कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज का काशी के साथ था खास रिश्ता, शोक में डूबा बनारस का संगीत घराना
वाराणसी, 17 जनवरी: कथक सम्राट पद्मभूषण पंडित बिरजू महाराज आज हमारे बीच नहीं है। उन्हें हार्ट अटैक आया और वो इस दुनिया को छोड़ गए। रविवार की देर रात 83 वर्ष की उम्र में आखिरी सांस ली। वैसे तो बिरजू महाराज पर लखनऊ के संगीत घराने से होने की बात कही जाती थी लेकिन पंडित जी का बनारस से खास रिश्ता था। एक तरफ जहां पंडित बिरजू महाराज का विवाह बनारस की मशहूर गिरजा देवी के गुरु श्री चंद्र मिश्रा की बेटी लक्ष्मी देवी से हुआ था। वहीं संगीत वादक पंडित हनुमान प्रसाद मिश्र के छोटे बेटे साजन मिश्रा के साथ पंडित जी की बड़ी बेटी कविता का विवाह हुआ था। पंडित जी के बेटे दीपक की शादी पद्म विभूषण पंडित छन्नूलाल के भाई के बेटी से हुई थी।

संकट मोचन से था खास रिश्ता
काशी के संकट मोचन संगीत समारोह से भी पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज का भी खास रिश्ता था। वह कई बार संकट मोचन संगीत समारोह के मंच पर अपने कत्थक से लोगों का मन मोह लिया करते थे। 2018 तो पंडित बिरजू महाराज ने पंडित जसराज के सुरों पर नटवर नागर का स्वरूप भी सजाया था। संकट मोचन मंदिर के महंत और बीएचयू आईआईटी के प्रोफेसर विश्वम्भर नाथ मिश्रा बताते हैं कि पिछली बार कोरोना महामारी के कारण संकट मोचन संगीत समारोह के मंच पर वह नहीं आ पाए। लेकिन 3 से 4 महीना पहले जब उनकी फोन पर बात हुई तो उन्होंने जल्दी ही वाराणसी आने और संकट मोचन मंदिर में मत्था टेकने का वादा किया। आज वह नहीं हैं लेकिन काशी में उनकी यादें हमेशा जीवंत रहेंगे।

'हमारा तो परिवार टूट गया '
पंडित बिरजू महाराज के निधन पर उप शास्त्रीय गायक पद्म विभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनके साथ बिताए हुए पल को याद किया। दरअसल स्वर्गीय पंडित बिरजू महाराज और पद्म विभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र आपस में समधी हैं। उन्हें याद करते हुए पंडित छन्नूलाल मिश्र की आंखें नम हो गई। उन्होंने कहा कि हमारे देश के एक बहुत बड़े कत्थक के कलाकार पंडित बिरजू महाराज का निधन हो गया, वह हमारे रिश्तेदार थे, हमारे समधी थे। हमारे भाई की बेटी से उनके बेटे दीपक की शादी हुई है। उनके निधन का समाचार सुनकर हमें बहुत दुःख हुआ है, आज कष्ट इतना है कि दिल मे पीड़ा है कि उसे बयां नहीं किया जा सकता। एक तो परिवार और दूसरे बड़े कलाकार उनके जाने की सूचना जब मिली है, कलेजा फट गया। हमें विश्वास नहीं है कि वह इतनी जल्दी हम लोगों को छोड़कर चले जाएंगे, लेकिन होई है वही जो 'राम रचि राखा' जो राम की इच्छा होगी वही होगा। एक कलाकार की हैसियत से हम उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देते हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह उन्हें अपने चरणों में स्थान दे। आज भी पंडित जी को याद कर मेरा पूरा परिवार मर्माहत है और खासकर मैं क्योंकि वह मुझे बहुत प्यार किया करते थे, मुझे याद है कि कई बार स्टेज पर हम लोगों ने एक साथ परफॉर्मेंस किया है। जहां उनका कत्थक होता था वहां मेरा गायन होता था अब बस उनकी यादें हैं इससे ज्यादा मैं और कुछ नहीं कह सकता।

'संगीत के संगम थे पण्डित जी'
वही बनारस के खास रिश्ता रखने वाले पण्डित बिरजू महाराज के निधन के समाचार को सुनकर बनारस का संगीत घराना शोक में डूब गया है। जल तरंग के वादक और संगीत नाट्य अकादमी की अध्यक्ष पदम् विभूषण डॉक्टर राजेश्वर आचार्य पण्डित जी को याद करते हुए कहते है कि संगीत जगत के सितारे गीतम, वाद्यम एवं नित्यम के साक्षात अवतार और नृत्य के महाराज आज हमारे बीच नहीं है। उनके जाने से संगीत जगत की अपूरणीय क्षति है, क्योंकि ऐसे प्रतिभाशाली और सर्वगुण संपन्न कलाकार कभी-कभी पैदा होते हैं, और वह तो पूर्ण संगीत पुरुष थे। जिनके अंदर गायन , वादन और नृत्य सब का संगम था। यह संगीत घराने के लिए अब तक की सबसे बड़ी क्षति है। वह संगीत नाट्य अकैडमी और नए कत्थक कलाकारों को हमेशा सृजन करने के लिए हमें मार्गदर्शन करते रहते थे। आज उनके जाने के बाद संगीतकारों को उनकी परंपरा को सुरक्षित रखने के लिए उत्कर्ष प्रयास करना होगा यही उनके लिए सब की सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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