बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में नियुक्ति के बाद मुस्लिम प्रोफेसर अपने घर जयपुर लौटे, समर्थन में आए संत
वाराणसी। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में बतौर संस्कृत प्रोफेसर अपनी नियुक्ति के बाद हो रहे विरोध के बीच फिरोज खान जयपुर लौट गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, मंगलवार रात को फिरोज जयपुर रवाना हुए, जहां बगरू स्थित अपने घर पहुंचे। बगरू में उनके घर पर काफी संख्या में लोग मौजूद थे। कई साधु-संतों ने भी उनका स्वागत किया। फिरोज खान के वाराणसी से जयपुर चले जाने के बाद वाराणसी में कई तरह के कयास लगाए जाने लगे। हालांकि बीएचयू के अधिकारियों ने दावा किया कि प्रोफेसर खान की नियुक्ति प्रभावी और बरकरार है। वे ही छात्रों को संस्कृत पढ़ाएंगे।
बीएचयू
प्रॉक्टोरियल
बोर्ड
के
एक
वरिष्ठ
सदस्य
ने
कहा,
"नवनियुक्त
सहायक
प्रोफेसर
के
कुछ
दिनों
के
लिए
घर
चले
जाने
के
बाद
कैंपस
में
स्थिति
धीरे-धीरे
सामान्य
हो
जाएगी।
उम्मीद
है
छात्र
भी
विरोध-प्रदर्शन
भी
बंद
कर
देंगे।"
बता
दें
कि,
प्रो.
खान
को
यूनिवर्सिटी
के
संस्कृत
विद्या
धर्म
संकाय
की
फैकल्टी
में
5
नवंबर
को
असिस्टेंट
प्रोफेसर
के
पद
पर
नियुक्त
गए
थे।
जिसका
कुछ
छात्रों
ने
विरोध
शुरू
कर
दिया।
7
नवंबर
से
उनकी
नियुक्ति
के
खिलाफ
कैंपस
में
व्यापक
प्रदर्शन
होने
लगा।
''सबसे
ज्यादा
अंक
पाकर
फिरोज
टॉप
पर
रहे
थे'
नियुक्ति
का
विरोध
करने
वाले
छात्रों
का
कहना
है
कि
डॉ.
फिरोज
खान
की
बीएचयू
में
नियुक्ति
महामना
के
आदर्शों
और
नियमों
के
विपरीत
है।
ऐसे
में
हम
इसे
रद
करने
की
मांग
कर
रहे
हैं।
वहीं,
फिरोज
को
चुनने
वाले
बोर्ड
के
हवाले
से
कहा
गया
कि
संस्कृत
विभाग
के
सहायक
प्रोफेसर
के
पद
के
लिए
10
उम्मीदवारों
को
चुना
गया
था।
जिनमें
सबसे
ज्यादा
अंक
पाकर
फिरोज
खान
टॉप
पर
रहे
थे,
इसलिए
उनकी
नियुक्ति
की
गई।
'संस्कृत
से
हमारा
खानदानी
ताल्लुक'
हिंदू
यूनिवर्सिटी
के
संस्कृत
विभाग
में
किसी
मुस्लिम
प्रोफेसर
की
पहली
नियुक्ति
के
बारे
में
फिरोज
खान
का
कहना
है
कि
संस्कृत
से
हमारा
खानदानी
ताल्लुक
है।
मेरे
दादा
गफूर
खान
राजस्थान
में
हिंदू
देवी-देवताओं
को
लेकर
भजन
गाकर
इतने
मशहूर
हो
गए
थे
कि
लोग
उनको
दूर-दूर
से
बुलाने
आते
थे।
उन्हीं
के
नक्शेकदम
पर
चलते
हुए
मैंने
संस्कृत
की
पढ़ाई
की।
साथ
ही
जयपुर
में
एक
गोशाला
के
लिए
प्रचार-प्रसार
करते
हुए
गौ-सेवा
भी
की।
ऐसे
में
अब
मुझे
बीएचयू
में
संस्कृत
पढ़ाने
में
क्या
समस्या
होगी?''