Valentine's Day: बनारस में मौजूद है बाबा अशिक माशूक की मजार, मन्नत मांगने आते हैं प्रेमी जोड़े
Varanasi news, वाराणसी। 14 फरवरी को Valentine's Day है। इस मौके पर हम आपको काशी के ऐसी मजार के बारे में बता रहे हैं, जहां पर प्रेमी जोड़े अर्जी लगाने आते हैं। जी हां, वाराणसी के सिगरा इलाके में मौजूद बाबा आशिक माशूक की मजार पर प्रेमी जोड़े न सिर्फ मुराद पूरी करने के लिए अंगूठी और बैंड बांधते हैं बल्कि मुराद पूरी होने पर प्रेमी या फिर प्रेमिका अपने शादी का पहला कार्ड भी यहां चढ़ाते हैं।
क्या है बाबा की मजार के पीछे कहानी
मजार के मोत्तवली मोहम्मद फरीद शाह बताते हैं कि करीब 400 साल पहले ईरान के रहने वाले मोहम्मद समद के साथ उनका बेटा मोहम्मद यूसुफ के साथ बनारस आए थे। बनारस में लगने वाले अलईपुरा के मशहूर गाजी मियां के मेले में युसूफ अपने पिता समद के साथ गए थे। इसी मेले में उनकी निगाहें अलईपुरा की रहने वाली मरियम से लड़ गई थी।
दरिया में कूदकर दी जान
समय बितता गया और निगाहों और निगाहों का प्यार कब परवाना चढ़ गया ये युसूफ और मरियम को खुद नहीं पता चला। इसी बीच यूसुफ के पिता मोहम्मद समद किसी काम से ईरान गए और मरियम के परिवार वालों को जब इन दोनों के इश्क की जानकारी हुई तो वह जबरन मरियम को लेकर बनारस के रामनगर पहुंच गए। रामनगर पहुंचने की सूचना यूसुफ को मिली तो वह पीछे पीछे वहां तक गया और वहीं दरिया में कूदकर उसने अपनी जान दे दी।
मरियम ने भी आशिक के प्यार में दे दी जान
इस बात की जानकारी जब मरियम को हुई तो मरियम भी वहां पहुंची और उसने भी उसी स्थान पर कूदकर अपनी जान दे दी। दोनों के शव को कई महीने के बाद बाहर निकाले गए और इस प्यार की पहचान को बनारस सिगरा इलाके में एक साथ दफन कर वहां मजार बनाई गई। यह मजार आज बाबा आशिक माशूक के नाम से मशहूर है।