इनमें से एक सीट पर 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं मायावती,जानें क्या कहते हैं समीकरण
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर-फूलपुर और कैराना लोकसभा उपचुनाव में बबुआ आखिलेश यादव के साथ मिलकर बीजेपी को पटखनी दे चुकीं बसपा सुप्रीमो मायावती इन दिनों उत्साह से भरी हुई हैं। न्यूज 18 की खबर के मुताबिक, मायावती 2019 में खुद चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही हैं। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि मायावती उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर या बिजनौर से लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं।
कार्यकर्ताओं में जीत का जज्बा भरने के लिए खुद मैदान में उतर सकती हैं मायावती
मायावती पिछली बार 2004 में सांसद चुनी गई थीं, उस वक्त भी उन्होंने अंबेडकरनगर से ही चुनाव लड़ा था। ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी के कार्यकर्ताओं में जीत का जज्बा भरने के लिए मायावती 2019 के महासंग्राम में खुद चुनाव लड़ सकती हैं। हालांकि, इस बारे में अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है कि मायावती आखिर किस सीट से लड़ेगी, लेकिन इतनी खबर जरूर आ रही है कि वह अंबेडकरनगर या बिजनौर में से किसी एक सीट पर चुनाव लड़ सकती हैं।
2014 में अंबेडकरनगर सीट बीजेपी के हाथों गंवा बैठी थीं बसपा
अंबेडकर नगर लोकसभा सीट को यूं बसपा का गढ़ माना जाता है, लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव में यह सीट भी वह बीजेपी के हाथों गंवा बैठी थी। सबसे अहम बात यह है कि अंबेडकरनगर सीट पर बीजेपी पहले कभी नहीं जीती थी, लेकिन 2014 में हालात बदल गए और बीजेपी नेता हरिओम पांडेय यहां से जीतने में सफल रहे थे।
क्या कहता है अंबेडकरनगर लोकसभा सीट का गणित
यह सीट ओबीसी और दलित उप जातियों पर निर्भर करती है। यहां की आबादी में करीब 25% एससी हैं, जिनकी संख्या करीब 6 लाख है। इसके अलावा मुस्लिम, यादव, कुर्मी, ब्राह्मण और बनिया भी प्रभावी हैं। ओबीसी, केवट, राजभर मतदाताओं को बीजेपी 2014 में अपनी ओर झुकाने में सफल रही थी। नरेंद्र मोदी ओबीसी समुदाय से आते हैं, इस बात का 2014 लोकसभा चुनाव में काफी प्रचार किया गया था।
बिजनौर लोकसभा सीट पर 2014 में तीसरे नंबर पर खिसक गई थी बसपा
अंबेडकरनगर के अलावा बिजनौर लोकसभा सीट से भी मायावती के 2019 में चुनाव लड़ने की चर्चा गरम है। बिजनौर लोकसभा सीट पर 2014 में कुंवर भरतेंद्र सिंह ने बंपर जीत हासिल की थी। उन्होंने सपा प्रत्याशी शाहनवाज राणा को 2 लाख 5 हजार 777 मतों से हराया था, जबकि बसपा के प्रत्याशी मलूक नागर तीसरे नंबर पर रहे थे। बिजनौर लोकसभा क्षेत्र मुजफ्फरनगर, मेरठ और से जुड़ा हुआ है। इस लोस क्षेत्र में जाट, गुर्जर, मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। 2014 के चुनाव में सपा-बसपा के बीच मुस्लिम वोटों के बंटवारे के चलते भाजपा बाजी मार ले गई थी, लेकिन इस बार तो यूपी में अखिलेश यादव और मायावती के बीच गठबंधन की चर्चा है। ऐसे में बीजेपी के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है।