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दिल मत तोडिए समोसे का ! अटल जी, नरेन्द्र मोदी, राहुल गांधी की क्या है ‘समोसा नीति’ ?

By Ashok Kumar Sharma
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अशोक कुमार शर्मा: “कृपया समोसे और कचौरी को ना मत कहिए, इनके अंदर भी भावनाएं होती हैं।” चेन्न्ई के एक रेस्तरां की यह परिकल्पना दो दिन से सोशल मीडिया में छायी हुई। समोसा और कचौरी को जीवंत बना कर उसे परोसने का यह नायाब नुस्खा हिट हो गय़ा है। कोई तारीफ कर रहा है तो कोई चुटकी ले रहा है। आम तौर पर सेहत का ख्याल रखने वाले लोग समोसा खाना ठीक नहीं समझते। लेकिन यह भारत का एक मशहूर नमकीन नास्ता है। देश से विदेश तक इसकी धूम है। बड़े-बड़े लोग इसके दीवाने हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी बड़े चाव से समोसा खाते हैं। 2019 के चुनाव में उन्होंने कई दिनों तक समोसा खा कर ही प्रचार किया था। इस साल मई में आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने खुद समोसा बनाया था। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ समोसा खाने की ख्वाइश जाहिर की थी। इस पर नरेन्द्र मोदी ने बड़ा दिलचस्प जवाब दिया था। समोसा को लेकर राजनीति भी हुई है। ग्वालियर राजघराने से ताल्लुक रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिछले साल फरवरी में खुद समोसा बना कर सबको हौरान कर दिया था। सो समोसा के कद्रदानों की कोई कमी नहीं है।

आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री का समोसा प्रेम

आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री का समोसा प्रेम

मई 2020 में लॉकडाउन लगा हुआ था तो कई लोगों ने घरों में रहते हुए नये-नये हुनर सीखे थे। आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने समोसा बनाना सीखा था। 31 मई 2020 को उन्होंने कुछ तस्वीरें ट्वीट की थी जिसमें वे समोसे बनाते नजर आ रहे थे। इन तस्वीरों के साथ उन्होंने लिखा था, रविवार को आम की चटनी के साथ समोसा, काश इसे मैं इसे अपने दोस्त नरेन्द्र मोदी के साथ बैठ कर खा पाता ! नरेन्द्र मोदी ने इस ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा, हम भारतीय महाद्वीप से जुड़े हैं और समोसे से करीब आये हैं। समोसा देखने तो काफी लजीज लग रहा है। एक बार जब हम कोरोना पर विजय पा लेंगे तो साथ में बैठ कर समोसा खाएंगे।

राहुल गांधी का समोसा प्रेम

राहुल गांधी का समोसा प्रेम

2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले राहुल गांधी संकल्प यात्रा पर निकले थे। 17 सितम्बर को उनकी संकल्प यात्रा भोपाल से गुजर रही थे। जब उनकी बस राजू टी स्टॉल के पास पहुंची तो उन्होंने रुकने का इशारा किया। बस रुकी तो वे चाय की दुकान पर पहुंच गये। वहां गर्मागर्म समोसा भी तला जा रहा था। राहुल गांधी ने अपने सभी साथी नेताओं को समोसा खाने के लिए बुलाया। समोसा के बाद चाय भी चली। दुकान पर मौजूद लोग राहुल गांधी को देख कर रोमांचित हो गये। फिर सेल्फी का दौर चला। एक बार राहुल गांधी की एक तस्वीर चर्चा में आयी थी जिसमें वे हेलीकॉप्टर में बैठे हैं और समोसा खा रहे हैं। वे हेलीकॉप्टर में बैठे एक अन्य व्यक्ति से कह रहे हैं, ये वाला समोसा उतना अच्छा नहीं है। यानी उन्हें अच्छे समोसा के स्वाद के बारे में पता है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया की समोसा पर राजनीति

ज्योतिरादित्य सिंधिया की समोसा पर राजनीति

ज्योतिरादित्य सिंधिया तब कांग्रेस के महासचिव थे। लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी 2019 में उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिम्मेवारी सौंपी गयी थी। उस समय वे मध्य प्रदेश के गुना से सांसद थे। अशोक नगर में उनकी एक जनसभा थी। अशोक नगर जाने के रास्ते में उन्होंने एक ढाबा देखा जहां समोसा बन रहा था। उन्होंने कार रोकी। फिर वे अपने समर्थकों के साथ दुकान पर पहुंच गये। उन्होंने दुकानदार से समोसा बनाने की विधि पूछी। समोसा गढ़ने के बारे में जाना। उन्होंने खुद समोसा गढ़ा। इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया समोसा तलने भी लगे। उस समय ज्योतिरादित्य नरेन्द्र मोदी के कट्टर विरोधी थे। उन्होंने इस मौके को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। समोसा तलते अपनी तस्वीर ट्वीट कर उन्होंने लिखा, "पकौड़ा नहीं पसंद तो समोसे तैयार हैं। आशा है मेरे हाथ के बने समोसे अच्छे लगे होंगे। समोसे वैसे तो तीखे ही अच्छे लगते हैं लेकिन अगर किसी को मिर्ची लगी हो तो उसके लिए माफी।" ज्योतिरादित्य ने ये कटाक्ष नरेन्द्र मोदी पर किया था। उनका ये अंदाज भी हिट हुआ था।

समोसा जब बना सरकारी नास्ता

समोसा जब बना सरकारी नास्ता

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी खाने-पीने के शौकीन नेता थे। 1999 में जब वे प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने कैबिनेट की मीटिंग के बाद समोसा, लड्डू और जलेबी का नास्ता परोसने का आदेश दिया था। लेकिन अधिक मीठा खाने से उनकी तबीयत खराब रहने लगी। डॉक्टरों ने उनके मीठा खाने पर रोक लगा दी। एक बार उनसे मिलने कोई प्रतिनिधिमंडल आया था। वार्ता के बाद वाजपेयी जी ने नास्ता लाने का संकेत दिया। नास्ता आया। वेटर ने वाजपेयी जी की प्लेट में सिर्फ समोसा ही दिया। उन्होंने वेटर को दो तीन बार लड्डू डालने का इशारा किया। लेकिन वेटर उन्हें लड्डू दे नहीं रहा था। दरअसर प्रमोद महाजन पर इस बात की जिम्मेवारी थी कि वे वाजपेयी जी के मीठा खाने पर निगरानी रखें। उन्होंने वेटर को पहले ही बता दिया था कि वाजपेयी जी को लड्डू नहीं देना है। वाजपेयी जी लड्डू नहीं मिलने से नाराज हो गये और वेटर को डांटने लगे। घबराहट में वेटर ने लड्डू का पूरा ट्रे ही टेबल पर रखा दिया। वाजपेयी जी मजे से समोसा और लड्डू खाने लगे। इसके बाद नास्ते के मेनू से लड्डू और जलेबी को हटा दिया गया। लेकिन समोसा अपनी जगह कायम रहा।

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English summary
Why Samosa has an important role in the world of politics.
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