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बर्मिंघम में 'विजय' बनारस में उत्सव, पिता ने कहा नमक-रोटी खाकर बेटे ने किया था अभ्यास

वाराणसी के विजय ने बर्मिंघम में जीता कांस्य पदक, उसके गांव सुलेमापुर में आज दिख रहा है त्यौहार जैसा माहौल

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वाराणसी, 02 अगस्त : वाराणसी जिले के हरहुआ ब्लाक अंतर्गत पड़ने वाले सुलेमापुर गांव के रहने वाले विजय यादव द्वारा बर्मिंघम में कांस्य पदक जीतने के बाद बनारस में काफी उत्सव का माहौल है। विजय यादव के घर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है, गांव के साथ ही जिले के लोग भी पहुंचकर विजय के माता-पिता को बधाई दे रहे हैं। गांव में रहने वाले विजय के मित्र डीजे के गीतों पर डांस कर रहे हैं और एक दूसरे का मुंह मीठा करा रहे हैं। वहीं बेटे द्वारा पदक जीतने के बाद मां बाप के खुशी का ठिकाना नहीं है। कभी खुश हो रहे हैं तो कभी बीते दौर को याद कर भावुक हो जा रहे हैं।

मां बोली 'मेरे लाल ने बहुत मेहनत किया'

मां बोली 'मेरे लाल ने बहुत मेहनत किया'

बर्मिंघम में कांस्य पदक पर कब्जा जमाने के बाद विजय के घर भले ही काफी संख्या में लोग बधाई देने पहुंच रहे हैं, लेकिन आज भी बीते हुए दौर को याद करके परिजनों की आंख भर जा रही है। विजय की मां चिंता देवी ने बताया कि शुरुआती दौर में खाने के लिए प्रबंध नहीं हो पाता था। परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी विजय के पिता जितना कमाते थे वह सब बच्चों के पढ़ाई लिखाई में खर्च हो जाता था। उस दौर को याद करते हुए विजय की मां चिंता देवी की आंखों में आंसू आ जाते हैं और वह कहती हैं कि 'मेरे लाल ने बहुत मेहनत किया है।'

हॉस्टल में मिलेगा भरपूर भोजन

हॉस्टल में मिलेगा भरपूर भोजन

विजय के पिता दशरथ यादव बताते हैं कि 2008 में विजय गांव में ही स्थित डूहिया अखाड़े पर कुश्ती लड़ने जाता था। उस समय घर की स्थिति अच्छी नहीं थी। विजय कभी नमक रोटी तो कभी भूखे पेट रहकर कुश्ती का अभ्यास करता था। उस समय वह प्राथमिक विद्यालय में पढ़ता था और विद्यालय के अध्यापक उसे एक कुश्ती प्रतियोगिता में ले गए थे। कुश्ती प्रतियोगिता के दौरान ही उसका मन जुडो खेलने की तरफ गया। घर की माली हालत अच्छी नहीं थी ऐसे में वह हॉस्टल में जाने के लिए परिजनों से बात किया। बाद में उसका सलेक्शन जब गोरखपुर हॉस्टल में हो गया तो उसे लगा कि हॉस्पिटल में उसे अच्छा खाना मिलेगा जिससे वह बेहतर खेल सकेगा।

एक भाई है ड्राइवर तो दूसरा बेरोजगार

एक भाई है ड्राइवर तो दूसरा बेरोजगार

तीन भाई दो बहनों में विजय सबसे छोटा है। विजय का बड़ा भाई विकास यादव प्राइवेट बस ड्राइवर है। विकास यादव ने बताया कि उसे पूरा विश्वास था कि उसका भाई इस बार जरूर मेडल लेकर लौटेगा। उसने यह भी कहा कि विजय से जब भी बात होती थी तो वह कहता था कि मेडल जीतकर ही आप लोगों का आशीर्वाद लेने आऊंगा।

पहले भी कई पदक कर चुका है अपने नाम

पहले भी कई पदक कर चुका है अपने नाम

इसके पहले विजय ने कॉमनवेल्थ जूडो चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था तथा दक्षिण एशियाई जूडो चैंपियनशिप में भी उसने स्वर्ण पदक जीता था। सीनियर राष्ट्रीय जूडो में तीन बार उसने स्वर्ण पदक हासिल किया इसके अलावा 18 वें एशियाई खेल टीम स्पर्धा में पांचवें स्थान पर था। यही कारण था कि इस बार बर्मिंघम में खेलने जाने पर घर परिवार और उसके जान पहचान के लोगों को विजय के मेडल जीतने की पूरी संभावना थी।

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English summary
celebrations in varanasi after vijay yadav won bronze medal in birmingham
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