पूर्व सीएम हरीश रावत के लिए पंजाब की टेंशन का क्या है उत्तराखंड कनेक्शन, जानें वजह
हरीश रावत के दोहरी जिम्मेदारी निभाना हो रहा मुश्किल
देहरादून, 18 सितंबर। उत्तराखंड में सत्ता वापसी के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत झौंक दी है। कांग्रेस की इस ताकत के लिए पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी पूरा जोर लगाया हुआ है। हरीश रावत लगातार उत्तराखंड के मुद्दों को लेकर सड़क से लेकर सोशल मीडिया में उठाने में लगे हैं। इतना ही नहीं खुद को उत्तराखंड में कांग्रेस का सीएम फेस बनाने के लिए पूरा जोर लगा चुके हैं। लेकिन पूर्व सीएम हरीश रावत के लिए उत्तराखंड की राजनीति से ज्यादा पंजाब की राजनीति टेंशन दे रही है।। खुद हरीश रावत भी पंजाब के कांग्रेस प्रभारी से मुक्ति पाना चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस हाईकमान के लिए हरीश रावत ही पंजाब की टेंशन को दूर करने का सबसे बड़ा जरिया बना हुआ है। हालांकि इससे हाईकमान की टेंशन जरुर कम हो रही है, लेकिन हरीश रावत के लिए उनकी भूमिका उत्तराखंड में चुनाव की टेंशन बढ़ती जा रही है।
हरिद्वार
की
पूजा
में
नहीं
हो
पाए
शामिल
उत्तराखंड
में
परिवर्तन
यात्रा
का
दूसरा
चरण
हरिद्वार
से
शुरू
हो
गया
है।
शुक्रवार
को
गंगा
आरती
के
साथ
कांग्रेस
ने
परिवर्तन
यात्रा
के
दूसरे
चरण
का
आगाज
कर
लिया।
लेकिन
कांग्रेस
के
चुनाव
अभियान
की
कमान
संभाल
रहे
हरीश
रावत
खुद
इस
पूजा
में
सम्मिलित
नहीं
हो
पाए।
कारण
है
पंजाब
की
टेंशन।
पंजाब
में
एक
बार
फिर
राजनीतिक
उठापटक
शुरू
हो
गई
है।
जिससे
एक
बार
फिर
हरीश
रावत
कांग्रेस
के
मुख्य
सिपाही
के
तौर
पर
मामले
को
सुलझाने
के
लिए
पंजाब
में
ही
रहेंगें।
इधर
कांग्रेस
का
दूसरा
चरण
हरिद्वार
में
चलेगा।
इस
दौरान
हरीश
रावत
के
लिए
खुद
को
हरिद्वार
से
दूर
रख
पाना
आसान
नहीं
होगा।
जबकि
हरिद्वार
क्षेत्र
पर
हरीश
रावत
की
सबसे
ज्यादा
उम्मीदें
टिकी
हुई
हैं।
परिवर्तन
यात्रा
के
पहले
चरण
के
पूरे
होने
के
बाद
भी
हरीश
रावत
को
पंजाब
के
झगड़े
को
निपटाने
के
लिए
दिल्ली
जाना
पड़ा
था।
अब
दूसरे
चरण
की
शुरूआत
में
ही
हरीश
रावत
को
पंजाब
जाना
पड़ा
है।
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उत्तराखंड
में
समीकरण
साधने
में
कामयाब
रहे
हैं
हरदा
पूर्व
सीएम
हरीश
रावत
इस
समय
दोहरी
भूमिका
में
है।
उत्तराखंड
में
चुनाव
अभियान
की
कमान
मिलने
के
साथ
ही
पंजाब
के
प्रदेश
प्रभारी
हैं।
उत्तराखंड
में
तो
हरीश
रावत
ने
पूरा
समीकरण
अपने
हिसाब
से
फिट
किया
हुआ
है।
प्रदेश
अध्यक्ष
पर
गणेश
गोदियाल
और
कार्यकारी
अध्यक्षों
को
नियुक्त
करवाने
के
बाद
हरीश
रावत
उत्तराखंड
में
फिलहाल
कांग्रेस
का
बड़ा
चेहरा
बने
हैं।
जिससे
वे
उत्तराखंड
को
लेकर
ज्यादा
कंफर्ट
जोन
में
हैं।
लेकिन
हरीश
रावत
के
लिए
पंजाब
की
टेंशन
को
सुलझाना
सबसे
बड़ा
चेलेंज
बना
हुआ
है।
कैप्टन
और
सिद्धू
के
बीच
चल
रही
सियासी
जंग
हरीश
रावत
को
बार-बार
मुश्किल
में
डाल
रही
है।
इतना
ही
नहीं
पंजाब
की
लड़ाई
से
हरीश
रावत
की
भूमिका
पर
भी
सवाल
उठने
लगे
हैं।
मामला
न
सुलझ
पाना
भी
उनके
खिलाफ
जा
रहा
है।
जिससे
कारण
हरीश
रावत
उत्तराखंड
की
जगह
पंजाब
को
लेकर
ज्यादा
समय
देना
पड़
रहा
है।
चुनाव
में
नुकसान
का
भी
है
डर
उत्तराखंड
की
कांग्रेस
पार्टी
में
इस
समय
दो
बड़े
गुट
हैं।
पहला
हरीश
रावत
और
दूसरा
प्रीतम
सिंह।
अभी
तक
कांग्रेस
के
अधिक
निर्णयों
में
हरीश
रावत
का
असर
साफ
नजर
आया
है।
लेकिन
अगर
हरीश
रावत
पंजाब
की
टेंशन
में
ज्यादा
समय
बिताएंगे,
तो
प्रीतम
सिंह
गुट
को
उत्तराखंड
में
पकड़
बनाने
का
ज्यादा
समय
मिल
पाएगा।
जिससे
चुनाव
में
हरीश
रावत
को
नुकसान
भी
उठाना
पड़
सकता
है।