BHU का दावा: गंगाजल में है कोरोना वायरस को परास्त करने की क्षमता, ह्यूमन ट्रायल की तैयारी
वाराणसी। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण के बीच एक अच्छी खबर सामने आई है। ये खबर उस वक्त आई है जब भारत समेत तमाम देशों में इन दिनों कोरोना की वैक्सीन तैयार करने में जुटे हुए है। दरअसल, काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के रिसर्च में यह दावा किया गया है कि गंगाजल में मौजूद बैक्टीरियोफेज कोरोना वायरस परास्त करने की क्षमता रखते हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गंगाजल से कोरोना के इलाज के ह्यूमन ट्रायल की तैयारी के बीच इस रिसर्च को इंटरनेशनल जर्नल ऑफ माइक्रोबायोलॉजी के आगामी अंक में जगह मिली है। बीएचयू के डॉक्टर भी कोरोना पर 'वायरोफेज' नाम से रिसर्च में जुटे हैं। न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. रामेश्वर चौरसिया व प्रख्यात न्यूरोलॉजिस्ट प्रो. वी.एन.मिश्रा की अगुवाई वाली टीम ने प्रारंभिक सर्वे में पाया है कि नियमित गंगा स्नान और गंगाजल का किसी न किसी रूप में सेवन करने वालों पर कोरोना संक्रमण का तनिक भी असर नहीं है।
गंगा किनारे के 42 जिलों में कोरोना का संक्रमण कम
टीम का दावा है कि गंगा के 50 मीटर के दायरे में रहने वाले नियमित गंगा स्नान और गंगाजल का सेवन करने वाले 273 लोगों पर सर्वे किया गया। इसमें 30 से 90 आयुवर्ग के शामिल थे। इसमें से किसी को कोरोना नहीं हुआ। इस सर्वे ने हमारी रिसर्च को बल दिया। तो वहीं, 50 मीटर के दायरे में रहने वाले 217 लोगों को भी शामिल किया गया जो गंगाजल का किसी रूप में इस्तेमाल नहीं करते थे। इसमें से 20 लोगों को कोरोना हुआ और उसमें से दो की मौत भी हो गई।
गोमुख, बुलंदशहर समेत 17 स्थानों से लिए गए सैंपल
प्रो. मिश्र ने बताया कि गोमुख, बुलंदशहर, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी सहित 17 स्थानों से बैक्टीरियोफॉज के सैंपल लिए गए। इसमें पाया गया कि जहां गंगा पूरी तरह स्वच्छ हैं उसमें दूसरे बैक्टीरिया को मारने की क्षमता है। हमारी टीम ने एक स्प्रे तैयार किया है और इससे कोरोना का मुकाबला किया जा सकता है। हालांकि, इस पूरी कवायद की डिटेल रिपोर्ट आईएमएस की एथिकल कमिटी को भेज दी गई है। प्रो. वी. भट्टाचार्या के चेयरमैनशिप वाली 12 सदस्यीय एथिकल कमिटी की मंजूरी के बाद कोरोना मरीजों पर फेज थेरेपी का ट्रायल शुरू होगा।
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