पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बदहाल बुनकरों ने पावरलूम बंद कर की हड़ताल, कांग्रेस का मिला समर्थन
वाराणसी। जुलाई में अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के समाज सेवियों और बुनकरों से बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कोरोना काल में प्रभावित हुए नाविकों और बुनकरों का ख्याल रखा जा रहा है लेकिन हकीकत में ऐसा होता नहीं दिख रहा है। एक तरफ घाट के नाविकों को भूख से बचाने के लिए एक्टर सोनू सूद आगे आए हैं वहीं अब आर्थिक बदहाली के शिकार हुए काशी के बुनकर मंगलवार से हड़ताल पर चले गए हैं। उनकी मांग है कि दिसंबर तक के बिजली बिल माफ हों और योगी आदित्यनाथ सरकार बिजली के फ्लैट रेट फिर से लागू करे। बुनकरों की हड़ताल को कांग्रेस पार्टी ने समर्थन दिया है। वाराणसी में 30 हजार से ज्यादा बुनकर हैं और करीब डेढ़ लाख पावरलूम चल रहे हैं।
एक
सितंबर
से
बुनकरों
की
अनिश्चितकालीन
हड़ताल
बिजली
के
फ्लैट
रेट
लागू
करने
की
मांग
करते
हुए
एक
सितंबर
से
काशी
के
बुनकरों
ने
अपना
पावरलूम
बंद
कर
दिया
है।
हड़ताल
के
बारे
में
एक
बुनकर
ने
कहा
कि
कोरोना
काल
में
हमें
भारी
नुकसान
झेलना
पड़ा
है।
हम
किस
तरह
से
बिजल
बिल
चुका
पाएंगे?
कांग्रेस
के
प्रदेश
अध्यक्ष
अजय
कुमार
लल्लू
ने
सोमवार
को
बुनकरों
के
साथ
जनसंवाद
किया
जिसमें
उन्होंने
आंदोलन
को
समर्थन
देने
का
ऐलान
किया।
हड़ताल
को
कांग्रेस
का
समर्थन
बुनकरों
के
एक
समूह
के
सरदार
हाजी
मकबूल
हसन
से
मुलाकात
कर
कांग्रेस
प्रदेश
अध्यक्ष
ने
कहा
कि
लाखों
बुनकर
आर्थिक
तंगी
झेल
रहे
लेकिन
उनको
राहत
न
देकर
उन
पर
बिजली
बिल
का
बोझ
योगी
सरकार
बढ़ा
रही
है
जो
उसकी
मानसिकता
को
बताता
है।
सरदार
हाजी
मकबूल
हसन
ने
सोनिया
गांधी,
राहुल
गांधी,
प्रियंका
गांधी
और
अजय
कुमार
लल्लू
के
नाम
चिट्ठी
सौंपकर
बुनकरों
को
समर्थन
देने
की
अपील
की।
दूसरे
समूह
के
सरदार
हाजी
अली
अहमद
ने
भी
हड़ताल
पर
जाने
का
फैसला
लिया।
उन्होंने
कहा
कि
एक
सितंबर
से
पावरलूम
मशीनों
को
अनिश्चित
काल
के
लिए
बंद
कर
देंगे।
मीटिंग
करने
वाले
अजय
कुमार
लल्लू,
कांग्रेस
नेता
अजय
राय,
बुनकर
सरदारों
समेत
10
के
खिलाफ
नामजद
और
अन्य
कांग्रेस
कार्यकर्ताओं
व
बुनकरों
के
खिलाफ
मुकदमा
दर्ज
किया
गया
है।
जैतपुरा
थाना
पुलिस
के
मुताबिक,
कोविड19
के
नियमों
के
उल्लंघन
में
यह
केस
दर्ज
किया
गया
है।
बुनकरों
की
है
यह
मांग
बुनकरों
के
एसोसिएशन
के
जनरल
सेक्रेटरी
रहे
अतीक
अंसारी
ने
कहा
कि
मुलायम,
मायावती
और
अखिलेश
के
समय
तक
72
रुपए
में
महीनेभर
पावरलूम
चलता
था।
योगी
सरकार
में
भी
यह
योजना
लागू
रही
लेकिन
अब
इसमें
बदलाव
कर
एक
पावरलूम
के
लिए
एक
महीने
में
1500
रुपए
देने
को
कहा
है।
बिल
जमा
करने
के
बाद
सरकार
ने
600
रुपए
की
सब्सिडी
खाते
में
वापस
करने
का
आश्वासन
दिया
है
लेकिन
बुनकर
यह
मानते
हैं
कि
1500
रुपए
का
रेट
बहुत
ज्यादा
है।
बुनकरों
की
मांग
है
कि
फ्लैट
रेट
फिर
से
सरकार
लागू
करे
और
दिसंबर
तक
का
बिजली
बिल
माफ
करे।
सरकार
ने
अगर
बुनकरों
की
मांग
नहीं
मानी
तो
हम
सब
पावरलूम
की
बिजली
काटने
के
लिए
आवेदन
देंगे।
यूपी में हो रही घटनाएं जंगलराज को साबित करती हैं, सरकार इस ओर ध्यान दे तो बेहतर होगा: मायावती