जानिए वाराणसी की शिवांगी सिंह के बारे में, जो बनने जा रही है राफेल जेट उड़ाने वाली पहली महिला पायलट
वाराणसी। शिवांगी सिंह फ्लाइट लेफ्टिनेंट, दुनिया की सर्वोत्तम श्रेणी के युद्धक विमान में से एक राफेल जेट उड़ाने वाली पहली महिला पायलट के रुप में चुनी गई है। शिवांगी सिंह की इस सफलता पर न केवल घरवालों को, बल्कि पूरे काशी को नाज है। तो वहीं, शिवांगी की इस सफलता पर मां सीमा सिंह ने कहा कि बेटी ने जो सपना देखा था उसे पूरा किया है। बता दें, फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह जल्द ही अंबाला में अपनी ड्यूटी ज्वॉइन कर लेंगी। वह फिलहाल अंबाला पहुंच चुकी हैं।
मेधावी छात्रा रहीं शिवांगी सिंह
शिवांगी सिंह, उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले की फुलवरिया थाना क्षेत्र इलाके की रहने वाली है। शिवांगी पढ़ाई और खेल में भी अव्वल रहीं। आठवीं तक की पढ़ाई कैंटोंमेंट स्थित सेंट मेरीज से की। इंटर तक की पढ़ाई शिवपुर स्थित सेंट जोजर्स कॉन्वेंट स्कूल बाईपास से की। विज्ञान वर्ग से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की और 89 फीसदी अंक अर्जित कीं। सनबीम वुमेंस कॉलेज भगवानपुर से बीएससी की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 68 फीसदी अंक पाये थे। बीएससी की पढ़ाई के दौरान ही एनसीसी ज्वाइन की।
गणतंत्र दिवस की परेड में किया था यूपी का प्रतिनिधित्व
वाराणसी में स्कूलिंग के बाद उच्च शिक्षा के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) पढ़ने गई थीं। बीएचय में ही वह नेशनल कैडेट कोर में 7 यूपी एयर स्क्वाड्रन का हिस्सा थीं। बीएचयू से 2013 से 2015 तक एनसीसी कैडेट रहीं। साथ ही सनबीम भगवानपुर से बीएससी किया। शिवांगी दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड में 2013 में उत्तर प्रदेश टीम का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। उन्होंने 2016 में प्रशिक्षण के लिए वायु सेना अकादमी ज्वाइन की थी।
2017 में हुई थी कमिशनिंग
फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह महिला पायलटों के दूसरे बैच की हिस्सा थी, जिनकी कमिशनिंग 2017 में हुई थी। फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी इस समय ट्रेनिंग प्रक्रिया से गुजर रही हैं और कुछ ही दिनों में वह गोल्डन एरो स्क्वाड्रन से औपचारिक तौर पर जुड़ जाएंगी। आपको बता दें कि साल 2016 में आईएएफ में पहली बार फाइटर पायलट के तौर पर महिलाओं को कमिशनिंग मिला था। फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी अंबाला से पहले राजस्थान में पाकिस्तान बॉर्डर से सटे एयरबेस पर तैनात थी।
'कन्वर्जन ट्रेनिंग' पूरी होती ही राफेल में भरेंगी उड़ान
फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह 'कन्वर्जन ट्रेनिंग' पूरा करते ही वायुसेना के अंबाला बेस पर 17 'गॉल्डन एरोज' स्क्वैड्रन में औपचारिक एंट्री लेंगी। किसी पायलट को एक फाइटल जेट से दूसरे फाइटर जेट में स्विच करने के लिए 'कन्वर्जन ट्रेनिंग' लेने की जरूरत होती है। हालांकि, मिग-21एस उड़ा चुकीं शिवांगी के लिए राफेल उड़ाना कोई चुनौतीपूर्ण काम नहीं होगा क्योंकि मिग 340 किमी प्रति किमी की स्पीड के साथ दुनिया का सबसे तेज लैंडिंग और टेक-ऑफ स्पीड वाला विमान है। बता दें, भारतीय वायुसेना के पास फाइटर प्लेन उड़ाने वाली 10 महिला पायलट हैं जो सुपरसोनिक जेट्स उड़ाने की कठिन ट्रेनिंग से गुजरी हैं। एक पायलट को ट्रेनिंग पर 15 करोड़ रुपये का खर्च आता है।
जो सपना पाला उसकी के लिए की जी-तोड़ मेहनत
शहर के फुलवरिया गांव में रहने वाली शिवांगी सिंह फाइटर विमान उड़ाने का सपना पाला और लीक से हटकर इसी के लिए जी-तोड़ मेहनत की। अब एक नया इतिहास भी रच दिया। फुलवरिया रेलवे क्रासिंग के निकट तीन दशक पुराने मकान में शिवांगी की मां सीमा सिंह, पिता कुमारेश्वर सिंह, भाई मयंक सिंह, शुभांशु, हिमांशी, बड़े पिता राजेश्वर सिंह, बड़ी मां बेटी की उपलब्धि पर खुशियां मनाने में जुटा है। पिता कुमारेश्वर ने बताया कि मंगलवार शाम को बेटी के चयन की जानकारी मिली। शिवांगी के पिता कुमारेश्वर ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उनकी बेटी देश की पहली और इकलौती पायलट है जो वायु सेना के बेड़े में शामिल हुए राफेल के गोल्डेन ऐरा की टीम में शामिल हुई है।
बच्चों की परवरिश के लिए मां का त्याग, सरकारी नौकरी छोड़ी
शिवांगी सिंह की मां सीमा सिंह ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उन्होंने बच्चों की परवरिश के लिए त्याग किया। वह नई दिल्ली से स्नातक कीं। शादी के बाद वाराणसी आईं और स्नातकोत्तर के बाद बीएड की पढ़ाई पूरी की। साल 2007 में उनका चयन सरकारी शिक्षिका के रूप में हुआ। बच्चे पढ़ रहे थे, उन्हें लगा कि नौकरी करने पर बच्चों की बेहतर परवरिश और पढ़ाई में अड़चन आयेगी। इसलिए उन्होंने नौकरी नहीं की। पिता कुमारेश्वर सिंह ने बेटी की हर इच्छा पूरी की। पढ़ाई के दौरान कोई कमी नहीं आने दी।
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