Uttarakhand glacier burst: 5,600 मीटर से गिरी थी चट्टान, वैज्ञानिकों ने बताया क्यों आई तबाही
देहरादून: रविवार को उत्तराखंड में नंदा देवी शिखर के पास क्या हुआ था, जिसके चलते ग्लेशियर टूटा? वैज्ञानिक इसकी लगातार पड़ताल कर रहे हैं। अब वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी ने भी इस आपदा के बारे में अपनी छानबीन के आधार पर जानकारी जुटाई है। इसके वैज्ञानिकों के मुताबिक यह सब समुद्र तल से 5,600 मीटर की ऊंचाई से एक चट्टान गिरने की वजह से हुआ था, जिसके चलते उससे लगा ग्लेशियर नीचे आ गिरा और फिर ऋषिगंगा और अलकनंदा नदियों ने कहर बरपाना शुरू कर दिया।
5,600
मीटर
से
गिरा
था
चट्टान
भारत
सरकार
के
देहरादून
स्थित
स्वायत्त
संस्थान
वाडिया
इंस्टीट्यूट
ऑफ
हिमालयन
जियोलॉजी
के
डायरेक्टर
कलाचंद
सेन
ने
रविवार
की
त्रासदी
के
बारे
में
कहा
है
कि
'बाढ़
की
ताजा
घटना
में
वैज्ञानिकों
ने
पाया
है
कि
5,600
मीटर
की
ऊंचाई
से
चट्टान
गिरी
है।
क्योंकि,
आधार
से
सपोर्ट
ही
हट
गया
था,
इसके
चलते
ग्लेशियर
नीचे
आ
गिरा।
उस
पर्वतीय
क्षेत्र
में
बहुत
ही
खड़ी
ढलान
है।'
मौके
पर
पहुंचने
वाली
वैज्ञानिकों
की
पहली
टीम
उन्होंने
बताया
कि
"उस
30-40
डिग्री
के
ढाल
में,
भारी
मात्रा
में
चट्टान
और
उसके
साथ
गिरे
ग्लेशियर
के
बर्फ
का
द्रव्यमान
अधिक
हो
गया
था
और
वह
नीचे
लुढक
गया।
जब
वह
ढाल
के
करीब
पहुंचा
तो
वहां
पर
कुछ
वनस्पतियां
और
मिट्टी
उसके
साथ
बिखर
गईं।.....हमारे
वैज्ञानिकों
ने
सैंपल
जुटाए
हैं।'
वैज्ञानिकों
के
दावे
के
मुताबिक
ये
घटनाएं
ऋषिगंगा
नदी
से
कुछ
किलोमीटर
की
ऊंचाई
पर
हुईं
और
यही
चमोली
जिले
में
आफत
वाली
बाढ़
की
वजह
बनी।
वाडिया
इंस्टीट्यूट
के
वैज्ञानिकों
की
पहली
टीम
है
जो
उस
जगह
पर
पहुंची
थी।
तपोपन
सुरंग
में
बचाव
का
काम
फिर
शुरू
इस
बीच
चमोली
जिले
के
जोशीमठ
के
तपोवन
सुरंग
में
बचाव
का
काम
कुछ
देर
के
लिए
रुकने
के
बाद
फिर
से
शुरू
है
गया
है।
बता
दें
कि
आज
ऋषिगंगा
नदी
में
फिर
से
पानी
का
स्तर
बढ़ने
के
बाद
बचाव
का
काम
अस्थाई
तौर
पर
रोक
देना
पड़ा
था।
आपको
बता
दें
कि
आपदा
प्रभावित
इलाकों
से
अबतक
34
शव
बरामद
किए
जा
चुके
हैं,
जबकि
170
लोग
अब
भी
लापता
बताए
जा
रहे
हैं।
इस
बीच
सुरंग
में
फंसे
मजदूरों
को
निकालने
का
ऑपरेशन
आज
पांचवें
दिन
भी
जारी
है।