क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

मांझी, कुशवाहा से मिलकर PK ने पकाई कौन सी खिंचड़ी?

Google Oneindia News
मांझी, कुशवाहा से मिलकर PK ने पकाई कौन सी खिंचड़ी?

पटना। प्रशांत किशोर (पीके) ने दिल्ली में जीतन राम मांझी, उपेन्द्र कुशवाहा और मुकेश सहनी से मुलाकात क्यों की ? एक पांच सितारा होटल के बंद कमरे में इन नेताओं के बीच क्या बात हुई ? प्रशांत किशोर ने कहा था कि वे बिहार में जिताने-हराने के काम से दूर गांव के नौजवानों से एक नया राजनीतिक नेतृत्व खड़ा करेंगे। वे किसी भी दल से नहीं जुड़ेंगे। तो क्या पीके अब अपनी बात से पलटी मारने वाले हैं ? अपनी घोषणा के उलट क्या वे जिताने-हराने की ठेकेदारी फिर शुरू करने वाले हैं ? क्या पीके नीतीश के खिलाफ बिहार में तीसरा ध्रुव बनना चाहते हैं ? बिहार के तीन पिपक्षी नेताओं से मुलाकात के बाद पीके की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं।

क्या पीके को नेता मान कर चुनाव लड़ेंगे मांझी, कुशवाहा?

क्या पीके को नेता मान कर चुनाव लड़ेंगे मांझी, कुशवाहा?

अगर जीतन राम मांझी, उपेन्द्र कुशवाहा और मुकेश सहनी की राजद और कांग्रेस से बात नहीं बनी तो क्या वे प्रशांत किशोर को नेता मान कर चुनाव लड़ने की तैयारी करेंगे ? बिहार में दलीय राजनीति से दूर रहने की बात कहने वाले पीके ने आखिर क्यों इन तीन नेताओं से मुलाकात की ? क्या इस मुलाकात में पीके को नेता पद का ऑफर दिया गया है ? मांझी और कुशवाहा की नीतीश से पुरानी खुन्नस है। इनके मन में कब से नीतीश को हराने की तमन्ना हिलोरें मार रही हैं। पीके का घाव ताजा-ताजा है। वे भी कुछ ऐसा ही सोच रहे हैं। लेकिन नीतीश कुमार से पंगा लेने के बाद प्रशांत किशोर के मन में भारी उथल पुथल है। वे हड़बड़ी में हैं और तय नहीं कर पा रहे हैं कि तत्काल कैसे नीतीश कुमार को जवाब दें। चर्चा है कि मांझी, कुशवाहा और सहनी ने प्रशांत किशोर को बिहार में भाजपा विरोधी सभी दलों को एक मंच पर लाने को कहा है। जब से शरद यादव ने नेता बनने के प्रस्ताव से किनारा किया है तब से मांझी, कुशवाहा और सहनी दबाव में हैं। शरद का पासा फेल होने पर उन्होंने अब पीके पर दांव लगाया है। नीतीश कुमार को हराना कैसे संभव होगा ? इस सवाल के जवाब के लिए इन तीन नेताओं ने प्रशांत किशोर से राय मांगी है। अगर पीके को आगे कर के नीतीश को हराना मुमकिन लगा तो ये भी मंजूर होगा।

राजद- कांग्रेस ने मांझी-कुशवाहा से मुंह फेरा

राजद- कांग्रेस ने मांझी-कुशवाहा से मुंह फेरा

लोकसभा चुनाव में मांझी, कुशवाहा और सहनी ने दबाव बना कर महागठबंधन में हैसियत से अधिक सीटें ली थीं। तीनों की शर्मनाक हार हुई थी। अक्टूबर 2019 में विधानसभा की पांच सीटों के उपचुनाव में मांझी और सहनी ने राजद से खुलेआम पंगा लिया था। हैसियत नहीं थी फिर भी टिकट के लिए अड़े रहे। मुकेश सहनी ने सिमरी बख्तियारपुर में राजद के खिलाफ प्रत्याशी उतार दिया था। इसके बाद भी राजद को जीत मिली। मांझी ने नाथ नगर में राजद के खिलाफ प्रत्याशी उतार दिया था। इसकी वजह से राजद करीबी मुकाबले में जदयू से हार गया। मांझी और सहनी के विद्रोह के बाद भी राजद पांच में से 2 सीटें जीतने में कामयाब रहा था। तभी से राजद यह मानने लगा है कि वह अकेले भी चुनाव में बेहतर कर सकता है। शरद यादव के बहाने तेजस्वी की अनदेखी भी इनको महंगी पड़ गयी। इन कारणों से राजद ने मांझी, सहनी और कुशवाहा को भाव देना बंद कर दिया। जब कि ये तीन नेता बिहार चुनाव में महागठबंधन के तहत अधिक सीट लेने का मंसूबा बनाये हुए थे। चूंकि कांग्रेस खुद अधिक सीटें लेने के फेर में है। इसलिए उसने भी मांझी, कुशवाहा और सहनी की उपेक्षा शुरू कर दी। राजद- कांग्रेस के मुंह मोड़ने के बाद अब ये तिकड़ी पीके की शरण में पहुंची है।

क्या बिहार का केजरीवाल बनना चाहते हैं प्रशांत किशोर उर्फ(PK)?क्या बिहार का केजरीवाल बनना चाहते हैं प्रशांत किशोर उर्फ(PK)?

नीतीश की ताकत भी जानते हैं पीके

नीतीश की ताकत भी जानते हैं पीके

प्रशांत किशोर नीतीश कुमार के बहुत करीब रहे हैं। अगर वे नीतीश की कमजोरी जानते हैं तो उनकी ताकत से भी वाकिफ हैं। नीतीश कुमार को हराना कोई हंसी-खेल नहीं। हालांकि पीके ने मांझी-कुशवाहा से मुलाकात के बाद कुछ कहा नहीं है। वे क्या करने वाले हैं, यह भी स्पष्ट नहीं है। लेकिन यह माना जा रहा है पीके 2020 के चुनाव में किसी न किसी रूप में अपनी मौजूदगी जरूर दर्ज कराएंगे। नीतीश कुमार ने अच्छा या खराब शासन किया, यह बहस का मुद्दा हो सकता है। लेकिन नीतीश के विकल्प को लेकर बहस की कोई गुंजाइश नहीं। बिहार में अभी ऐसा कोई नेता नहीं है जो नीतीश को टक्कर दे सके। नीतीश को लालू सरीखा नेता ही टक्कर दे सकता है जो अभी दिखायी नहीं पड़ रहा। नीतीश ने चाहे जैसा भी काम किया हो, विकल्पहीनता की स्थिति में बाजी मार सकते हैं। दूसरी तरफ महागठबंधन में नेता पद को लेकर तो मतभेद है ही, घटक दलों में स्वार्थ का भी बड़ा टकराव है। ऐसे में पीके भाजपा-नीतीश विरोधी नेताओं को कैसे एकजुट करेंगे?

Comments
English summary
What did Prashant Kishor to meet with Manjhi and Kushwaha in Bihar?
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X