एयर स्ट्राइक के बाद लौटा ‘मोदी-मोदी’ वाला युग, जानिए क्या होगा चुनाव पर असर
नई दिल्ली। देश में चुनावी फ़िजां बदल चुकी है। पुलवामा से पहले नरेंद्र मोदी की सभा बेरौनक होने लगी थी, एयरस्ट्राइक के बाद अब एक बार फिर से 'मोदी-मोदी' के नारे गूंजने लगे हैं। पीएम मोदी के भाषण में भी वो ओज, वो तेज दिखने लगा है जो पहले दिखा करता था। क्या पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक के बाद नरेंद्र मोदी ने 2019 का जंग भी जीत ली है?
यह प्रश्न ठीक उसी तरह से वर्चुअल है जिस तरीके से कुछ समय पहले तक ये कहा जा रहा था कि क्या अब अगली सरकार मोदी रहित सरकार होने वाली है? प्रश्न तब भी प्रासंगिक थे, प्रश्न आज भी प्रासंगिक हैं। न मतदान तब हो रहे थे, न मतदान अब हो रहे हैं। कहने का आशय ये है कि अगर बचे हुए समय में परिस्थिति ने कोई बड़ी कालाबाजी नहीं खायी, तो इस सवाल का जवाब 'हां' है कि नरेंद्र मोदी ने 2019 का जंग जीत लिया है।
बदल गयी है चुनावी फ़िजां
एयर स्ट्राइक से पहले मोदी रहित भावी सरकार का आकलन भी यथार्थपरक सच्चाई थी। मगर, एयरस्ट्राइक के जरिए पीएम मोदी ने देश की चुनावी तस्वीर ही बदल दी है। एयरस्ट्राइक के बाद बीजेपी लगातार अपने बारे में और अपनी सरकार के बारे में जनता की सोच बदलने की कोशिश करती दिख रही है। इस हिसाब से माहौल उसके अनुकूल है। मंगलवार को राजस्थान के चुरू में ‘मोदी-मोदी' और ‘भारत माता की जय' के नारों के बीच पीएम मोदी के भाषण का अंदाज देखिए, "आज भारत के बहादुरों को श्रद्धांजलि देने का दिन है। मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि देश सुरक्षित हाथों में है।"
बुधवार को विज्ञान भवन में जैसे ही नरेंद्र मोदी अपने लिए तय स्थान पर पहुंचे, ‘मोदी-मोदी' के नारे और तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती रही। मिनटों तक यही स्थिति रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन स्वीकार करते रहे।
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सत्तापक्ष में उत्साह, विपक्ष में हताशा
दो स्थितियां हैं- एक सत्ता पक्ष में उत्साह और दूसरा विपक्ष में हताशा। एयरस्ट्राइक के बाद जो देशभक्ति और राष्ट्रवाद का उभार है उसका श्रेय बांटने के लिए विपक्ष के पास कोई उपाय नहीं है। वहीं, इस श्रेय को लूटने के लिए भीड़ के बीच नरेंद्र मोदी का खड़ा होना ही काफी है। एक और पहलू है कि जो कोई भी माहौल के प्रतिकूल कोई तस्वीर दिखाना चाहता है, तो उसे हतोत्साहित करने के लिए बीजेपी का मीडिया सेल पहले से ही जुटा हुआ है। सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर आपने मोदी सरकार के ख़िलाफ़ कोई आवाज़ उठायी नहीं कि आपकी हील-हुज्जत शुरू। आप ट्रोल होने लगते हैं।
धारा
के
विपरीत
बोलने
की
हिम्मत
ही
चली
गयी
विपक्ष
में
चाहे
वे
राहुल
गांधी
हों
या
मायावती-अखिलेश
या
कोई
और
नेता
यह
जोखिम
उठाने
की
स्थिति
में
नहीं
हैं
कि
धारा
के
विपरीत
कुछ
बोला
जाए।
बची-खुची
सद्भावना
के
भी
लुट
जाने
का
ख़तरा
है।
वो
राफेल
का
मुद्दा,
वो
बेरोज़गारी
की
बातें...
वो
किसानों
की
नाराज़गी,
वो
प्रियंका
फैक्टर
या
वो
एसपी-बीएसपी
गठजोड़
की
बातें...
सब
पर
नये
माहौल
की
परत
चढ़
चुकी
है।
चुनाव तक गरम रहेगा माहौल
पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक को पीएम मोदी ने डिजाइन इस तरह से किया है कि चुनाव होने तक इसका माहौल ख़त्म ना हो। सुषमा स्वराज ने जिस तरह से दुनिया के अहम देशों को कूटनीतिक संदेश दिया है कि जैश-ए-मोहम्मद भारत पर हमला किया था, उसी का जवाब दे रहा है भारत। यानी पाकिस्तान पर हमला या पाकिस्तान से युद्ध इस एयर स्ट्राइक का मतलब ही नहीं है। वहीं, जब देश में ‘मोदी-मोदी' के नारे लगते हैं और जो वातावरण पैदा होता है वह इसी बात की तस्दीक करते हैं कि हमने पाकिस्तान को करारा जवाब दे दिया है।
हमला जैश पर या पाकिस्तान पर- यहीं छिपी है सियासत
जैश-ए-मोहम्मद को जवाब या पाकिस्तान पर हमला में जो बारीक फर्क है, उसे समझाने की ताकत विपक्ष में नहीं है। सेना की बहादुरी को सलाम करें तो भी विपक्ष राजनीतिक नेतृत्व से इस एयरस्ट्राइक का श्रेय नहीं छीन सकता। इतना ही नहीं, हमले की नीति में उसके दोहराव की पूरी सम्भावना मोदी सरकार ने रखी है। मतलब ये कि जैसे ही पाकिस्तान ने कोई जवाबी कार्रवाई की या आतंकियों ने कुछ सुगबुगाहट दिखलायी, तो भारत और भी एयर स्ट्राइक कर सकता है। इस तरह मोदी सरकार के पास पूरा अवसर होगा कि वह युद्धोन्माद को अपने लिए राष्ट्रवाद में बदल दे।
जवाबी कार्रवाई सम्भालने के लिए तैयार बैठी है मोदी सरकार
मोदी सरकार के लिए अगर कोई ख़तरा है तो बस यही है कि कोई ऐसी जवाबी कार्रवाई न हो जाए जिससे जवाब देना मुश्किल हो जाए। मगर, ऐसा लगता है कि ऐसी किसी स्थिति से निपटने के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना लेकर मोदी सरकार खड़ी है। उसे आतंकवाद या उसके सरपरस्त पाकिस्तान से अघोषित युद्ध ही नहीं जीतना है बल्कि घोषित 2019 का आम चुनाव भी फतह करना है। लिहाजा मोदी सरकार ‘करो या मरो' की स्थिति के लिए तैयार बैठी है।
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