हेलमेट मैन: दोस्त की मौत के बाद बिहार के इस युवक ने छोड़ दी नौकरी, बचाने लगा दूसरों की जिंदगी
वाराणसी। 'ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे, तोड़ेंग दम मगर तेरा साथ ना छोड़ेंगे' शोल फिल्म का ये मशहूर गीत तो आपने सुना ही होगा। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी ही दोस्ती के बारे में बताने जा रहे है, जिसने अपनी जिंदगी दोस्त के नाम कर दी है। दरअसल, 2014 में अपने बिहार के कैमूर जिले में रहने वाले राघवेंद्र कुमार ने अपने जिगरी दोस्त को बाइक हादसे में खो दिया था। इस बात का राघवेंद्र पर इतना असर पड़ा कि वो अब लोगों को जगह-जगह सड़कों पर खड़े होकर फ्री में हेलमेट बाटते है। मकसद सिर्फ इतना है कि उनके दोस्त की तरह किसी अन्य कि जान बिना हेलमेट के न जाए।
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राघवेंद्र सोमवार को वाराणसी के लंका चौराहे पर पहुंचे और लोगों को फ्री में हेलमेट बांटते नजर आए। वह हर आने-जाने व्यक्त्ति से एक बार जरूर मुखातिब होते हैं। जिससे लोग उनकी दरियादिली देखकर उनकी तारीफ करने से नहीं बच पाते। लेकिन राघवेंद्र हर किसी को नहीं, बल्कि कुछ शर्तों को पूरा करने वालों को ही फ्री में हेलमेट देते हैं। दरअसल, राघवेंद्र उनलोगों को फ्री में हेलमेट देते हैं, जिनका हाल ही में चालान कटा हो। चालान जमा वाली रसीद दिखाने पर ही वह लोगों को फ्री में हेलमेट देते हैं। या फिर चालान नहीं कटा हो, वैसे लोगों को राघवेंद्र हेलमेट देते हैं।
इसके साथ ही वह जरूरतमंद व्यक्ति का 5 लाख का एक्सिडेंटल इंश्योरेंस भी करवाते हैं. जिसके एवज में वह मात्र एक हजार रुपये लेते हैं, बदले में लोगों को रसीद देते हैं। राघवेंद्र की मानें तो वह अबतक 42000 हजार लोगों को हेलमेट बांट चुके हैं। वो हर शहर में जाकर 10 दिन बिताते हैं और उन दस दिनों में जरूरतमंदों में हेलमेट बांटते हैं। राघवेंद्र ने बताया कि उन्होंने ऐसा करने का फैसला 2014 में अपने दोस्त की मौत के बाद लिया। दोस्त की मौत सड़क दुर्घटना में हो गयी। राघवेंद्र का मानना है कि यदि उनका दोस्त हेलमेट पहने हुए होता तो शायद उसकी जान बच जाती। तब से वह लोगों के बीच हेलमेट बांट रहे हैं।
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