जब श्मशान में जलती चिताओं को देख भावुक हो गए थे ऋषि कपूर, नोटपैड में लिखकर ले गए थे ये बात
वाराणसी। बॉलीवुड के मशहूर और दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर ने 30 अप्रैल को दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। गुरुवार सुबह उन्होंने मुंबई के अस्पातल में अंतिम सांस ली। ऋषि कपूर दो साल से कैंसर से जंग लड़ रहे थे। बुधवार रात को उनकी तबीयत खराब हुई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से वो लौटकर घर नहीं आए। ऋषि कपूर की काशी से कई सुनहरी यादें जुड़ीं हैं। ऋषि कपूर ने आज से करीब 24 साल पहले साल 1996 में शरद पूर्णिमा के दिन काशी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए थे। तब उन्होंने दोबारा काशी आने की इच्छा जताई थी, जो पूरी नहीं हो सकी। उनके निधन की खबर सुनते उस यात्रा में उनके साथ रहने वालों के जेहन में स्मृतियां ताजा हो गईं।

बाबा विश्वनाथ की मंगला आरती में हुए थे शामिल
अभिनेता ऋषि कपूर और रणधीर कपूर शरद पूर्णिमा से एक दिन पहले रात में काशी के नदेसर स्थित एक होटल में पहुंचे थे। दोनों बाबा विश्वनाथ की मंगला आरती में शामिल हुए। आरती के बाद पं. अशोक द्विवेदी ने दोनों से रुद्राभिषेक कराया। उनके आग्रह पर वे उनके रवींद्रपुरी स्थित आवास पर भी गए थे। जहां से बीएचयू विश्वनाथ मंदिर गए। उनके साथ रहे उत्तर प्रदेश में वाराणसी रोलर स्पोर्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश डोगरा ने बताया कि बीएचयू परिसर में ऋषि कपूर ने एक जैसे संकाय भवन और हरियाली देखी तो वह बेहद खुश हुए थे। तब ऋषि ने कहा था काश मुझे भी यहां पढ़ने का मौका मिला होता। उन्होंने विश्वविद्यालय के बारे में पूरी जानकारी ली।

चिताएं जलती देख ऋषि कपूर भावुक हो गए थे
राजेश डोगरा बताते हैं कि हरिश्चंद्र घाट पर चिताएं जलती देख ऋषि कपूर भावुक हो गए थे। तब उन्हें बताया कि यह मुख्य श्मशान घाट मणिकर्णिका है। मणिकर्णिका घाट पर एक साथ बहुत सी चिताएं जलती देख कर ऋषि कपूर खामोश हो गए थे। वह इस बात को जानकार बेहद हैरान हो गए थे कि इस महाश्मशान पर कभी चिता की अग्नि बुझती नहीं है। पंचगंगा घाट पर मस्जिद देख कर भी वह हैरत में पड़ गए थे। उन्होंने पूछा था कि गंगा तो एक ही हैं फिर इस घाट का नाम पंचगंगा क्यों है। उन्होंने जब यह जाना कि यहां गंगा, यमुना, सरस्वती, किरणा और धूतपापा नाम की पांच नदियां हैं तो उन्होंने तुरंत अपनी जेब से नोटपैड निकाला और उसपर पांचों नदियों का नाम लिखा था।

25 मिनट तक सुना था बिरहा
राजेश डोगरा बताते हैं कि इसके अगले दिन वह दोनों को लेकर सारनाथ गए। लौटते वक्त सारनाथ के पास बिरहा हो रहा था। बिरहा के संगीत का अंदाज उन्हें इतना पसंद आया कि वहां भी उन्होंने कार रुकवाई। वह करीब 25 मिनट तक वहां रुके और बिरहा सुना था। उन्होंने मुझसे बिरहा के बारे में पूछा, चूकि मैं खुद बिरहा के बारे में बहुत नहीं जानता था इसलिए उन्हें इतना ही बता पाया था कि यह भोजपुरी संगीत की लोकविधा है। अगली सुबह दोनों ट्रेन से मुंबई रवाना हो गए थे।

आखिरी बार रणबीर ने वीडियो कॉल से कराए थे बाबा विश्वनाथ के दर्शन
नगर के वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ. रतिशंकर त्रिपाठी ने बताया कि आखिरी बार ऋषि कपूर ने वीडियो कॉलिंग के जरिए बाबा विश्वनाथ के स्वर्ण शिखर का दर्शन किया था। यह तब की बात है जब ब्रह्मास्त्र फिल्म की शूटिंग के लिए रणबीर कपूर, आलिया भट्ट के साथ बनारस में करीब दस दिनों तक रहे थे। ऋषि कपूर उन दिनों कैंसर का उपचार कराने के लिए पत्नी नीतू सिंह के साथ लंदन के एक अस्पताल में भर्ती थे। रणबीर कपूर ने अपने फोन से वीडियो कॉल के जरिए उन्हें बाबा विश्वनाथ के दर्शन कराए थे।
आखिरी समय में ऋषि कपूर ने बुलाया था रणबीर कपूर को अपने पास, जानिए क्या थी अंतिम इच्छा?