West Bengal Election 2021:बंगाल चुनाव में अब तक प्रचार करने क्यों नहीं पहुंचा गांधी परिवार, जानें खास वजह
कोलकाता: पश्चिम बंगाल चुनाव 2021 के पहले चरण का मतदान 27मार्च शनिवार को होगा। पहले चरण के लिए चुनाव प्रचार में तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमों और ममता बनर्जी और भाजपा की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह समेत अन्य स्टारा प्रचारकों ने खूब पसीना बहाया लेकिन कांग्रेस के स्टार प्रचारक गांधी परिवार पहले चरण के चुनाव प्रचार में नदारद रहा। आखिर सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने क्यों किया ऐसा?
बंगाल पहले चरण के चुनाव प्रचार में गायब रहा गांधी परिवार
कोरोना महामारी के बीच रैलियों में गए और पार्टी की जीत के लिए पूरा दम लगा दिया। इसमें केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बंगाल में जाकर रैलियां की। वहीं कांग्रेस स्टार प्रचारकों की लिस्ट में नाम शामिल होने के बाद भी सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी चुनाव प्रचार करने नहीं गए। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आगे 7 चरण में होने वाले मतदान के लिए गांधी परिवार प्रचार करेगा भी कि नहीं ?
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भाजपा ने इन क्षेत्रों में जमकर किया चुनाव प्रचार
गौतरलब है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के पहले चरण में 30 विधानसभा सीटों पर सीटों पर चुनाव हो रहा है। 27 मार्च को चूंकि वोट पड़ने वाले हैं इसलिए चुनाव प्रचार थम चुका है। जिन विधानसभा 30 सीटों पर चुनाव होना हैं उनमें अधिकांश क्षेत्र आदिवासी बहुल है। बंगाल की इन सीटों पर वाम दल का दबदबा माना जाता है। ये पता होने के बावजूद भाजपा के दिग्गज नेताओं ने पुरुलिया, झारग्राम और बांकुड़ा जिलों में रैलियों करके सोनार बांग्ला का वादा करते हुए आदिवासी क्षेत्र में वास्तविक बदलाव लाने का वादा किया। आदिवासी वोटरों वाले क्षेत्र में पूर्वी मेदिनीपुर, पुरुलिया, बांकुरा, झारग्राम,पूर्वी मेदिनीपुर जिलों की सीटें हैं। भाजपा ने जहां अपना पूरा दम-खम लगा दिया वहीं कांग्रेस के स्टारक प्रचारक एक भी रैली में नहीं पहु्ंचे।
बंगाल में गांधी परिवार ने इसलिए चुनाव प्रचार से बनाई दूरी
बता दें कांग्रेस बंगाल में वाम दल के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है। वहीं ठीक इसके विपरीत केरल चुनाव में कांग्रेस वाम दल के खिलाफ लड़ रही है। जानकारों का मानना है कि अगर कांग्रेस बंगाल में वाम दल के साथ मिलकर चुनाव प्रचार करती है तो केरल में उनकी लड़ाई कमजोर पड़ सकती है। ऐसे में कांग्रेस की हालत दो मियानी तलवार पर पैर रखने जैसी हो गई है। यहीं कारण है कि बंगाल में वाम दल के साथ गांठ जोड़ कर चुनाव लड़ रही कांग्रेस की शान गांधी परिवार चुनाव प्रचार से दूरी बनाए हुए है।
राहुल गांधी केरल को लेकर नहीं लेना चाहते ये रिस्क
गौरतलब
है
कि
केरल
में
राहुल
गांधी
चुनाव
की
तारीखों
से
पहले
डेरा
जमाए
बैठे
हुए
हैं
और
जमकर
कांग्रेस
का
प्रचार
कर
रहे
हैं
और
सत्तारुढ़
वाम
दल
से
कुर्सी
हथियानें
के
लिए
जमकर
वाम
दल
को
घर
रहे
हैं
ऐसे
में
अगर
वाम
दल
के
साथ
गांधी
परिवार
मंच
पर
नजर
आता
है
तो
केरल
में
लेफ्ट
के
खिलाफ
उसकी
लड़ाई
कमजोर
पड़
जाएगी।
अगर
वो
बंगाल
के
मंच
से
लेफ्ट
की
तारीफ
करते
हैं
तो
केरल
में
वो
धुर्र
विरोधी
पार्टी
को
कैसे
घेर
पाएंगे।
इसलिए
राहुल
गांधी
बंगाल
चुनाव
को
लेकर
एक
भी
बयान
देने
से
भी
गुरेज
करते
नजर
आ
रहे
हैं।
ममता दीदी से कांग्रेस की नजदीकियां
बता दें कांग्रेस की एक और समस्या ये भी कि जहां बंगाल में वो वाम दल के साथ गठबंधन करके उतरी है वहीं कांग्रेस और टीएमसी के बीच भी अभी भी काफी नजदीकियां हैं। अगर कांग्रेस बंगाल में भाजपा के खिलाफ मैदान में प्रचार में उतरती है तो उसे ये भी डर है कि कहीं इसका फायदा भाजपा को न हो जाए और ममता दीदी को इसका नुकसान सहना पड़े। कांग्रेस को डर है कि अगर ममता दीदी ये चुनाव हार जाती हैं तो 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्ष कमजोर पड़ सकता है। वैसे भी इससे पूर्व में हुए चुनावों में आए परिणाम से कांग्रेस को अंदाजा है कि लाख कोशिश करके भी वो कोई कमाल नहीं दिखा पाएगी ऐसे में गांधी परिवार का चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखना ही बेहतर समझा जा रहा हैं।
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