सत्ता की 'बाजीगर' : हारकर जीतने वाले को ममता बनर्जी कहते हैं
कोलकाता, 05 मई। सुपरस्टार शाहरुख खान की हिट फिल्म 'बाजीगर' का मशहूर संवाद है 'हारकर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं।' कुछ ऐसा ही हुआ है सीएम ममता बनर्जी के साथ, जो कि भले ही खुद नंदीग्राम का चुनाव हार गईं लेकिन उनकी पार्टी ने प्रचंड बहुमत हासिल कर लिया और आज एक बार फिर से बंगाल में दीदी की सरकार बन गई हैं। मालूम हो कि विधानसभा चुनाव में तृणमूल ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 213 सीटें हासिल की है, जबकि बीजेपी बंगाल में 77 सीटों के साथ दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। हर चुनावी रैली में 200 सीटों जीतने का दावा करने वाली भाजपा 100 का आंकड़ा भी नहीं छू पाई तो वहीं कांग्रेस, लेफ्ट का प्रदर्शन बेहद ही निराशाजनक रहा।
'हारकर जीतने वाले को ममता बनर्जी कहते हैं'
कोरोना काल में हुआ बंगाल का विधानसभा चुनाव बेहद ही अनोखा रहा। इस बार के चुनाव में ममता बनर्जी का जो रूप लोगों के सामने आया वो उनके इससे पहले के चुनावी रंग से काफी अलग था। इस बार के चुनाव में ममता बनर्जी पूरी तरह से निडर, दो टूक बोलने वाली और लोगों को सीधे चुनौती देती नजर आईं। चुनावी मंच से उन्होंने सीधे पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को बाहरी कहा तो वहीं टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सुवेंदु अधिकारी को वो खुलेआम गद्दार कहने से भी पीछे नहींं हटीं।
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भवानीपुर सीट छोड़कर नंदीग्राम से लडडने का किया फैसला
ये ममता बनर्जी की हिम्मत ही थी उन्होंने इस बार के चुनाव में अपनी परंपरागत भवानीपुर सीट छोड़कर पूर्वी मेदिनीपुर जिले की नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया। हालांकि उन्हें ये पता था कि यहां से जीतना उनके लिए आसान नहीं होगा लेकिन इसके बावजूद उन्होंने सुवेंदु अधिकारी को टक्कर देने के लिए अपनी सीट बदली।
विपक्ष का निडर और मजबूत चेहरा
हर चुनावी रैली में उनका आक्रोशित रूप, पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को खुले मंच से तीखे शब्दों में चुनौती देना, पैर में फ्रैक्चर होने पर खुद को घायल बाघिन कहना और 40 डिग्री के पारे में व्हीलचेयर पर बैठकर पदयात्रा करना, ये सब ममता बनर्जी को, दूसरे नेताओं से बिल्कुल अलग करता है। इसमें कोई शक नहीं ममता इस चुनाव में विपक्ष का निडर और मजबूत चेहरा बनकर उभरी हैं।
बंगाल में ममता की हैट्रिक
मालूम हो कि ममता बनर्जी ने 20 मई 2011 को पहली बार और 27 मई 2016 को दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। लगातार हैट्रिक करके सत्ता पाने वाली ममता बनर्जी राज्य की पहली महिला सीएम है और ये बात भी अपने आप में काफी रोचक है कि जिस पार्टी ने बहुमत हासिल किया, उसी का मुखिया अपनी सीट हार गया और फिर भी सीएम बन गया, इसी वजह से आज ममता बनर्जी को सत्ता का रीयल बाजीगर कहा जा रहा है, जो कि चुनावी जंग हारकर भी जीत गईं।
क्या कहता है नियम?
नियमों के मुताबिक मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के 6 महीने के अंदर उनको किसी ना किसी सीट से विधायक पद का चुनाव जीतना होगा। वैसे बंगाल की दो सीटों पर अभी चुनाव बाकी हैं, ऐसे में ममता बनर्जी वहां से लड़कर विधानसभा पहुंच सकती हैं।