'बांग्लादेशी नहीं हूं, इसी देश में जन्मीं', हाईकोर्ट के फैसले पर TMC नेता आलो रानी ने उठाए सवाल, जानें मामला
'मैं बांग्लादेशी नहीं हूं, मेरा जन्म इसी देश में हुआ...', हाईकोर्ट के फैसले पर TMC नेता आलो रानी ने उठाए सवाल, जानें क्या है पूरा विवाद
कोलकाता, 22 मई: कलकत्ता हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने टीएमसी नेता आलो रानी को एक बांग्लादेशी नागरिक बताया है। कोर्ट ने फैसले में कहा है कि टीएमसी के 2021 विधानसभा चुनाव की उम्मीदवार आलो रानी सरकार के पास बांग्लादेशी नागरिक होने के दस्तावेज हैं। कोर्ट ने चुनाव आयोग को इस मामले में जांच करने के भी आदेश दिए हैं।अब आलो रानी सरकार ने इस फैसले को एचसी की एक खंडपीठ के समक्ष चुनौती देने का फैसला किया है। आइए जानें ये पूरा विवाद क्या है?
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जानिए TMC नेता आलो रानी के खिलाफ कोर्ट ने क्या दिया फैसला
कलकत्ता हाईकोर्ट ने 20 मई को टीएमसी उम्मीदवार (डब्ल्यूबी चुनावों के लिए) आलो रानी सरकार की याचिका खारिज कर दी और उनकी राष्ट्रीयता पर सवाल उठाया क्योंकि उनके पास बांग्लादेशी राष्ट्रीय होने के दस्तावेज थे। उन्होंने भाजपा के स्वपन मजूमदार को विजयी घोषित करने वाले परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई के लिए आदेश की एक प्रति चुनाव आयोग के साथ साझा की जाए।
'मेरा जन्म भारत में 1969 में हुआ है...'
टीएमसी के 2021 विधानसभा चुनाव के उम्मीदवार आलो रानी सरकार ने मीडिया से बात करते हुए न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ के फैसले पर असंतोष जताया है। आलो रानी ने कहा है कि उनका जन्म 1969 में भारत में हुआ था और इसके 5 साल बाद पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के बैद्यबती में चली गईं। इस आरोप पर विवाद करते हुए कि वह भारतीय नहीं थी, टीएमसी नेता ने स्वीकार किया कि बांग्लादेश में उनकी पुश्तैनी संपत्ति है।
'हमारा परिवार 1971 से हुगली जिले में है...'
टीएमसी नेता आलो रानी सरकार ने कहा, ''मैं सिंगल बेंच के फैसले से संतुष्ट नहीं हूं। मैं कोर्ट की डिवीजन बेंच का रुख करूंगा। मेरा जन्म 1969 में इसी देश में हुआ था। हमारा परिवार 1971 में हुगली जिले के बैद्यबाती चला गया। बांग्लादेश में हमारी पुश्तैनी संपत्ति है।''
हाई कोर्ट ने कहा- याचिकाकर्ता भारतीय नहीं है
2021 के चुनाव में बनगांव दक्षिण के प्रतिद्वंद्वी स्वपन मजूमदार की जीत के खिलाफ आलो रानी सरकार की याचिका पर कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति चौधरी ने फैसला सुनाया कि उनकी याचिका खारिज करने योग्य है क्योंकि याचिकाकर्ता भारतीय नहीं है। यह देखते हुए कि सरकार ने अपने मतदाता पहचान पत्र, पैन कार्ड और आधार कार्ड के आधार पर भारतीय होने का दावा किया था, उन्होंने जोर देकर कहा कि ये दस्तावेज नागरिकता के प्रमाण नहीं थे और नागरिकता अधिनियम, 1955 के प्रावधानों के अनुसार हासिल नहीं किए गए थे। बता दें कि भाजपा उम्मीदवार मजूमदार ने आलो रानी को 2000 से अधिक मतों से हराया था।
'आलो रानी का नाम अभी भी बांग्लादेश की मतदाता सूची में'
हाई कोर्ट ने कहा, उनका (आलो रानी) नाम अभी भी बांग्लादेश की मतदाता सूची में मौजूद है। कोर्ट ने फैसला सुनाया, "प्रतिवादी (आलो रानी) द्वारा दायर आवेदन के साथ संलग्न दस्तावेजों के साथ-साथ याचिकाकर्ता द्वारा लिखित आपत्ति के साथ संलग्न दस्तावेजों से, यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता (आलो रानी) नामांकन पत्र दाखिल करने की तारीख और उस दिन एक बांग्लादेशी नागरिक है। चुनाव की तारीखें और परिणाम की घोषणा के वक्त भी याचिकाकर्ता (आलो रानी) बांग्लादेशी थीं। याचिकाकर्ता के अपने दस्तावेज के चेहरे से, यह पाया जाता है कि याचिकाकर्ता को 2021 का विधानसभा चुनाव लड़ने का कोई अधिकार नहीं था।''
I'm not satisfied with the decision of the single bench. I will approach the division bench of the court. I was born in 1969 in this country. Our family moved to Baidyabati in Hooghly district in 1971. We have ancestral property in Bangladesh: TMC leader Alo Rani Sarkar (21.05) pic.twitter.com/IIo1MZS9R2
— ANI (@ANI) May 22, 2022