यहां बना नेताजी सुभाष चंद्र बोस का पहला मंदिर, सुबह-शाम गाया जाएगा राष्ट्रगान, रोज बंटेगा प्रसाद
वाराणसी. स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की देशभर में गुरुवार को जयंती मनाई गई। नेताजी का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था। उन्होंने पहले भारतीय सशस्त्र बल की स्थापना की थी, जिसे आजाद हिंद फौज कहा गया। उनका 'तुम मुझे खून दो मैं, तुम्हें आजादी दूंगा' नारा आज भी बच्चों-बूढ़ों को प्रेरित करता है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में विशाल भारत संस्थान द्वारा आयोजित दो दिवसीय सुभाष महोत्सव के तहत नेताजी के पहले मंदिर की प्रतिमा का उद्घाटन हुआ।
संवाददाता के अनुसार, नेताजी की इस प्रतिमा का अनावरण लमही स्थित सुभाष भवन में किया गया। इस दौरान कार्यक्रम में बड़ी तादाद में लोग मौजूद थे। विशाल भारत संस्थान के अध्यक्ष राजू श्रीवास्तव ने कहा कि यहां नेताजी का मंदिर बनवाया गया है।
यह देश का पहला सुभाष मंदिर होगा, जहां पर नेता जी की पूजा होगी। पुजारी ज्यादातर दलित होंगे, जो सुबह-शाम नेता जी की प्रतिमा एवं भारत माता का पूजन करेंगे।
राजू श्रीवास्तव ने आगे कहा कि मंदिर में पूजा के वक्त राष्ट्र गान गाया जाएगा और लोगों में प्रसाद का वितरण भी किया जाएगा। यहां पर प्रतिदिन सलामी भी दी जाएगी।
यह मंदिर सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक सभी के लिए खुला रहेगा। यहां पर सभी धर्म के लोग आकर नेता जी का दर्शन पूजन कर सकेंगे।
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