वित्तीय वर्ष के आखिर में आप जब अपना आईटीआर (इनकम टैक्स रिटर्न्स) फाइल करने के लिए अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट के साथ बैठते हैं तो अक्सर देखते हैं कि आपकी आमदनी में से ज्यादातर रकम स्रोतपर कटौती (टीडीएस) के नाम पर ही काट ली गयी है ।
परन्तु यकीन रखिए की आप अकेले नहीं हैं। क्या आप कभी इससे हैरान नहीं हुए हैं कि आपने जो पैसा कमाया, उस पर इतना सारा टैक्स कैसे कट गया? अलबर्ट आइंस्टीन ने एकबार अपने टैक्स का लेखा-जोखा करने वालेअपने मित्र लियो मैटर्स डॉर्फ से कहा था, "दुनिया में सबसे मुश्किल काम इनकम टैक्स को समझना है।"
जब आइंस्टीन जैसे प्रतिभाशाली टैक्स के लेखे-झोखे को लेकर उलझन मेंरहते थे तो आपके साथ भी ऐसा होने की बहुत अधिक संभावना है। हालांकि, यह देखा जाता है कि आपका अकाउंटेंट टैक्स की योजना बनाकर या तो आपका पैसा कटने दे सकता है या उसकी बचत कर सकता है।
अप्रेजल के साथ ही टैक्स कटने की चिंता
यह और भी अधिक हैरानी की बात है कि आप जितना अधिक पैसा कमाते हैं, उतना ही ज्यादा टैक्स दे देते हैं। इसलिए, अगर आप सैलरी में सालाना बढ़ोतरी के लिए पूरे वर्ष मेहनत करते हैं तो आपको साल की शुरुआत में टैक्स की योजना बनाने के लिए कुछ वक्त निकालना जरूरी है, ताकि सरकार को आप जो पैसे टैक्स के रूप में देते हैं उसमें बचत कर सकें। क्या आप नहीं चाहते हैं कि आपको घंटों काम करने के बदले जो इनाम मिलता है, वह इनकम टैक्स चुकाने में ही न चला जाए। वित्तीय वर्ष खत्म होने पर लगने वाले टैक्स के झटके से बचने के लिए सिर्फ स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ लेने के बजाय, बुद्धिमानी इसी में है कि हमेशा एक निश्चित रणनीति के साथ पहले से योजना बना लीजिए।
आप क्या कर सकते हैं?
रमेश शुक्ला, एक मध्य-स्तर के एग्जीक्यूटिव हैं। हर महीने उनके हाथ में 56,915 रुपये सैलरी आती है। उन्हें जनवरी, 2020 से 6,000 रुपये महीना सैलरी बढ़ने की उम्मीद है। उनके ऑफिस की अकाउंट टीम ने उन्हें बताया है कि अगर वो टैक्स बचत वाली योजनाओं में निवेश नहीं दिखाएंगे, उनकी फरवरी और मार्च की सैलरी बहुत ज्यादा कट जाएगी।
टैक्स कटौती घटाने के दो प्राथमिक तरीके हैं: 1) कर योग्य आय को कम करना 2) डिडक्शन को बढ़ाना
सौभाग्य से आप इन दोनों उपायों का एक साथ फायदा उठा सकते हैं। आप ऐसी चीजों में इन्वेस्टमेंट करें जिनमें डिडक्शन का लाभ भी मिलता हो। इस तरह आप अपनी कर योग्य आय को भी कम कर सकते हैं।
रमेश का खास दोस्त उनसे कुछ साल सीनियर है। वह एक अलग कंपनी में काम करता है, उसने आईटी ऐक्ट के सेक्शन 80डी का उल्लेख किया, जिससे वह कुछ टैक्स बचा सके। गहराई से छानबीन करने पर रमेश को एक उम्मीद दिखी जिससे वह टैक्स भी बचा सकता था, और जो भविष्य में संकट के समय काम भी आ सकता था। उसने अपने और अपने माता-पिता के लिए एक स्वास्थ्य बीमा करवाया। 80डी के तहत वार्षिक प्रीमियम चुकाने की वजह से 50,000 की आमदनी पर उसका टैक्स बच गया। अगर वह पूरे साल बुद्धिमानी से बचत करता तो यूलिप (ULIPs) और दूसरी योजनाओं में निवेश करके आईटी ऐक्ट के सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की वार्षिक टैक्स योग्य आय पर टैक्स बचा सकता था।
आप जीवन बीमा पॉलिसी खरीद सकते हैं जो रिटर्न-आमदनी वाली लाभकारी योजनाओं के साथ भी उपलब्ध हैं। भरोसेमंद जीवन बीमा कंपनी से यूलिप (ULIP) ले सकते हैं , जैसे कि एचडीएफसी लाइफ जो कि टैक्स बेनिफिट के लिए सरकार द्वारा स्वीकृत है। वे रिटर्न के साथ बीमा का दोहरा लाभ देते हैं, जो कि यूलिप (ULIP) को बहुत ही अनोखा बना देता है।
इस तरह की टैक्स-बचत योजनाओं को अपना कर आप टैक्स पर जाने वाला पैसा भी बचा सकते हैं और बीमा का लाभ भी उठा सकते हैं।