VIDEO: काशी की दीवारों पर युवाओं ने उकेरा देश का इतिहास, प्रवासी दिवस की तैयारी
वाराणसी। एशिया में सबसे प्राचीन शहर माने जाने वाले वाराणसी में इन दिनों कुछ युवाओं द्वारा गली-मोहल्लों में अनूठी कोशिश देखने को मिल रही है। युवा चित्रकारी के जरिए इस शहर के पौराणिक एवं ऐतिहासिक दृश्यों को दीवारों पर उकेर रहे हैं। इन दृश्यों में काशी की संस्कृति, मंदिरों और ऋषि-मुनियों को शामिल किया गया है। इस कोशिश के जरिए वे युवा आगामी प्रवासी भारतीय दिवस की तैयारियों में जुटे हैं। इन इलाकों से गुजरने वाला हर कोई इनकी तारीफ कर रहा है।
बनारस को यूं दमका देने की कोशिश की है वाराणसी विकास प्राधिकरण के उन कलाकार छात्रों की, जो चाहते हैं कि विदेशी यदि यहां घूमें तो सही मायने में इस शहर को जान सकें। ये छात्र आजकल व्यस्त दिनचर्या में जी रहे हैं, क्योंकि उन्हें इस शहर दीवारों पर न सिर्फ महादेव की, लेखकों और स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीरें बनानी हैं, बल्कि कई और मनमोहक दृश्य भी उकेरने हैं।
इतना
कुछ
दिखेगा
इन
चित्रकारियों
से
छात्रों
का
कहना
है
कि
ये
काशी
में
अनूठा
प्रयास
किया
जा
रहा
है,
ताकि
सैलानियों
में
हमारी
पहचान
हो,
अहमियत
हो।
इसलिए
काशी
की
दीवारों
पर
चित्रकारी
द्वारा
पुराने
काशी
की
संस्कृति
उकेरने
की
ये
कोशिश
की
जा
रही
हैं।
बनारस
के
पौराणिक
इतिहास
से
लेकर
आधुनिकता
की
तरफ
अग्रसर
होने
की
यात्रा
तक
सब
कुछ
आपको
शहर
की
दीवारों
पर
दिख
जाएगा।
इन
दीवारों
पर
ऋषि
मुनियों
के
वेद
ज्ञान
से
लेकर
गुरु
शिष्य
की
प्राचीन
परंपरा
तक
उकेरी
जा
चुकी
हैं।
खास
बात
ये
भी
है
इन
चित्रों
का
उन
छात्रों
द्वारा
बनाया
जाना
जो
खुद
आधुनिकता
को
अपनाए
हुए
इस
शहर
के
एक
अलग
ही
पहलू
से
रूबरू
हैं।
जमीं पर ही नहीं हवा और पानी में दिखेंगे प्रयाग-कुंभ के रंग, तैयार हुईं ऐसी लाजवाब पेंटिंग्स
वॉल
पेंटिंग
के
माध्यम
से
उकेरे
जा
रहे
चित्र
मार्डन
काशी
के
इतिहास
और
परम्परा
की
छाप
को
यहां
के
युवा
वॉल
पेंटिंग
के
माध्यम
से
एक
नमूना
पेश
कर
रहे
हैं।
जो
आने
वाले
प्रवासी
भारतीय
दिवस
में
विदेशी
मेहमानों
को
बनारस
के
इतिहास
से
रूबरू
करवाएंगे।
दीवारों
पर
चित्रकारी
कर
रहे
इन
छात्रों
का
कहना
है
कि
इससे
ना
सिर्फ
आने
वाले
सैलानियों
को
बनारस
की
सभ्यता
का
एहसास
होगा
बल्कि
शहर
कि
दीवारों
को
भी
स्वछता
से
बचाया
जा
सकेगा।
छात्रों ने बताया कि हमें भी काशी की उस प्रथा से जुड़ने का मौका मिल रहा है, जो इस मार्डन युग में कहीं खोती जा रही है। आज के दौर की शिक्षा प्रणाली और इससे पहले की शिक्षा प्रणाली में बहुत अंतर रहा है। गुरु-शिष्य के बीच जो संबंध हुआ करते थे वो आज के बाबत बहुत ही अलग हुआ करते थे। अब भारतीय प्रवासी दिवस में सिर्फ कुछ दिन रह गए हैं, और बनारस को पूरी तरह विदेशी मेहमानों के लिए सजाया जा रहा है। इसी क्रम में काशी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की दीवारों पर भी शिक्षा कि पुरानी प्रथा को दर्शाने का प्रयास किया जा रहा है।