अयोध्या मामले मे मध्यस्थता का फैसला निराशाजनक: स्वरूपानंद सरस्वती
Varanasi news, वाराणसी। ज्योतिष शारदा द्वारिका पीठ के पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का अयोध्या मामले मे मध्यस्थता का फैसला निराशाजनक है। वाराणसी में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या मामले में मध्यस्थता के फैसले को निराशाजनक बताया और कहा कि श्री श्री रविशंकर तो एक बार विफल हो चुके है, उनके ऊपर जुर्माना भी हुआ था जिसे उन्होंने अभी तक चुकाया भी नहीं है। जिन्हें मध्यस्थता के लिए पंच बनाया गया है वह न तो हिंदू धर्म के ज्ञाता है और ना मुस्लिम धर्म के ज्ञाता है। क्या पक्षकारों को उन पंचों पर विश्वास है, उनका पंचो पर विश्वास होना बहुत जरूरी है।
ज्योतिष एवं द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि प्रश्न यह उठता है कि राम मंदिर मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का जो फैसला था, उसमें इस बात का ट्रायल चल रहा था उसमें राम लला का जो स्थल है उसे हाईकोर्ट में राम जन्मभूमि का बताया था। उसके आसपास की जमीन को लेकर सुन्नी सेंट्रल बोर्ड और निर्मोही अखाड़े में बांटने की बात कही थी।
यह बात सुप्रीम कोर्ट में होनी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट जिन्हें मध्यस्थता की बात कह रही है, उन पर कोई विश्वास नहीं करता है। उनकी बातों को न हिंदू मानते हैं और ना ही मुस्लिम मानते हैं, वो पंच कैसे हो सकता है। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला करने के बजाय मध्यस्थता पर टाल दिया है, जो निराशाजनक है।