारा किसान गुमशुम, लाचार व मजबूर होकर अपनी बर्बादी को खेत में बैठकर देख रहा है, उसकी पथराई आँखों को उम्मीद की कोई दूर-दूर तक किरण नज़र नहीं आ रही है। उसको इस बर्बादी के चक्रव्यूह से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है, आजकल वह बेहद परेशान है।

कोरोना के चलते फल-फूल व सब्जी पैदा करने वाले किसान परेशान

सबसे पहले फलों के किसानों की बात करें तो देश में मांग कम होने के चलते व मंडी तक पहुंचाने की समस्या के कारण किसान परेशान हैं। महाराष्ट्र के रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग जैसे कई जिलों में होने वाली अल्फांसो आम की फसल मार्च महीने में टूटने के लिए तैयार हो जाती है, जोकि मार्च से लेकर जून तक बाजारों में उपलब्ध रहती है। महाराष्ट्र के अलफांसो आम की विदेशों में भी अच्छी खासी मांग रहती है, हमारे देश के अल्फांसो आम की मांग अमेरिका, यूरोप के देश और खाड़ी के देशों में बहुत अधिक होती है। कोरोना की वजह से अल्फांसो आम के निर्यात न होने पर किसान परेशान हैं। आम दिनों में इसकी मांग घरेलू बाज़ार में भी पर्याप्त मात्रा में होती है, लेकिन देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से देश में मांग बेहद कम हो गयी है और रही सही कसर ट्रांसपोर्ट की उचित व्यवस्था ना होने के कारण देश के किसी और हिस्से में अल्फांसो आम को भेज पाना अब आसानी से संभव नहीं हो पा रहा है। वहीं लॉकडाउन की वजह से पेड़ से आम को तोड़ने उसकी छटाई, सफ़ाई और पैकेजिंग के लिए मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं, जिससे किसान परेशान है। वहीं सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि आने वाले समय में दशहरी, चौसा, लंगड़ा, फाजली, मल्लिका, रटोल, गुलाब जामुन, रामकेला, और आम्रपाली आदि की फसल आनी है, लॉकडाउन खुलने के बाद भी मौजूदा हालात में जिसका निर्यात होना संभव नहीं है, इसलिए प्रशासन को किसानों के साथ अभी से ही सामंजस्य करके समय रहते ही आम को मंडियों में पहुंचाने के लिए अभी से तैयारी करनी होगी, जिससे आम कम से कम देश की मंडियों में तो पहुंच ही जाए और किसानों को कुछ राहत मिले। हमारे देश में आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश प्रमुख आम उत्पादक राज्य हैं। जिनमें उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर हैं। यहीं हाल केला, नींबू, संतरा, मौसमी, अनार, पपीता आदि सीजनल फलों का भी हो रहा है। लीची की फसल के बारे में सरकार व किसानों को अभी से तैयारी करनी होगी।

कोरोना के चलते फल-फूल व सब्जी पैदा करने वाले किसान परेशान

देश में फूलों की खेती करने वाले मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, महाराष्ट्र आदि के किसानों की तो बहुत बुरा हाल है। क्योंकि फूलों का सबसे अधिक उपयोग करने वाली सभी फैक्ट्रियां बंद हैं, मंदिर, शादी व अन्य हर तरह के सभी कार्यक्रमों के बंद होने से फूलों की मांग तो बिल्कुल खत्म हो गयी है जिससे गुलाब, मोगरा, नौरंगा, गेंदा, जरबेरा व अन्य देशी और विदेशी फूलों की खेती करने वाले किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तरफ तो उनका माल बिल्कुल भी बिक नहीं रहा दुसरी तरफ फूलों के पोधों को बचाने के लिए खेतों व ग्रीन हाउस में बिना बिके ही फूलों को लगातार तुड़वाने के पैसे मजदूरों को देने पड़ रहे है। कुछ जगह तो किसानों ने निराश व परेशान होकर खड़ी फूलों की फसल की जुताई तक कर दी है। सरकार को इनको राहत देने के बारें में समय रहते सोचना होगा।

कोरोना के चलते फल-फूल व सब्जी पैदा करने वाले किसान परेशान

भारत में हरी सब्जियों की खेती की हिसाब से सर्दियों के बाद का ये मार्च, अप्रैल व मई का माह बहुत अच्छा समय माना जाता है। आलू, मटर, गाजर, बैंगन, फूल गोभी, पत्ता गोभी, लौकी, तरोई, काशीफल, खीरा, ककड़ी, टमाटर, भिंडी, तरबूज, खरबूजा, मूली, शलजम, चकूंदर, परवल, शिमला मिर्च, हरी मिर्च, कुंदरू, टिंडा, करेला, सेम की फली, गवार की फली, लोबिया की फली, फ्रेचबीनस जैसी सब्जियों कि पैदावार बहुतायत में होती हैं। वैसे गर्मियां में सबके गले को तरावट देने वाले खीरा, ककड़ी, तरबूज और खरबूजे की तो मांग बेहिसाब बढ़ जाती है। ये फसल किसानों के लिए भी आमदनी का बहुत बढ़िया जरिया हैं। लेकिन इसबार किसानों को सभी फसलों से भारी नुकसान हो रहा है। उपरोक्त फसलों में आलू को छोड़कर कोई भी दूसरी ऐसी फसल नहीं है जिसे ज्यादा दिन तक खेतों में रोका जा सके या फिर किसी तरह से स्टोर किया जा सकें। वैसे भी हमारे देश में फल, फूल व सब्जियों के लिए कोल्ड स्टोरेज की संख्या भी नाममात्र है। एक निश्चित समय के बाद किसान अगर सब्जियों को पौधे से नहीं तोड़ता है, तो वो पौधों को भारी नुकसान पहुंचाती है, ऐसी स्थिति में किसान या तो मजदूरी देखकर फसल की तुड़ाई करवाये या फिर खेतों में भगवान भरोसे फसल को छोड़ दे। वैसे आज सब्जियों की बेहद कम मांग होने के चलते अधिकांश फसल खेतों में सड़ रही है, इसलिए किसान सब्जियों की खड़ी फसलों की जुताई करवाना ज्यादा ठीक समझ रहे है।

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कोरोना के चलते फल-फूल व सब्जी पैदा करने वाले किसान परेशान

सरकार को इन सभी किसानों की मदद करने के लिए आगे आना होगा। क्योंकि कोरोना आपातकाल के लॉकडाउन के पीरियड़ ने फल, फूल व सब्जियों की खेती करने वाले सभी किसानों की कमर तोड़ डाली है। केंद्र व राज्य सरकारों को समय रहते सभी किसानों बहुत अधिक राहत देनी होगी, जैसे कि फ्री बीज वितरण करवाना, फ्री कीटनाशक दवा का वितरण, फ्री खाद पानी आदि देना, जल्द सर्वे करवा कर किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे के रूप में किसानों को विशेष आर्थिक राहत पैकेज देना, किसानों की कर्ज माफी, बिजली का बिल माफी, ग्रीन हाउस बनाने के लोन में कुछ छूट व लगान माफी आदि की समय रहते राहत देनी होगी, जिससे कि वो दोबारा अपने पैरों पर खड़े होकर फल-फूल व सब्जियों की फसलों की बुवाई की तैयारी समय से कर सकें।

(इस लेख में व्यक्त विचार, लेखक के निजी विचार हैं. आलेख में दी गई किसी भी सूचना की तथ्यात्मकता, सटीकता, संपूर्णता, अथवा सच्चाई के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)

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English summary
Farmers who grow fruits and flowers are upset due to Coronavirus crisis, the government will have to pay attention
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