बंगाल के पूर्व गवर्नर गोपालकृष्ण गांधी बोले चुनावी रैलियों पर तत्काल रोक लगे, EC को सुझाया ये विकल्प
कोलकाता, 18 अप्रैल: पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी ने रविवार को मुख्य चुनाव आयुक्त को खत लिखकर राज्य में चुनावी रैलियों और डोर-टू-डोर कैंपेन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि चुनावी लोकतंत्र और जनता के स्वास्थ्य को अलग नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। इसकी जगह उन्होंने कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए फौरन वर्चुअल रैलियां शुरी करने का सुझाव दिया है। गांधी ने कहा कि जिस समय बंगाल में विधानसभा के चुनाव चल रहे हैं, उस दौरान वायरस का प्रकोप बढ़ने से, 'मतदाताओं, चुनावकर्मियों और सुरक्षा की ड्यूटी दे रहे लोगों का स्वास्थ्य' एकसाथ खतरे में पड़ गया है और स्थिति डंवाडोल हो गई है।'
'तत्काल
वर्चुअल
रैलियां
शुरू
हों'
सीईसी
को
लिखे
खत
में
पूर्व
राज्यपाल
ने
मांग
की
है
कि,
'29
अप्रैल
को
राज्य
में
अंतिम
वोट
पड़ने
तक
जनभाओं
और
डोर
टू
डोर
कैंपेन
पर
तत्काल
रोक
लगाने
पर
विचार
किया
जाए।
और
उन्हें
(राजनीतिक
दलों
को)
निर्देश
दिया
जाए
कि
वर्चुअल
कैंपेन
की
ओर
रुख
करें।
यह
नहीं
कहा
जाना
चाहिए
कि
भारत
के
चुनावी
लोकतंत्र
और
भारत
के
सार्वजनिक
स्वास्थ्य
के
बीच
में
तालमेल
नहीं
है।'
उन्होंने
कहा
है
कि
इसके
चलते
चुनावी
प्रक्रिया
गंभीर
संकट
में
पड़
गई
है
और
साथ
ही
साथ
आम
लोगों
के
स्वास्थ्य
पर
भी
खतरा
है।
प्रचार
का
समय
घटनाने
का
टीएमसी
कर
रही
है
विरोध
गांधी
ने
कहा
है
कि
'चुनावी
रैलियों
की
वजह
से
वायरस
के
खिलाफ
लड़ाई
में
सोशल
डिस्टेंसिंग
पालन
हो
पाने
का
कोई
सवाल
ही
नहीं
उठता।
बहुत
ही
कम
उम्मीदवार
और
प्रचारक
भी
मास्क
पहने
नजर
आते
हैं।'
उन्होंने
कहा
है
कि
'वे
खुद
को
और
उनके
संपर्क
में
आने
वालों
को
सच
में
बहुत
ज्यादा
जोखिम
में
डाल
रहे
हैं।'
गौरतलब
है
कि
कुछ
इन्हीं
वजहों
का
हवाला
देकर
कांग्रेस
नेता
राहुल
गांधी
ने
खुद
को
बंगाल
में
चुनावी
रैलियाों
से
पीछे
कर
लिया
है।
वैसे
चुनाव
आयोग
ने
अपने
स्पेशल
पावर
का
इस्तेमाल
करते
हुए
चुनाव
प्रचार
के
समय
में
कुछ
कमी
की
है,
लेकिन
टीएमसी
इसके
खिलाफ
मोर्चा
खोल
चुकी
है।
उसकी
सिर्फ
एक
ही
मांग
है
कि
बाकी
तीनों
चरण
के
चुनाव
को
एक
ही
दौर
में
करवा
दिए
जाए।
इस
तरह
से
कम
से
कम
चरण
में
चुनाव
करवाने
की
मांग
वह
हमेशा
से
करती
रही
है
और
ज्यादा
चरणों
में
चुनाव
उसे
रास
नहीं
आ
रहा
है।
जबकि,
स्वच्छ
और
निष्पक्ष
चुनाव
के
मद्देनजर,खासकर
सुरक्षा
बलों
के
मूवमेंट
को
देखते
हुए
चुनाव
आयोग
ने
यह
कदम
उठाया
है।
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