वाराणसी को स्मार्ट सिटी बनाने में जुटी है योगी सरकार, लगेंगे हाईटेक कैमरे जो भेष बदले अपराधियों को भी पहचान लेंगे
वाराणसी। अब कोई संदिग्ध व्यक्ति या क्रिमनल वाराणसी की सीमा में प्रवेश करने की कोशिश करके या रेलवे स्टेशन पर पहुंचगा तो उसकी जानकारी पुलिस को तुरंत मिल जाएगी। दरअसल, वाराणसी जिले और रेलवे स्टेशनों पर फेस रिकग्निशन कैमरे लगाने जा रहा है। ये ऐसी जगह लगेंगे, जहां से आने-जाने वाले हरेक पर नजर रखी जा सके। इन कैमरों को फेस रिकग्निशन सॉफ्टवेयर से जोड़ा जाएगा। बता दें कि ये कैमरे इतने कारगार हैं कि अपराधियों की कई साल पुरानी फोटो की भी पहचान कर लेंगे। यदि आप भेष बदलने में माहिर हैं तो भी ये हाईटेक कैमरे आपकी पहचान बता देंगे।
'फेस रिकग्निशन' कैमरे की मदद से पूरे जिले के चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जाएगी। लाखों की भीड़-भाड़ हो या ठंड का मौसम सभी परिस्थियों में ये कैमरे शातिर अपराधियों की पहचान करके पुलिस तक सूचना दे देंगे। बता दें कि क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स (CCTNS) जून 2009 में शुरू की गई एक परियोजना है जिसका उद्देश्य पुलिस स्टेशन स्तर पर पुलिसिंग की दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए एक व्यापक और एकीकृत प्रणाली बनाना है। सीसीटीएनएस भारत सरकार की राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के तहत एक मिशन मोड प्रोजेक्ट (MMP) है। थानों से अपराधियों के डाटा लिए जायेंगे (लिंक किया जायेगा) साथ ही लोकल स्तर पर भी अपराधियों के डाटा फीड किया जायेगा। जिससे अपराधियों की पहचान हो सके।
स्मार्ट सिटी के सीईओ और नगर आयुक्त गौरांग राठी ने बताया कि भारतीय, यूरोपियन और अमेरिकन टेक्नॉलजी का प्रयोग करके इसे लगाया जा रहा है। इसके लिए 125 करोड़ रुपए की लागत से 500 किलोमीटर तक ऑप्टिकल फाइबर बिछाया जाएगा और 700 अलग-अलग जगहों पर 3,000 कैमरे लगाए जायेंगे। जिसमें से 22 कैमरे फेस रिकग्निशन सिस्टम के लिए होंगे। इनकी संख्या जरुरत के हिसाब से बढ़ाई भी जा सकती है। शहर की विभिन्न गतिविधियों की रीयल टाइम रिकॉर्ड होगी जो सिक्योरिटी और सेफ्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण होगी।
कैमरे लगाने वाली कंपनी इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड के सीनियर प्रोजेक्ट मैनेजर साहिल व वाराणसी स्मार्ट सिटी लिमिटेड के जनरल मैनेजर प्रोजेक्ट्स एंड कोआर्डिनेशन डॉ. डी वासुदेवन ने बताया कि फेस अलॉगर्थिम डाटा बेस में मौजूद फ़ोटो का कैमरे से ली पिक्चर से मिलान करेगा और उसकी विशेष पहचान कोडिंग और नाम के माध्यम से बता देगा। कैमरे करीब 7.5 मीटर की दूरी से अपराधियों की पहचान कर लेगें। इसकी सूचना वे काशी इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सिस्टम में बैठे एक्सपर्ट पुलिस कर्मियों को देंगे। इसके तुरंत बाद सम्बंधित थाना पुलिस के पुलिस कर्मी अपराधी को दबोच लेंगे। सर्विलांस सिस्टम जुलाई 2020 से शुरू हुआ ये प्रोजेक्ट अप्रैल 2021 में बन कर तैयार हो जायेगा।
वाराणसी के एसएसपी अमित पाठक ने बताया कि ये सरकार की अच्छी पहल है और इससे क्राइम कण्ट्रोल में काफी मदद मिलेगी। धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी हमेशा से आतंकियों के निशाने पर रही और कई आतंकी हमले भी झेल चुकी है। पूर्वांचल का व्यावसयिक हब होने की वजह से काशी से कई तरह की आपराधिक गतिविधियां भी संचालित होती है और पूर्वांचल में अक्सर गैंगवार भी होता रहा है। ऐसे में फेस रिकग्निशन सिस्टम अपराधियों और असामजिक तत्वों को उनकी सही जग़ह पहुंचाने में कारगर साबित होगी।