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चारधाम यात्रा शुरू होने के 24 दिनों के भीतर 83 तीर्थयात्रियों की मौत, जानवरों की मौत की खबर से भी हड़कंप

चारधाम यात्रा: 24 दिनों के भीतर 83 तीर्थयात्रियों की मौत

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देहरादून, 27 मई। चारधाम यात्रा में एक तरफ श्रद्धालुओं के पहुंचने का रिकॉर्ड बनता जा रहा है। वही मौत का भी आंकड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है। चारधाम यात्रा शुरू होने के 24 दिनों के भीतर 83 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है। बृहस्पतिवार को लगातार दूसरे दिन सात तीर्थयात्रियों की मौत हुई है।यात्रा के लिए अब तक 20 लाख से अधिक तीर्थयात्री पंजीकरण करा चुके हैं जबकि 10 लाख से अधिक श्रद्धालु चारों धामों में दर्शन कर चुके हैं।

 Within 24 days of the start of Chardham Yatra, 83 pilgrims died, the news of the death of animals also stirred up

केदारनाथ में 41 की मौत
कोविड में 2 साल तक बंद पड़ी रही यात्रा खुलते ही इस बार यात्रा में हुजूम उमड़ रहा है। चारों धाम केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के अलावा हेमकुंड साहिब के दर्शन के लिए भी यात्री पहुंच रहे हैं। केदारनाथ और यमुनोत्री धाम में हार्ट अटैक से होने वाली मौतों की संख्या ज्यादा बताई जा रही है। अब तक केदारनाथ में 41,यमुनोत्री में 25,बद्रीनाथ में 13, गंगोत्री में 04 यात्रियों की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.शैलजा भट्ट ने जानकारी दी कि अब तक 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं की ओपीडी की गई। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए केदारनाथ धाम में 24 फिजिशियन, 133 चिकित्सक, 12 आर्थोपैडिक सर्जन व 65 नर्सिंग एवं पैरामेडिकल स्टॉफ 15-15 दिनों के रोटेशन के अनुसार ड्यूटी पर तैनात किए गए हैं। केदारनाथ की विषम परिस्थितियों को देखते हुए चार अतिरिक्त चिकित्सक भी केदारनाथ अस्पताल में तैनात किए गए हैं। यात्रा मार्गों पर 117 एंबुलेंस तैनात की गई हैं।
बीकेटीसी अध्यक्ष की तबीयत बिगड़ी
बृहस्पतिवार को केदारनाथ धाम में दर्शन की व्यवस्था में जुटे बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय की तबीयत भी बिगड़ गई। सांस लेने दिक्कत बढ़ने पर उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया। इसके बाद हेलिकॉप्टर से उन्हें गुप्तकाशी पहुंचाया। उनके स्वास्थ्य में आंशिक सुधार हुआ है। डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है।
16 दिनों में 55 घोड़ा-खच्चरों की मौत
चारधाम में श्रद्धालुओं की मौत का आंकड़ा बढ़ने के साथ ही एक ओर चिंताजनक खबर सामने आने लगी है। पैदल मार्गों की दूरी तय करने के लिए यात्रा मार्गोंं पर घोड़ा-खच्चरों को लगाया जाता है। आंकड़ों के अनुसार चार धाम यात्रा की शुरुआत से अबतक महज 16 दिनों में 55 घोड़ा-खच्चरों की पेट में तेज दर्द उठने से मौत हो चुकी है, जबकि 4 घोड़ा-खच्चरों की गिरने से और एक की पत्थर की चपेट में आने से मौत हुई है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक 1.25 हजार तीर्थयात्री घोड़े-खच्चरों से अपनी यात्रा कर चुके हैं, जबकि अन्य तीर्थयात्री हेलीकॉप्टर और पैदल चलकर धाम पहुंचे हैं। बाबा केदार के भक्तों को 18 से 20 किमी की दूरी तय करनी होती है। इस दूरी में यात्री को धाम पहुंचाने में घोड़ा-खच्चर अहम भूमिका निभाते हैं। यात्रा में इन जानवरों के लिए भरपेट चना, भूसा और गर्म पानी भी नहीं मिल पा रहा है। तमाम दावों के बावजूद पैदल मार्ग पर एक भी स्थान पर घोड़ा-खच्चर के लिए गर्म पानी नहीं है। एक तरफ जहां जानवरों के लिए कोई सुविधा नहीं हैं तो वहीं दूसरी तरफ, संचालक और हॉकर रुपये कमाने के लिए घोड़ा-खच्चरों से एक दिन में गौरीकुंड से केदारनाथ के 2 से 3 चक्कर लगवा रहे हैं। इतना ही नहीं रास्ते में उन्हें पलभर भी आराम नहीं मिल पा रहा है, जिस कारण वह थकान से परेशान होकर दर्दनाक मौत का शिकार हो रहे हैं।

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English summary
Within 24 days of the start of Chardham Yatra, 83 pilgrims died, the news of the death of animals also stirred up
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