आठ राज्यों के हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित करने को लेकर काशी के संत ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी
वाराणसी। अल्पसंख्यक वोटों को साधने के लिए भाजपा सरकार के मन में अल्पसंख्यकों के प्रति उमड़े प्रेम का ही नतीजा था कि ईद के दिन अल्पसंख्यक समुदाय के 5 करोड़ छात्रों को छात्रवृति देने की घोषणा कर दी गई। सरकार की इसी मंशा पर अखिल भारतीय संत समिति ने अपने उस पत्र के जरिए सवाल खड़ा किया है जिसमें उन्होंने न केवल मौजूदा सरकार से अल्पसंख्यक की परिभाषा पूछी है, बल्कि वर्ष 2002 में सुप्रीम कोर्ट के एक बड़े फैसले को लागू करने की भी मांग की है, क्योंकि देश में आठ राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यकों की तरह रह रहा है।
स्वामी जितेंद्रानंद ने सरकार को लिखी चिट्ठी
प्रधानमंत्री, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय, गृह मत्रालय और अल्पसंख्यक आयोग को 9 बिंदुओं पर पत्र लिखने वाले अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ही एक जन एक राष्ट्र की भावना की बात कही गई है। इसलिए अल्पसंख्यक शब्द की परिभाषा कहीं से संविधान में तो नहीं है। दिसंबर 1992 में कांग्रेस सरकार द्वारा पहली बार अल्पसंख्यक आयोग का गठन संसद में प्रस्ताव लाकर किया गया और यह संविधान की मूल अवधारणा के विरुद्ध था। ऐसे में सवाल है कि भारत में अल्पसंख्यक कौन है? चाहे संयुक्त राष्ट्रसंघ का चार्टर देखिए न तो उसके अनुसार और ही दुनिया के जिन देेशों ने अल्पसंख्यक की परिभाषा दी है उसके अनुसार भी मुसलमान अल्पसंख्यक नहीं हो सकता।
भारत के आठ राज्यों हिंदू भी अल्पसंख्यक हैं
सुप्रीम कोर्ट की सांविधानिक बेंच ने 2002 में यह कहा है कि अल्पसंख्यक की स्थिति राष्ट्रीय स्तर पर नहीं वरन राज्य स्तर पर ही तय की जानी चाहिए। क्योंकि भारत के आठ राज्यों जम्मू-कश्मीर, मेघालय, मिजोरम, पंजाब, लक्षद्वीप, नगालैंड, अरुणांचल प्रदेश और मणिपुर में हिंदू भी अल्पसंख्यक हैं। ये ढाई प्रतिशत से लेकर 38 प्रतिशत तक ही यहां हिंदू हैं, तो क्या इस कानून के तहत मिलने वाले लाभ को हिंदू अल्पसंख्यक लेने का हकदार नहीं है? क्या इन 8 राज्यों में अल्पसंख्यक हिंदुओं को सरकार की ओर से दी जानी वाली सुविधाएं नहीं मिलनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के तय मापदंडों का पालन हो
अभी सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर चुनाव के दौरान अल्पसंख्यक आयोग से मांग की है कि राज्यवार अल्पसंख्यक की परिभाषा राज्यवार तय करके बताइए और हम सरकार से यही मांग कर रहें हैं। इसलिए सरकार छात्रवृति अल्पसंख्यकों को बांटे हमें खुशी है, लेकिन उसमें आठ राज्यों का अल्पसंख्यक हिंदू भी हो और सुप्रीम कोर्ट के तय मापदंडों का पालन हो, यही देश का संत समाज चाहता है। हमारे दिमाग में अल्पसंख्यक का मतलब मुसलमान बैठा दिया गया है जो गलत है। तो अल्पसंख्यकों की राजनीति ने देश को ऐसे जगह लाकर खड़ा कर दिया है कि जिन-जिन राज्योंं में हिंदू अल्पसंख्यक हैं वे देश से टूटने के कगार पर आकर खड़ा हो गया है। उन्होंने बताया कि उनके समिति में केंद्रीय मार्गदर्शक दल की बैठक 19-20 जून को हरिद्वार में होने वाली है। स्वभाविक है कि हिंदू हितों का प्रश्न उठेगा और हिंदू हितों और राष्ट्रवाद के कारण ये सरकार बनी है तो इसलिए इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती, लेकिन समय पर बताना और जागरूक करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।