नारदा स्टिंग केस: हलफनामा दाखिल करने के HC के आदेश के खिलाफ SC पहुंचीं ममता बनर्जी
कोलकाता, जून 21: नारदा स्टिंग मामले में अब पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, क्योंकि कलकत्ता हाई कोर्ट ने नारद मामले में हलफनामा दायर करने की अनुमति से इनकार कर दिया है। मामले की सुनवाई मंगलवार को होने की संभावना जताई जा रही है। 4 पूर्व टीएमसी मंत्रियों की गिरफ्तारी के बाद कोलकाता में सीबीआई कार्यालय पहुंचने पर ममता बनर्जी को इस मामले में एक पक्ष बनाया गया था।
बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने सीबीआई की ओर से 17 मई को टीएमसी के चार नेताओं की गिरफ्तारी के दिन अपनी और राज्य के कानून मंत्री मलय घटक की भूमिका को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट की तरफ से हलफनामा दायर करने की अनुमित नहीं दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। जस्टिस हेमंत गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की पीठ मंगलवार को मुख्यमंत्री, घटक और पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर अलग-अलग अपीलों पर सुनवाई करेगी। इससे पहले शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह घटक द्वारा दायर अपील पर 22 जून को सुनवाई करेगी।
शीर्ष अदालत ने 18 जून को उच्च न्यायालय से मामले की सुनवाई करने का अनुरोध किया था, जिसके एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश के खिलाफ राज्य सरकार और घटक की अपीलों पर विचार किया। 9 जून को कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने नारद स्टिंग टेप मामले को विशेष सीबीआई अदालत से उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने के लिए सीबीआई के आवेदन पर सुनवाई करते हुए कहा था कि वह बनर्जी द्वारा हलफनामों पर विचार करने पर बाद में फैसला करेगी।
घटक और राज्य सरकार की ओर से पेश सीनियर वकील राकेश द्विवेदी और विकास सिंह ने कहा था कि हलफनामे को उच्च न्यायालय के रिकॉर्ड में लाना आवश्यक है, क्योंकि वे 17 मई को संबंधित व्यक्तियों की भूमिकाओं में हैं।द्विवेदी ने कहा कि कानून मंत्री कैबिनेट की बैठक में भाग ले रहे थे और सुनवाई के समय अदालत परिसर में नहीं थे, यहां तक कि सीबीआई के अधिकारी भी मौके पर नहीं थे क्योंकि एजेंसी के वकील ने अदालत को वर्चुअल संबोधित किया था।
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वकील ने कहा कि यह आरोप लगाया गया है कि राज्य के सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने मामले में 17 मई को चार नेताओं को गिरफ्तार करने के बाद सीबीआई को अपना कानूनी कर्तव्य निभाने से रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सिंह ने तर्क दिया था कि नियमों के तहत हलफनामा दायर करने का अधिकार है और इसके अलावा सीबीआई ने तीन हलफनामे दायर किए और अदालत की अनुमति नहीं ली।